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आंध्र प्रदेश विधान परिषद जारी रखने को नया प्रस्ताव पारित

Andhra Pradesh Legislative Council आंध्र प्रदेश विधान परिषद जारी रखने को नया प्रस्ताव पारित कर दिया गया है। इसके पहले पिछले साल सार्वजनिक हित में विधान परिषद को समाप्त करने के लिए वैधानिक प्रस्ताव पास किया गया था ।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 12:26 AM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 03:52 AM (IST)
आंध्र प्रदेश विधान परिषद जारी रखने को नया प्रस्ताव पारित
आंध्र प्रदेश विधान परिषद जारी रखने को नया प्रस्ताव पारित

अमरावती प्रेट्र। आंध्र प्रदेश में विधान परिषद (Andhra Pradesh Legislative Council) को जारी रखने का नया प्रस्ताव मंगलवार को पारित कर दिया गया। विधानसभा ने पिछला वैधानिक प्रस्ताव वापस ले लिया है। जगन मोहन रेड्डी सरकार ने विधान परिषद को समाप्त करने की मांग वाले प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए केंद्र को दोषी ठहराते हुए यह फैसला लिया।

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विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हुए कई प्रस्ताव 

वित्त और विधायी मामलों के मंत्री बुगना राजेंद्रनाथ ने प्रस्ताव पेश किया और विधानसभा ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। जनवरी, 2020 में जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 169 (1) के तहत वैधानिक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें राज्य विधान परिषद को 'सार्वजनिक हित' में समाप्त करने की बात कही गई थी। इसके पीछे तर्क यह था कि इससे सरकारी खजाने पर प्रतिवर्ष 60 करोड़ रुपये का बोझ पड़ रहा है। पिछले साल जब वैधानिक प्रस्ताव पारित किया गया था, तब जगन मोहन रेड्डी ने कहा था वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, लेकिन मंगलवार को जब नया प्रस्ताव पारित किया गया, तब वह सदन में चुप रहे।

जातीय जनगणना कराने का अनुरोध

आंध्र प्रदेश विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया है, जिसके अनुसार केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है कि 2021 की जनगणना में अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यकों के साथ सामाजिक व शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग की जातीय जनगणना भी की जाए। पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री एस वेणुगोपाल कृष्ण ने यह प्रस्ताव पारित किया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।

तीन राजधानी बनाने का विधेयक वापस लिया

आंध्र प्रदेश सरकार ने भारी विरोध के बाद उस विवादित विधेयक को वापस ले लिया, जिसके तहत राज्य में तीन राजधानियां स्थापित करने का फैसला किया गया था। इस बिल के तहत विशाखापत्तनम को कार्यकारी राजधानी, अमरावती को विधायिका राजधानी और कुर्नूल को न्यायिक राजधानी बनाने का एलान किया गया था। 


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