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मोहाली इंस्टीट्यूट के शोधकताओं ने विकसित किया इंजेक्टेबल जेल, स्टेम सेल को बचाएगी नई हाइड्रोजेल

भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल विकसित की है जो प्रत्यारोपित कोशिकाओं (स्टेम सेल) को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद कर सकता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 09:11 AM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 09:11 AM (IST)
मोहाली इंस्टीट्यूट के शोधकताओं ने विकसित किया इंजेक्टेबल जेल, स्टेम सेल को बचाएगी नई हाइड्रोजेल
मोहाली इंस्टीट्यूट के शोधकताओं ने विकसित किया इंजेक्टेबल जेल, स्टेम सेल को बचाएगी नई हाइड्रोजेल

बेंगलुरू, आइएसडब्ल्यू। चिकित्सा क्षेत्र में स्टेम कोशिकाओं का प्रत्यारोपण एक चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि इसमें प्रत्यारोपित कोशिकाओं के जीवित रहने से जुड़ी कई समस्याएं सामने आती हैं। स्टेम सेल, जब किसी घाव में प्रत्यारोपित किया जाता है, तो पैराक्रीन फैक्टर नामक रसायन छोड़ता है, जो ऊतक के पुनर्निर्माण के

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लिए आसपास की अन्य कोशिकाओं को प्रेरित करता है। भारतीय वैज्ञानिकों के एक समूह ने एक इंजेक्टेबल हाइड्रोजेल विकसित की है जो प्रत्यारोपित कोशिकाओं (स्टेम सेल) को लंबे समय तक जीवित रहने में मदद कर सकता है।

मोहाली के इंस्टीट्यूट ऑफ नैनोसाइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकताओं ने हाइड्रोजेल में मेसेनकेमल स्टेम सेल (एमएससी) को एनकैप्सुलेट कर इसे तैयार किया है। प्रारंभिक अध्ययनों में यह पाया गया है कि हाइड्रोजेल सेल स्टेम कोशिकाओं को लंबे समय तक बनाए रखने में मदद करता है। यह हाइड्रोजेल प्राकृतिक मैटीरियल, जैसे- सेलूलोज, किटोजन से बनाया गया है और लगाने के एक महीने बाद स्वयं ही नष्ट हो जाता है। साथ ही इसमें अमीनो और एल्डिहाइड समूह के तत्व भी मौजूद हैं।

इस अध्ययन की मुख्य अन्वेषक डॉ. दीपा घोष ने बताया कि हाइड्रोजेल स्टेम कोशिकाओं को लंबे समय तक बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है और शरीर के ऊतकों के निर्माण में मदद करते हैं। उन्होंने बताया कि अध्ययन के दौरान हमने देखा कि इसके प्रयोग से न सिर्फ स्टेम सेल जीवित रहते हैं, बल्कि एक महीने के भीतर ही ऊतकों का पुनर्निर्माण कर यह स्वयं ही नष्ट हो जाता है।

उन्होंने कहा कि हाइड्रोजेल कोशिकाओं को सामान्य रूप से काम करने में भी मदद करता है। प्रत्यारोपण के बाद, हाइड्रोजेल में मौजूद पेराक्रीन कोशिकाओं के विकास और क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करने में सहायता करता है। इस अध्ययन के लेखक जिजयो थॉमस ने कहा कि इस हाइड्रोजेल में ऊतक कोशिकाओं के समान 95 फीसद पानी के तत्व हैं, जो कोशिकाओं में ऊतकों को व्यवस्थित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह जेल घाव के अनुरूप ही आकार भी ले सकती है, जिसका फायदा यह है कि इसे लगाने से घाव पूरा ढक जाएगा और किसी भी तरफ का इंफेक्शन होने की संभावना बहुत हद तक कम हो जाती है। इसमें मौजूद पेराक्रीन घाव को फैलने से भी बचाती है।

डॉ. दीपा घोष ने कहा कि पशुओं पर परीक्षण के दौरान हाइड्रोजेल हर परिस्थिति में खरा उतरा है। उम्मीद है कि भविष्य में यह तकनीक लोगों के घावों के उपचार में बेहद कारगर होगी और मरीजों जल्द स्वस्थ हो पाएंगे। आमतौर पर जख्म ज्यादा गहरे होने पर जल्दी नहीं भर पाते, लेकिन शोधकर्ताओं का दावा है कि हाइड्रोजेल के जरिये घाव जल्दी ठीक हो सकता है। शोधकर्ताओं में दीपा घोष और के साथ जीजयो थॉमस के अलावा, अंजना शर्मा, विनीता पंवार और वियानी चोपड़ा शामिल थीं। इस अध्ययन के परिणाम एसीएस एप्लाइड बायोमेट्रिक्स जर्नल में प्रकाशित हुए हैं।

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