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बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा

नई शिक्षा नीति में वर्ष 2025 तक स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों के जरिए 50 फीसद छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 02 Aug 2020 07:40 PM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2020 07:40 PM (IST)
बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा
बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भावी पीढ़ी को बेरोजगारी के दंश से बचाने के लिए अब हरेक बच्चे को पढ़ाई के साथ हुनरमंद भी बनाया जाएगा। फिलहाल इसकी शुरुआत स्कूलों से होगी, जो उच्च शिक्षा तक जारी रहेगी। इसके तहत प्रत्येक बच्चे को कम से कम किसी एक व्यवसाय से जुड़े कौशल को सीखना अनिवार्य होगा। रुचि के मुताबिक वह एक से ज्यादा व्यवसायों से जुड़ा प्रशिक्षण भी ले सकता है।

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2025 तक 50 फीसद बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य

नई शिक्षा नीति में वर्ष 2025 तक स्कूल और उच्च शिक्षा संस्थानों के जरिए 50 फीसद छात्रों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।

नई शिक्षा नीति में व्यवसायिक शिक्षा को मजबूती देने की पहल

नई शिक्षा नीति में व्यवसायिक शिक्षा को मजबूती देने की यह पहल तब की गई है, जब देश में व्यवसायिक शिक्षा हासिल करने वालों का प्रतिशत काफी कम है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में वर्ष 2012-17 के बीच 19 से 24 आयु वर्ग के पांच फीसद से भी कम लोगों ने औपचारिक रूप से व्यवसायिक शिक्षा ली है। वहीं अमेरिका में 52 फीसद, जर्मनी में 75 फीसद और दक्षिण कोरिया में 96 फीसद लोगों ने व्यवसायिक शिक्षा ली है। यही वजह है नीति में व्यवसायिक शिक्षा के क्षेत्र में पीछे रहने के कारणों को सामने लाने हुए तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ने की जरूरत बताई है। फिलहाल इन नीति की जो कोशिश है, उसके तहत नए भारत का हरेक बच्चा हुनरमंद होगा।

पढ़ाई के साथ सभी के लिए व्यवसाय से जुड़े किसी एक कौशल को सीखना होगा अनिवार्य

व्यवसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने की कोशिशें वैसे तो लंबे समय से चल रही थी, लेकिन इसके आगे न बढ़ पाने के पीछे जो बड़ा कारण माना गया है, वह मुख्यधारा की शिक्षा के मुकाबले इसके महत्व को कम आंकना है। यही वजह है कि नीति में व्यवसायिक शिक्षा को अब मुख्यधारा की शिक्षा से साथ ही जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। साथ ही कहा गया है कि इसका एक ऐसा फ्रेमवर्क तैयार किया जाए, जिसमें बच्चों को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक उसे पढ़ाया जा सके। मौजूदा समय में व्यवसायिक शिक्षा का जो ढांचा है, उनमें स्कूल और उच्च शिक्षा के बीच कोई लिंक नहीं है। यानी स्कूल में यदि कोई व्यवसायिक शिक्षा की पढ़ाई कर रहा है, तो वह उसे लेकर उच्च शिक्षा में भी पढ़ सके, इसका कोई सीधा रास्ता नहीं है।

नई शिक्षा नीति में व्यवसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का प्रस्ताव

नीति में व्यवसायिक शिक्षा को एकीकृत करने का प्रस्ताव है, जिसमें उच्चतर प्राथमिक, माध्यमिक कक्षाओं से होते हुए उच्चतर शिक्षा तक इसकी पढ़ाई कराई जाएगी। इसके साथ ही इस पहल को और मजबूत बनाने के लिए उद्योगों के सहयोग से व्यवसायिक शिक्षा के विशेषज्ञों और व्यवसायिक मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय समिति नेशनल कमेटी फार द इंटीग्रेशन आफ वोकेशनल एजुकेशन ( एनसीआईवीई) का गठन किया जाएगा।


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