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नई शिक्षा नीति पर अब और देरी नहीं, दिसंबर से शुरू होगा अमल

मंत्रालय ने तेज की तैयारी, तीन चरणों में लागू होगी पूरी नीति, नीति लागू करने से पहले नवंबर में होगा मंथन, जुटेंगे चुनिंदा विशेषज्ञ...

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 30 Oct 2017 09:20 PM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 09:20 PM (IST)
नई शिक्षा नीति पर अब और देरी नहीं, दिसंबर से शुरू होगा अमल
नई शिक्षा नीति पर अब और देरी नहीं, दिसंबर से शुरू होगा अमल

अरविंद पांडेय। नई दिल्ली। लंबे अरसे से अटकी नई शिक्षा नीति को लेकर आखिरकार अब इंतजार खत्म होने वाला है। दिसंबर 2017 के अंत तक सरकार इसे लागू करने की तैयारी में है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा, अभी भी इसे लेकर सरकार कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है, पर सतर्क जरूर है। वह नीति को एक साथ लागू करने के बजाय तीन चरणों में लागू करने की योजना पर काम कर रही है, ताकि इसकी शुरूआत के साथ ही कोई विवाद न खड़ा हो सके। दरअसल नई नीति को लेकर राज्यों से विचार विमर्श जरूर हुआ है लेकिन ऐसे कई बिंदु हो सकते हैं जिसपर सर्वसम्मति नहीं होगी। लिहाजा नवंबर में आ रही नई नीति को लागू करने से पहले केंद्रीय स्तर पर मंथन भी होगा। यह तय किया जाएगा कि पहले चरण में नीति का कौन-सा हिस्सा रखा जाए।

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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो नीति पर मंथन के लिए देश के करीब 150 प्रख्यात शिक्षा विशेषज्ञों को दिल्ली बुलाया है। इस मंथन के पीछे सरकार का उद्देश्य नीति के ऐसे सभी पहलुओं को चिन्हित करना है, जिन्हें पहले चरण में लागू किया जा सकता है। साथ ही इसका फायदा भी तुरंत मिल सके। योजना के तहत नीति को तीन चरणों को अगले दो सालों में लागू किया जाएगा।

सरकार अपनी जिस नई शिक्षा नीति को लागू करने जा रही है, उसे पद्मविभूषण और अंतरिक्ष वैज्ञानिक के कस्तूरीरंजन की अध्यक्षता में गठित नौ सदस्यीय कमेटी ने तैयार किया है। जिसका गठन जून 2017 में किया गया था। इस कमेटी ने सदस्य के जे अल्फोंस भी है, जिन्हें सरकार ने पिछले दिनों मंत्री बनाया है। हालांकि इससे पहले सरकार ने टीएसआर सुब्रह्मणयम की अध्यक्षता में भी नई शिक्षा नीति को लेकर एक कमेटी बनाई थी, जिसे सरकार के साथ मतभेदों के बाद लागू नहीं किया गया था।

नई शिक्षा नीति में इस विषयों पर दिखेगा बदलाव

नई शिक्षा नीति पर सरकार ने जिन प्रमुख विषयों को शामिल किया है, उनमें पाठ्य सामग्री, स्कूली शिक्षा का स्तर, परीक्षा सुधार, शिक्षा में कौशल और रोजगार, शिक्षक विकास और प्रबंधन, भाषा और संस्कृत, उच्च शिक्षा में गुणवत्ता, अनुसंधान, नवाचार और नया ज्ञान, नीतिगत ढांचा, बाल एवं किशोर शिक्षा के अधिकारों की सुरक्षा आदि जैसे विषयों को शामिल किया गया है।

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