नई शिक्षा नीति आने में कुछ वक्त और लग सकता है, इसमें राज्यों की राय भी शामिल होंगी
नई शिक्षा नीति पर काम कर रही टीम को इस काम को पूरा करने के लिए एक और विस्तार दिया जा सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति के आने को लेकर भले ही लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि नीति को अभी अंतिम रूप देना बाकी है। इसमें फिलहाल अभी राज्यों से ली गई राय को शामिल करने का काम किया जा रहा है। नीति पर काम कर रही कमेटी ने हाल ही में राज्यों से भी इसे लेकर राय ली है। बताया जा रहा है कि इसे लेकर अभी कुछ वक्त और लग सकता है। यह स्थिति तब है जब नीति बनाने को लेकर काम कर रही कमेटी का कार्यकाल 15 दिसंबर को खत्म हो रहा है।
15 दिसंबर को खत्म हो रहा है नीति बनाने वाली कमेटी का कार्यकाल
खास बात यह है कि नीति में राज्यों की राय को प्रमुखता से शामिल करने का यह फैसला तब लिया गया, जब कई राज्यों ने शिक्षा को लेकर अपनी अलग-अलग चिंताएं जाहिर की। इन राज्यों की कहना था, कि प्रत्येक राज्य में स्कूलों और शिक्षा का स्तर दूसरे राज्यों से भिन्न है। ऐसे में सभी राज्यों की राय जाने बगैर नीति को अंतिम रुप देना ठीक नहीं होगा। इसके बाद ही कमेटी ने राज्यों से भी बात की। वैसे भी केंद्र सरकार की ओर से तैयार की जा रही यह नई शिक्षा नीति 2020 से 2040 तक के लिए है।
नई शिक्षा नीति से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक राज्यों से यह रायशुमारी इसलिए भी जरूरी थी, क्योंकि नीति में ज्यादातर फोकस इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने को लेकर है। ऐसे में राज्यों की राय को जाने बगैर इसको अंतिम रुप देने से आगे जाकर असंतुलन की स्थिति पैदा हो सकती है।
हालांकि सूत्रों की कहना है कि नीति पर काम कर रही टीम को इस काम को पूरा करने के लिए एक और विस्तार दिया जा सकता है। इससे पहले इस टीम को कई विस्तार दिए जा चुके है। गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति को लेकर यह काम इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक कमेटी कर रही है।