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New Education Policy 2020: शिक्षकों की गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता, एक से चार साल तक का होगा बीएड कोर्स

शिक्षकों के लिए अगले दो सालों के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड होगी जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 08:55 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 08:55 PM (IST)
New Education Policy 2020: शिक्षकों की गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता, एक से चार साल तक का होगा बीएड कोर्स
New Education Policy 2020: शिक्षकों की गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता, एक से चार साल तक का होगा बीएड कोर्स

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नई शिक्षा नीति-2020 में मौजूदा शिक्षा व्यवस्था की खामियों को दूर करने की पूरी कोशिश की गई है। नई नीति में छात्रों के साथ शिक्षकों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रावधान किया जाएगा, जिससे उनकी योग्यता का भरपूर फायदा छात्रों को मिल सके। इसके लिए अगले दो सालों के भीतर शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय स्तर का मानक तैयार किया जाएगा। शिक्षकों के लिए अगले दो सालों के भीतर न्यूनतम डिग्री बीएड होगी, जो उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर एक से चार साल की होगी। एमए के बाद एक साल और इंटरमीडिएट के बाद चार साल। 

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शिक्षकों के लिए भी बनेगा एकसमान राष्ट्रीय मानक

वर्ष 2022 तक नेशनल काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एनसीटीई) को नेशनल प्रोफेशनल स्टैंडर्ड फॉर टीचर्स के लिए समान मानक तैयार करने का दायित्व सौंपा गया है। काउंसिल यह कार्य जनरल एजुकेशन काउंसिल के निर्देशन में पूरा करेगी। वर्ष 2030 तक सभी बहु आयामी कालेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पठन पाठन के कोर्स को उसी के अनुरूप अपग्रेड करना होगा। उस समय तक शिक्षकों के लिए न्यूनतम डिग्री बीएड की अवधि चार साल करनी होगी। बीएड की दो साल की डिग्री उन ग्रेजुएट छात्रों को मिल सकती है, जिन्होंने विषय विशेष में चार साल की पढ़ाई की होगी। चार साल की ग्रेजुएट की पढ़ाई के साथ एमए की भी डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को बीएड की डिग्री एक साल में ही प्राप्त हो जाएगी। लेकिन वह विषय विशेष का ही शिक्षक हो सकेगा। 

बदलती शिक्षा के अनुरूप शिक्षण टेक्नोलॉजी को अपनाने पर जोर

बीएड प्रोग्राम में शिक्षा शास्त्र की विधियों को शामिल किया जाएगा, जो छात्रों को मूलभूत शिक्षा, साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, बहुस्तरीय अध्यापन और मूल्यांकन करने में महारत हासिल कराए। इसमें समय के साथ बदलती शिक्षा के अनुरुप शिक्षण टेक्नोलॉजी को अपनाने पर जोर दिया जाएगा। के. कस्तूरीरंगन कमेटी ने अपनी सिफारिशों में शिक्षकों के प्रशिक्षण में व्यापक सुधार के लिए शिक्षकों के प्रशिक्षण और सभी शिक्षा कार्यक्रमों को विश्वविद्यालयों या कॉलेजों के स्तर पर शामिल करने की सिफारिश की थी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस मंजूर कर लिया है। देश में एक जैसे शिक्षक और एक जैसी शिक्षा को आधार बनाकर इसे लागू किया जाएगा। विद्यालयों में स्थानीय ज्ञान और लोक विद्या जैसी जानकारियों के लिए स्थानीय पेशेवरों को अनुबंध पर लिया जा सकता है। इससे छात्रों को स्थानीय ज्ञान प्राप्त हो सकेगा। उन्हें 'मास्टर इंस्ट्रक्टर' के नाम से जाना जाएगा। इनमें स्थानीय कला, संगीत, कृषि, व्यवसाय, खेल, कारपेंटिंग और अन्य कौशल शामिल होंगे।


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