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नई शिक्षा नीति-2020: नहीं थोपी जाएगी कोई भाषा, पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। पाली प्राकृत और पर्शियन जैसी लुप्त होती जा रही भाषाओं को बचाने के लिए विशेष कदम भी उठाए गए हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 29 Jul 2020 09:44 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 09:44 PM (IST)
नई शिक्षा नीति-2020: नहीं थोपी जाएगी कोई भाषा, पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई
नई शिक्षा नीति-2020: नहीं थोपी जाएगी कोई भाषा, पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में होगी पढ़ाई

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई शिक्षा नीति में स्थानीय संदर्भो और भाषाओं को पूरा स्थान मिलेगा। इसके तहत स्कूल में पांचवीं कक्षा तक स्थानीय भाषा में पढ़ाने का सुझाव है। वैसे यह भी स्पष्ट किया गया है कि किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी जाएगी।

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पुराने त्रिभाषा फार्मूला को लेकर नहीं हुई कोई बात, किसी भाषा को आवश्यक नहीं बनाया गया

गौरतलब है कि त्रिभाषा फार्मूला लागू होने के बाद खासकर दक्षिणी राज्यों से विरोध का स्वर उठा था। उसके तहत स्कूलों में एक क्षेत्रीय भाषा, अंग्रेजी और हिंदी को स्थान दिया गया। विरोध के बाद इसे लचीला कर दिया गया और किसी भाषा को आवश्यक नहीं बनाया गया। यही व्यवस्था आगे भी लागू रहेगी।

नई शिक्षा नीति में स्थानीय भाषाओं और हुनर को बढ़ावा देने पर दिया गया जोर 

स्थानीय भाषाओं और हुनर को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया गया है। पाली, प्राकृत और पर्शियन जैसी लुप्त होती जा रही भाषाओं को बचाने के लिए विशेष कदम भी उठाए गए हैं।

नई शिक्षा नीति का उद्देश्य सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है

नई शिक्षा नीति में साफ कहा गया है कि इसका उद्देश्य सभी भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास को बढ़ावा देना है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसलेशन एंड इंटरप्रटेशन (आइआइटीआइ) बनाने का सुझाव दिया है।

भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर विशेष संस्थान बनाने की सिफारिश

इसी तरह पाली, प्राकृत और पर्शियन के लिए अलग से ऐसे ही संस्थान बनाने का भी सुझाव दिया गया है। संस्कृत जहां हर स्तर पर उपलब्ध होगी वहीं विदेशी भाषा हायर सेकेंड्री के स्तर से उपलब्ध होगी।


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