नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद भारत में शिक्षा को लेकर बदला दुनिया का नजरिया, संस्थानों को हुआ यह फायदा
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (new education policy 2020) आने के बाद दुनिया का नजरिया भारत को लेकर काफी बदला है। इसका अनुमान विदेशी छात्रों के भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर बढ़े रुझान से लगाया जा सकता है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
नई दिल्ली, जेएनएन। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद दुनिया का नजरिया भारत को लेकर काफी बदला है। इसका अनुमान विदेशी छात्रों के भारतीय उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर बढ़े रुझान से लगाया जा सकता है। जिनकी संख्या में पिछले सालों के मुकाबले इस साल करीब 30 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। यह स्थिति तब है जब कोरोना संक्रमण के प्रभाव से देश अभी भी पूरी तरह से उबरा नहीं है। आने वाले सालों में और बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है।
शिक्षा मंत्रालय भी भारतीय उच्च संस्थानों की ओर विदेशी छात्रों के इस बढ़े रुझान से उत्साहित है। इस बढ़े रुझान को देखते हुए दुनिया के बारह और देशों में अभियान चलाने की फैसला लिया गया है। वैसे तो भारत में पढ़ाई के लिए किसी भी देश के छात्र आ सकते हैं, लेकिन शिक्षा मंत्रालय का फोकस अभी सिर्फ तीस देशों को लेकर ही था। इनमें ज्यादातर अफ्रीकी, खाड़ी और एशियाई देश शामिल हैं।
फिलहाल इस मुहिम में जो बारह नए देशों को शामिल किया गया है वे खाड़ी और एशिया से हैं। इनमें इंडोनेशिया, फिलीपींस, मॉरीशस व बहरीन आदि देश शामिल हैं। अब तक इन देशों के छात्रों की संख्या कम रहती थी, जो इस बार बढ़ी है। स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम के तहत मौजूदा समय में भारत में उच्च शिक्षा के लिए 70 से ज्यादा देशों के छात्र आते हैं। मंत्रालय इसके भी दायरे को बढ़ाने के लिए तत्पर है।
फिलहाल जिस तरह का रुझान देखने को मिल रहा है, उनमें आने वाले सालों में भारत में पढ़ाई के लिए सौ से भी ज्यादा देशों के छात्र आ सकते हैं। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जैसे ही कोरोना का प्रभाव कम होगा, वह फोकस वाले सभी 42 देशों में भारतीय संस्थानों और यहां पढ़ाए जाने वाले कोर्सों के लिए रोड शो, सेमिनार जैसे आयोजन करेगा।
विदेशी छात्रों को लुभाने के लिए सरकार ने यह मुहिम तब शुरू की है, जब अमेरिका, जर्मनी, बिट्रेन, फ्रांस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में यह आय का एक बड़ा जरिया बना हुआ है, क्योंकि पढ़ाई के लिए आने वाले छात्र पढ़ाई के साथ यहां रहने और खाने पर उससे ज्यादा खर्च करते हैं।