अब बारिश से नहीं होगा जलभराव, इंजीनियरिंग छात्रों ने बनाई स्मार्ट डिवाइस
बड़े-बड़े शहरों में बारिश के मैसम में होने वाले जलजमाव कि स्थिति से छुटकारा दिलाने के लिए दिल्ली के इंजीनियर स्टूडेंट की एक टीम ने एक एआई (आर्टिफिशियल प्रणाली) का आविष्कार किया है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में अब बारिश के मौसम में जलभराव जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलने वाला है। नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी नई दिल्ली के इंजीनियरिंग छात्रों की टीम ने एक ऐसा एआई (आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस) तैयार किया है जो उस इलाके की पहचान करने में मदद करेगा जहां बरसात के मौसम में जलभराव का खतरा ज्यादा होता है। बताया जा रहा है कि इस आविष्कार से बड़े-बड़े शहरों में बारिश के मौसम में जलभराव से होने वाले असुविधाओं से और सड़क जाम से छुटकारा मिल सकता है।
जानकारी के मुताबिक, शोधकर्ता अमन बंसल और अपूर्व गुप्ता ने इसके आविष्कार के लिए वर्षा की मात्रा, ट्रैफिक और लोकेशन एरिया का आंकड़ा निकाल कर उन जगहों पर जलभराव की संभावनाओं का पता लगाया।
एनएसआईटी के ऋृषभ गुप्ता ने कहा कि भारत जैसे कई विकासशील देशों में बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या आज भी आम है। 2016 में गुरुग्राम में बारिश के दौरान जलभराव से हालत इतनी खराब हो गई थी सड़कों का पानी गलियों और वहां के घरों तक पहुंच गया था जिससे कई घंटों तक लोगों को जूझना पड़ा था।
इसी प्रकार मुंबई में भी हर साल ऐसी ही समस्या देखने को मिलती है। वे आगे बताते हैं कि इस प्रकार की पर्यावरणीय घटनाओं से होने वाले नुकसान ने हमें इसका हल खोजने पर मजबूर किया। ये बताते हैं कि इन्होंने अपने इस आइडिया को पिछले साल बैंकॉक में स्मार्ट सिटी पर आयोजित 15वें इंटरनेशनल कॉंफ्रेंस में पेश किया था, जिसे वहां खूब सराहना मिली थी।
सबसे पहले फिलिपींस की राजधानी मनीला में ये शोध किया गया जहां भारत के जैसे ही पर्यावरणीय हालत बताए जाते हैं। वहां सबसे पहले उन जगहों को चिन्हित किया गया जो पहले से ही जलभराव के लिए जाने जाते थे। जलभराव की क्षमता को रेनफॉल डेटा और ट्रैफिक से कैलकुलेट किया गया। ऋृषभ बताते हैं कि हमारा ये आविष्कार दिल्ली के लिए भी कारगर हो सकता है। उन्होंने बताया कि उबर के डेटा की मदद से हम 5-10 दिनों के भीतर दिल्ली का रिजल्ट बता सकते हैं। गुप्ता ने आगे बताया कि ये एक ऐसी प्रणाली है जिसकी गणना गूगल भी नहीं कर सकता है।
आपको बता दें कि इसके पहले अलग-अलग लोकेशन पर लगाए गए एक खास डिवाइस के जरिए वहां के मौसम में उपलब्ध नमी की मात्रा, वहां के ट्रैफिक के आंकड़ों के बारे में पता लगाया जाता था। वे बताते हैं कि वे डिवाइस काफी महंगे होते हैं। गुप्ता ने आगे बताया कि हम ट्रैवल टाइम के आंकड़ों को उबर के द्वारा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं जिससे हमें इस काम को करने में मदद मिल सकती है। इस प्रणाली से दुर्घटना संभावित इलाकों का भी पता लगाया जा सकेगा। इससे ये फायदा होगा कि पहले से दुर्घटना का पता चलने पर वहां एंबुलेंस की पहुंच आसानी से हो सकेगी।