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‘उस जगह पर कभी मत ठहरना जहां तुम्हें लोग कम आंकें, जहां लोग तुम्हारी प्रशंसा न करें’

पिता ने कहा ‘उस जगह पर कभी मत ठहरना जहां तुम्हें लोग कम आंकें जहां लोग तुम्हें कमतर मानें या तुम्हारी प्रशंसा न करें।’

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 12:31 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 12:31 PM (IST)
‘उस जगह पर कभी मत ठहरना जहां तुम्हें लोग कम आंकें, जहां लोग तुम्हारी प्रशंसा न करें’
‘उस जगह पर कभी मत ठहरना जहां तुम्हें लोग कम आंकें, जहां लोग तुम्हारी प्रशंसा न करें’

नई दिल्‍ली, सीमा झा। अपनी मृत्यु से पूर्व एक पिता ने अपने पुत्र से कहा,’यह लो वह घड़ी जो तुम्हारे दादा जी ने मुझे दिया था। यह लगभग 200 साल पुरानी है। पर तुम्हें देने से पहले मैं चाहता हूं कि तुम इसे ज्यूलरी की दुकान पर ले जाओ और इसकी कीमत पूछो। देखो कि वे इसकी कितनी कीमत लगाते हैं।’ पुत्र ने ऐसा ही किया। वहां से वापस आकर बताया कि ज्यूलरी की दुकान में उसकी कीमत मात्र सौ डॉलर बता रहे हैं, क्योंकि वह एक पुरानी घड़ी है। पिता ने कहा, ‘ठीक है अब जरा साहूकार के पास जाओ।’

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साहूकार ने उस घड़ी की कीमत बीस डॉलर लगाई, क्योंकि इसमें खरोंच लगी थी। इसके बाद पिता ने सलाह दी कि अब संग्रहालय जाओ और उन्हें यह घड़ी दिखाओ। पुत्र के मन शंका उठने लगी। पिता की बार-बार इस तरह घड़ी की कीमत को लेकर अलग-अलग स्थानों पर जाने की बात से वह परेशान हो गया। पर चूंकि यह पिता की आखिरी इच्छा थी इसलिए वह संग्रहालय भी गया। वहां से वापस आकर पिता से कहा, ‘क्यूरेटर ने इस घड़ी की कीमत तीन लाख पचहत्तर हजार लगाई है। वे इस कीमती और अनमोल चीज को अपने यहां संजोकर रखना चाहते हैं।’ अब पिता ने कहा, ‘बस मैं यही चाहता था कि तुम्हें वह सही जगह मिले, जहां तुम्हें सही कीमत का पता चले। तुम खुद को गलत जगह न पाओ। गलत जगह पर अपनी कम कीमत पाकर परेशान न हो जाओ।’ पिता ने आगे कहा, ‘उस जगह पर कभी मत ठहरना जहां तुम्हें लोग कम आंकें, जहां लोग तुम्हें कमतर मानें या तुम्हारी प्रशंसा न करें।’ वे लोग जो अपनी कीमत नहीं जानते, बहुत कम में समझौता कर लेते हैं।

जो अपनी जिंदगी से प्यार करते हैं, वे क्षुद्र विचार वाले लोगों की बातों को अनदेखा कर आगे बढ़ते रहते हैं। आपको खुद को कम समझने से बचना चाहिए। हमेशा खुद को आगे रखें। हां, आपको अपनी कीमत बेहतर करने और इसे और ऊंचा व अनमोल बनाने के लिए खुद पर नियमित काम करना होता है। हरेक दिन जो आप करते हैं वह आपकी कीमत तय करने में बड़ी भूमिका रखता है। दिन आता है, जाता है, कोई बहाना नहीं, कोई शॉर्टकट नहीं, केवल समर्पण और संकल्प आपको वह बनाता है जो आप बन सकते हैं। यदि कोई आपको नहीं समझता, कमतर आंकता है, तो उस पर ध्यान न दें। अपनी ऊर्जा और समय को उन बातों से, ऐसे लोगों से हटाने की जरूरत है। यह समय है जागने का उस हिस्से के प्रति जो आपके भीतर है और आपसे, आपकी जिंदगी से कहीं ज्यादा की मांग कर रहा है।

[फीयरलेस मोटिवेशन डॉट कॉम से साभार]


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