NetaJi Death Mystery: जानें क्यों 75 साल बाद भी नहीं उठा नेताजी की मौत से पर्दा, अभी भी टोक्यो में हैं उनकी अस्थियां
8 अगस्त 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी सफर के बाद वो लापता हो गए। जापान की एक संस्था ने 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जि कारण उनकी मौत हो गई थी।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आजादी के नायक रहे नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की मौत के 75 साल से ज्यादा बीतने के बाद भी आज भी सवालों के घेरे में है। नेताजी की रहस्यमय मौत, प्लेन क्रैश पर शक के साथ-साथ एक बड़ा सवाल यह भी है कि अगर जापान में रखी अस्थियां वाकई नेताजी की हैं तो उन्हें अबतक भारत क्यों नहीं लाया गया?
विमान हादसे में हुई थी नेताजी की मौत!
तथ्यों के मुताबिक 18 अगस्त, 1945 को नेताजी हवाई जहाज से मंचुरिया जा रहे थे और इसी सफर के बाद वो लापता हो गए। हालांकि, जापान की एक संस्था ने उसी साल 23 अगस्त को ये खबर जारी किया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस का विमान ताइवान में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसके कारण उनकी मौत हो गई थी। लेकिन इसके कुछ दिन बाद खुद जापान सरकार ने इस बात की पुष्टि की थी कि, 18 अगस्त, 1945 को ताइवान में कोई विमान हादसा नहीं हुआ था। इसलिए आज भी नेताजी की मौत का रहस्य खुल नहीं पाया।
वहीं, भारत सरकार ने आरटीआइ के जवाब में ये बात साफ़ तौर पर कही है कि उनकी मौत एक विमान हादसे में हुई थी। हालांकि, भारत सरकार की इस बात से सुभाष चंद्र बोस का परिवार नाराज है और इसे एक गैर जिम्मेदाराना हरकत बताया था। नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने ये कहा कि केंद्र सरकार इस तरह कैसे जवाब दे सकती है, जबकि मामला अभी सुलझा नहीं है।
अब भी जापान के मंदिर में रखी हैं अस्थियां
माना जाता है कि सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में संरक्षित हैं। ताइवान में हुई विमान दुर्घटना के बाद नेताजी के पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया गया और उनके अंतिम अवशेष टोक्यो पहुंचाया गया, जहां सितंबर 1945 से ही उनके अवशेष रेंकोजी मंदिर में रखे हुए हैं।
डीएनए टेस्ट नहीं करवाने की शर्त?
जापान से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियों को अब तक भारत क्यों नहीं लाया गया है, इस पर अलग-अलग सरकारें अलग-अलग वजह गिनवाती हैं। कोई इसे राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी तो कोई जापान की साजिश तक बताता है। भाजपा सांसद और फायरब्रांड नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि जब वह पीएम चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में मंत्री बने थे तो उनके पास एक अजीब अनुरोध आया था। इस अनुरोध में जापान ने कहा था कि रिंकोजी मंदिर मे जो अस्थियां रखी हैं, उनको आप (भारत) ले लीजिए लेकिन एक शर्त पर कि आप इसका डीएनए टेस्ट नहीं कराएंगे।
दूसरी तरफ उनका परिवार बार-बार अस्थियां लाकर डीएनए टेस्ट करवाने पर जोर देता रहा। पहले नेताजी की इकलौती बेटी अनीता बोस ने यह मांग की थी। बाद में नेताजी के पौत्र चंद्र कुमार बोस भी इसमें शामिल हो गए। उन्होंने तो यहां तक कहा था कि भारत सरकार को कौन सी बात इससे रोक रही है कि इस अस्थियों के डीएनए का मिलान नेताजी के रिश्तेदारों से करें?
सरकारों में नहीं था इच्छाशक्ति का अभाव
नेताजी पर आधारित पुस्तक ‘लेड टू रेस्ट: द कंट्रोवर्सी ओवर सुभास चंद्र बोस डेथ’ के लेखक आशीष रे के अनुसार, भारत में सुभाष चंद्र बोस के परिवार और विषय से अनभिज्ञ लोगों ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पीवी नरसिम्हा राव को ऐसा करने से रोका, जो कि बोस के अवशेषों को भारत वापस लाना चाहते थे। रे ने कहा कि भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा यह डर दिखाने के बाद कि इससे कोलकाता में दंगे हो सकते हैं। यह भी एक कारण रहा है कि देश की अब तक की सरकारें उनके अवशेषों को वापस लाने की हिम्मत नहीं कर पाई हैं।