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गंदा पानी देख गंगा स्नान नहीं किया नेपाल के राष्ट्रपति ने

हिमालय की गोद में बसे नेपाल के राष्ट्रपति रामबरन यादव ने मंगलवार को गंगा में डुबकी नहीं लगाई। प्रकृति से पैदा श्वेत धवल जल को देखने की आदी आंखें एक बारगी गंगा की वर्तमान दशा देख चिंता से सिकुड़ गई। मैला आंचल और उस पर तैरता कचरे के अंबार ने उनका मन दुखा दिया।

By Edited By: Published: Tue, 25 Dec 2012 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 25 Dec 2012 09:52 PM (IST)
गंदा पानी देख गंगा स्नान नहीं किया नेपाल के राष्ट्रपति ने

वाराणसी [जागरण संवाददाता]। हिमालय की गोद में बसे नेपाल के राष्ट्रपति रामबरन यादव ने मंगलवार को गंगा में डुबकी नहीं लगाई। प्रकृति से पैदा श्वेत धवल जल को देखने की आदी आंखें एक बारगी गंगा की वर्तमान दशा देख चिंता से सिकुड़ गई। मैला आंचल और उस पर तैरता कचरे के अंबार ने उनका मन दुखा दिया।

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राष्ट्रपति मंगलवार सुबह गंगा के उस किनारे पर खड़े थे जहां स्नान की साध सात समंदर पार वालों के लिए भी त्योहार से कम नहीं होती। परिवारीजन के साथ दर्शन-पूजन के बाद वह ललिता घाट पहुंचे थे। खादी का कुर्ता और सदरी पहने, कंधे पर मोटे धागे का हरा गमछा। दशाश्वमेध आने तक घाट से गुजरते एकटक गंगा को निहारते रहे। कुछ बुदबुदाए और चेहरे पर चिंता के भाव लिए वह भारी मन से सीढि़यों से उतरे। भर अंजलि जल उठाया, सिर माथे लगाया [आचमन किया] व अगले ठिकाने के लिए प्रस्थान कर गए। उनके जाने के बाद भी घाट पर राष्ट्रपति के आने, गंगा के इस रूप से दुखी होने और डुबकी न लगाने की चर्चा देर तक होती रही।

कुछ साल पहले तक दुनिया के इकलौते हिंदू राष्ट्र रहे नेपाल के राष्ट्रपति की गंगा जल के प्रति यह अनकही प्रतिक्रिया और चिंता अस्वाभाविक नहीं है। हाल में हुए एक अध्ययन में पता चला है कि प्रदूषण के चलते देश की कोई भी नदी स्नान के लायक नहीं रही है। गंगा के मैदानी इलाके की नदियां अपना स्वरूप खोकर गंदे नालों में तब्दील हो गई हैं जो अपने इर्द-गिर्द रहने वाले करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य के लिए भीषण खतरा बन गई हैं। इन खतरों के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए 11 पर्यावरणविदों का एक दल इन दिनों साइकिल यात्रा पर निकला है। 1800 किलोमीटर लंबी यह यात्रा 27 दिनों में पूरी होगी। पद्मश्री सम्मान प्राप्त पर्यावरणविद अनिल पी जोशी इस जागरूकता अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।

जोशी बताते हैं कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में बह रही यमुना सर्वाधिक प्रदूषित नदी है। इसके अतिरिक्त मैदानी इलाके की वरुणा और गंडक भी अति प्रदूषित अवस्था में हैं। 24 प्रमुख नदियों के अध्ययन से जुड़ी रिपोर्ट यात्रा की समाप्ति पर प्रधानमंत्री कार्यालय और सभी मुख्यमंत्रियों को सौंपी जाएगी।

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