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भारत और नेपाल के विदेश मंत्रियों की अगुवाई में संयुक्त आयोग की बैठक, जानें किन मुद्दों पर हुई बात

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने नेपाली समकक्ष प्रदीप कुमार ज्ञवाली के साथ बैठक की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि यह वार्ता भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक यानी जेसीएम के ढांचे के तहत हो रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 05:42 PM (IST)Updated: Sat, 16 Jan 2021 12:47 AM (IST)
भारत और नेपाल के विदेश मंत्रियों की अगुवाई में संयुक्त आयोग की बैठक, जानें किन मुद्दों पर हुई बात
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने नेपाली समकक्ष प्रदीप कुमार ज्ञवाली के साथ बैठक की।

नई दिल्ली, जेएनएन/एजेंसियां। भारत और नेपाल के रिश्तों में फंसे कई पेंच अब सुलझते नजर आ रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके नेपाली समकक्ष प्रदीप कुमार ज्ञवाली अगुवाई में शुक्रवार को संयुक्त आयोग यानी जेसीएम की बैठक हुई। इस बैठक में द्विपक्षीय संबंधों के सभी आयामों पर चर्चा की गई। इस बैठक को हाल के दिनों में दोनो देशों के बीच हुई सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक बताया जा रहा है। आइये जानें इस बैठक में दोनों देशों के बीच किन मसलों पर चर्चा हुई। 

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नया नक्‍शा लाने के बाद पहली बैठक 

पिछले वर्ष नेपाल की तरफ से भारतीय जमीन को अपने नक्शे में दिखाने को लेकर उपजे विवाद के बाद यह दोनों देशों के बीच पहली उच्चस्तरीय बैठक थी। इस विवाद के चलते दोनों देशों के रिश्तों में काफी तल्खी आ गई थी... रही सही कसर नेपाल में चीन के सीधे हस्तक्षेप से बढ़ गई थी। लेकिन दोनो विदेश मंत्रियों की बैठक में द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों से जुड़े तमाम मुद्दों के अलावा सीमा विवाद पर भी बातचीत हुई।

सीमा प्रबंधन पर भी चर्चा 

जेसीएम के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से बयान जारी किया गया। इस बयान से साफ संकेत मिल रहे हैं कि भारत अपने पड़ोसी देशों की शंका-आशंकाओं के समाधान के लिए कितना खुला दिमाग रखता है। इसमें कहा गया है कि दोनों देशों के बीच सीमा प्रबंधन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई है। 

भारत का लचीला रुख 

भारत अभी तक कहता रहा है कि सीमा विवाद से जुड़े किसी भी विवाद के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच एक व्यवस्था बनी हुई है और नेपाल को कोई समस्या है तो उसी में इस मुद्दे को उठाना चाहिए। लेकिन विदेश मंत्री के स्तर की बैठक में भी भारत ने इस मुद्दे पर बात कर अपन लचीले रुख का प्रदर्शन किया है। 

वैक्‍सीन के मसले पर भी चर्चा  

शुक्रवार को हुई इस बैठक में कोविड वैक्सीन का मुद्दा भी खास रहा। भारत पहले से ही कोविड महामारी से लड़ने में नेपाल को कई तरह से मदद दे रहा है। नेपाल की तरफ से एक करोड़ से ज्यादा वैक्सीन की मांग की गई है। भारत अपनी जरूरत का आकलन कर रहा है और जब वह दूसरे देशों को वैक्सीन की आपूर्ति करेगा तो नेपाल को प्राथमिकता के तौर पर लेगा। नेपाल सरकार ने भारत निर्मित कोविशील्ड वैक्सीन के आपात इस्‍तेमाल को मंजूरी भी दे दी है। 

इन महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर भी हुई बात 

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और प्रदीप कुमार ज्ञवाली के बीच हुई बैठक में दोनों नेताओं ने संपर्क, अर्थव्यवस्था, कारोबार, ऊर्जा, तेल एवं गैस, जल संसाधन, राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े मसले, सीमा प्रबंधन, पर्यटन समेत सहयोग के अनेक पहुलुओं पर विस्तृत बातचीत की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच बहुआयामी सहयोग के सभी विषयों की समीक्षा की गई और दोस्ताना संबंधों को मजबूत बनाने पर चर्चा की गई। 

परियोजनाओं पर भारत ने दिया भरोसा 

बैठक में भारत की मदद से चलाई जा रही सभी परियोजनाओं की समीक्षा भी की गई और भारत ने आश्वस्त किया कि जो भी परियोजनाएं चलाई जा रही हैं उनको समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा और उसमें कोई कोताही नहीं होगी। बीरगंज और बिराटनगर में भारत की मदद से निर्मित चेकपोस्ट से द्विपक्षीय कारोबार को काफी मदद मिल रही है और जल्द ही नेपालगंज में तीसरा चेकपोस्ट तैयार हो जाएगा। 

रेल परियोजना पर भी हुई बात 

भारत ने भैरवा में चौथा चेकपोस्ट बनाने की भी मंजूरी दे दी है। भारत ने नेपाल में दो और हेरिटेज स्थल के विकास की योजना नेपाल के समक्ष बताई। रक्सौल व काठमांडू के बीच रेल परियोजना शुरू करने की संभावना पर भी बातचीत की गई है।

चीन की दखलंदाजी चिंता का सबब 

दोनों देशों के रिश्तों मे चीन का पेंच भी फंसा हुआ है और हाल ही में जिस तरह से नेपाल की राजनीतिक अस्थिरता में चीन ने हस्तक्षेप किया है उससे भारत में भी चिंता है। आधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है लेकिन संकेत है कि नेपाल की के पी शर्मा ओली की सरकार का रूख पहले से काफी बदल गया है। 

भारत का रुख बिल्‍कुल साफ 

सदन रहे कि पीएम ओली नेपाली संसद को बर्खास्त कर चुके हैं और वहां अगले आम चुनाव की तैयारी है। नेपाल के विदेश मंत्री गवाली ने बाद में एक सार्वजनिक सभा में कहा है कि नेपाल भारत व चीन के रिश्तों का आपस में तुलना नहीं करना चाहता। दोनों नेपाल के मित्र राष्ट्र हैं और दोनों देशों ने जो आर्थिक प्रगति की है। उसका नेपाल पर सकारात्मक असर हुआ है।  

ओली के इस कदम से खराब हो गए थे रिश्‍ते 

उल्‍लेखनीय है कि पिछले साल नेपाल सरकार ने लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपने नक्शे में दिखाए जाने के लिए संविधान संशोधन किया था। नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार के इस रुख से दोनों ही देशों के रिश्ते काफी खराब हो गये थे। यही नहीं नेपाल के इस कदम पर भारत ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी... साथ ही नेपाल की ओली सरकार के दावे को खारिज कर दिया था। इस वाकए के चलते दोनों देशों में तनाव गहरा गया था। 


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