टैबलेट न इंजेक्शन, योग करने से बढ़ता है हीमोग्लोबिन
लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) में बढ़ोतरी से लिवर, पीलिया जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है। दोनों ही प्रकार की योग क्रियाओं से बोनमैरो की क्षमता में भी वृद्धि होती है।
वाराणसी (कृष्ण बहादुर रावत)। दमा, शरीर में खून की कमी और कमजोरी जैसी समस्याओं के चलते लोग अक्सर हताश हो जाते हैं। तरह-तरह की दवा खाकर और इंजेक्शन लगवाकर इस दौर में लोग अन्य दुश्वारियों का भी शिकार हो जाते हैं। ऐसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू)से अच्छी खबर है। बीएचयू में आयुर्वेद संकाय में क्रिया शरीर विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. नरेंद्र शंकर त्रिपाठी ने शोध के जरिये साबित किया है कि कपालभांति, प्राणायाम व भ्रामरी योगासन कर व्यक्ति कई बीमारियों से दूर रह सकता है। इससे बीमारियों से निजात ही नहीं बल्कि लोगों के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर भी बना रहता है।
कुछ इस तरह मिला परिणाम
डा. त्रिपाठी का कहना है कि 2016-17 में लंबी दौड़ और क्रिकेट के 152 ऐसे खिलाड़ियों का उन्होंने चयन किया जिनकी आयु 18 से 25 वर्ष तक की थी। परीक्षण के दौरान इन्हें आठ सप्ताह तक दो अलग-अलग समूह में रखा गया। आठ सप्ताह के बाद जिन धावकों ने 30 मिनट तक कपालभांति, प्राणायाम व भ्रामरी योग किया था, उनकी सांस लेने की क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई। उनके हीमोग्लोबिन के स्तर में वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान उन सभी के आरबीसी काउंट में भी दूसरे समूह की अपेक्षा बढ़ोतरी दर्ज की गई।
शोध जर्नल में भी प्रकाशित
लाल रक्त कणिकाएं (आरबीसी) में बढ़ोतरी से लिवर, पीलिया जैसी बीमारियों से भी बचाव होता है। दोनों ही प्रकार की योग क्रियाओं से बोनमैरो की क्षमता में भी वृद्धि होती है। यही नहीं, कैंसर जैसे रोग से लड़ने में भी इससे काफी मदद मिलती है। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोट्र्स 2017 के आठवें संस्करण में प्रकाशित भी हो चुका है।
-बीएचयू में आयुर्वेद संकाय के चिकित्सक ने शोध में किया साबित
-नियमित प्राणायाम, कपालभांति व भ्रामरी योगक्रिया का परिणाम
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