ना समुंदर और ना ही तालाब, ये घर की छत पर कर रहे हैं मोतियों की खेती
शुभम ने बताया ऊतक से मोती घर पर तैयार करना है तो उसे जिस टंकी में रखें वहां का पानी कभी न बदलें।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। नवाचार की कोई सीमा नहीं, घर बैठे-बैठे भी आप मोती उगा सकते हैं। बस आधा टंकी पाने लें और घर की छत पर ऊतक जीवों की खेती करना प्रारंभ कर दें ताकि आपको नौवें महीने में मोतियों की माला मिल जाए। सुन कर अचंभा लगा, लेकिन ऐसा हो रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय का छात्र शुभम राव अपने घर की छत और हॉस्टल में ऊतक जीवों से मोती तैयार कर रहे हैं।
शुभम एंटोमोलॉजी के छात्र हैं। जीव-जंतुओं से तो उनका रोजाना सामना होता है। ऐसे में शुभम ने सोचा क्यों न बस्तर की इंद्रावती नदी के किनारे पाए जाने वाले ऊतकों से मोती की खेती की जाए। इंद्रवती नदी के किनारे रहने वाले आदिवासियों से संपर्क किया और बड़ी तादात में ऊतक मिलने लगे। चुनौती सामने आई की हर ऊतक से मोती तैयार नहीं किया जा सकता। ऐसे में उनका ऑपरेशन कर आसानी से डिजाइनर मोती तैयार किया जा सकता है। ऑपरेशन सफल हुआ और ऊतक डिजाइनर मोती देने लगे। इस पूरी प्रक्रिया को करने में करीब 100 रुपए का खर्च आया। वहीं प्राप्त मोती की जांच सूरत से भी करवाई जा चुकी है।
कैसे मिलता है ऑपरेशन से मोती
शुभम ने बताया कि जगदलपुर में मेरा घर होने के कारण अधिकतर इंद्रावती नदी के घूमने आना-जाना होता था। जब मैने एमएससी एंटोमोलॉजी की पढ़ाई की तो पता चला कि कैल्सियम कार्बोनेट से मोती का क्रिस्टल तैयार होता है। वहीं ऊतक का ऊपरी हिस्सा भी (कवच) कैल्सियम कार्बोनेट का होता है। मैंने तत्काल आदिवासियों से मरे हुए ऊतक लिए, उसके ऊपरी हिस्से को अलग कर मिक्सर में पीसा। जब वह आटे की तरह तैयार हो गया तो उसकी गोली बना कर सांचों में एयरोटाइट से चिपका दिया। अब चुनौती आई की आखिर इसे जिंदा ऊतक के अंदर डाला कैसे जाए। मैनें इसके लिए ऑपरेशन विधि का इस्तेमाल किया। ऊतक के मुंह को थोड़ा सा खोल कर उसके अंदर सांचे को डाल दिया और नौ महीने बाद मोती सांचे के अनुसार तैयार मिला।
ऊतक के अंदर ऐसे होता है मोती तैयार
शुभम ने बताया कि ऊतक सुरक्षा कवच में बंद रहता है। ऐसे में ऑपरेशन के बाद जब कवच के आटे से तैयार सांचा अंदर डाला गया तो ऊतर कवच की सुगंध आने के कारण उसे स्वीकार कर लेता है। वहीं जब सांचा अंदर हो जाता है तो ऊतर को उसके कठोर होने से परेशानी होने लगती है। ऊतर धीरे-धीरे उसे चिकना करने के लिए अपने शरीर का तत्व उसमें लगाने लगता है। करीब नौ महीने के बाद सांचे के ऊपर तत्व मोती के स्वरूप में बदल जाता है।
क्यों डाला ऊतक के कवच को आटा बनाकर
ऊतक के अंदर किसी भी प्रकार की सामग्री डालने पर वह दो से तीन सेकंड में मर जाता था। ऐसे में जब ऊतक के कवच को आंटा बना कर उसे सांचा में ढाल कर डाला गया तो ऊतक उसकी खूशबू को अपना समय कर स्वीकार कर लिया और धीरे-धीरे उसे मोती का रूप देने लगा।
पानी बदलने पर मर जाता है ऊतक
शुभम ने बताया ऊतक से मोती घर पर तैयार करना है तो उसे जिस टंकी में रखें वहां का पानी कभी न बदलें। साथ ही गंदे नाले में पल रही मछलियों को भी उक्त टंकी में डाल दिया जाए। ताकि ऊतक को ऐसा बिलकुल भी एहसास न हो की वह किसी अन्य जगह में है अन्यथा वह क्रिया नहीं करता है। वहीं टंकी में साफ पानी डाल दिया जाए तो ऊतक मर जाता है।