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चंद्रशेखर के कुनबे की रेल हुई बेपटरी

दो साल पहले तक यूपी में अपने अस्तित्व को जूझ रही भाजपा की लोकसभा चुनाव में चली लहर ने कइयों की राजनीतिक रेल को 'डिरेल' कर दिया। तीन दशक बाद पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के कुनबे की राजनीतिक रेलगाड़ी बेपटरी हो गई। भाजपा की लहर भांप इस दल में शामिल हुए उनके पुत्र पंकज शेखर टिकट की ही दौड़

By Edited By: Published: Mon, 19 May 2014 10:41 AM (IST)Updated: Mon, 19 May 2014 11:59 PM (IST)
चंद्रशेखर के कुनबे की रेल हुई बेपटरी

[बृजेश यादव], वाराणसी। दो साल पहले तक यूपी में अपने अस्तित्व को जूझ रही भाजपा की लोकसभा चुनाव में चली लहर ने कइयों की राजनीतिक रेल को 'डिरेल' कर दिया। तीन दशक बाद पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर सिंह के कुनबे की राजनीतिक रेलगाड़ी बेपटरी हो गई। भाजपा की लहर भांप इस दल में शामिल हुए उनके पुत्र पंकज शेखर टिकट की ही दौड़ में हार गए तो उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे दूसरे बेटे नीरज शेखर सपा से और पौत्र एमएलसी रविशंकर सिंह पप्पू बसपा से चुनाव लड़कर।

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चुनाव बाद सूबे से पूरी तरह साफ हो चुकी बसपा और कुनबे तक सिमट कर रह गई सपा के नेताओं ने अब तक की समीक्षा में पाया है कि वह अपनों का ही विश्वास नहीं जीत सके। बता दें कि वर्ष 1984 के चुनाव को छोड़ दिया जाय तो 77 से 2009 तक बलिया संसदीय सीट पर चंद्रशेखर के बाद नीरज शेखर ही काबिज रहे हैं। उधर भाजपा की झोली में आने से शेष रह गई पूर्वाचल की 13 सीटों में से एकमात्र आजमगढ़ सीट पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज कर किसी तरह 'नाक' बचाई।

नीरज-पप्पू नहीं उतरे खरे

बलिया से सपा उम्मीदवार नीरज शेखर वर्ष 2009 में खुद को मिले मतों का आंकड़ा भी नहीं छू सके। पिछले चुनाव में 2 लाख 76 हजार 649 मत पाकर जीतने वाले नीरज के वोट घटकर 2 लाख 20 हजार 89 ही रह गए। पड़ोस की सीट सलेमपुर में बसपा का झंडा ले कर मैदान में उतरे चंद्रशेखर के पौत्र रविशंकर सिंह पप्पू को 1 लाख 59 हजार 871 मत ही मिले। पिछली बार इसी दल से 1 लाख 75 हजार 88 वोट पाकर नीला झंडा फहराने वाले रमाशंकर राजभर का भी आंकड़ा नहीं छू सके।

अपना ही आंकड़ा नहीं छू सकी बसपा

पूर्वाचल में बसपा अपने ही आंकड़ों को नहीं छू सकी। जौनपुर में पिछले चुनाव में इस दल से धनंजय सिंह ने 3 लाख 2 हजार 618 मत पाकर जीत दर्ज की थी। इस बार धनंजय निर्दल मैदान में थे तो बसपा उम्मीदवार सुभाष पांडेय को 2 लाख 20 हजार 839 मत ही मिले। लालगंज [सुरक्षित] सीट पर निवर्तमान सांसद डॉ.बलिराम वर्ष 2009 में मिले 2 लाख 7 हजार 998 से 26 हजार 73 वोट अधिक पाने के बावजूद मुख्य लड़ाई में नहीं आ सके। भदोही में पिछले चुनाव में 1 लाख 95 हजार 808 मत पाकर जीत दर्ज करने वाले सांसद गोरखनाथ के स्थान पर बसपा ने राकेशधर त्रिपाठी को मौका दिया। श्री त्रिपाठी को 2 लाख 45 हजार 388 मत भले ही मिले हों वे मैदान नहीं मार सके। घोसी से सांसद रहे दारा सिंह चौहान ने भी इस बार अपने हासिलात में 13 हजार 87 वोट का इजाफा किया। बावजूद इसके वे हार नहीं बचा पाए।

सपा की सीटों पर लड़ी बसपा

सूबे में सत्तारूढ़ दल सपा के 'पूरे होते वादे' का नारा उसके कब्जे वाली सीटों पर भी पुर असर साबित नहीं हुआ। दुर्गति का आलम यह रहा कि पूरब में सपा के पाले वाली छह सीटों में से चार पर भाजपा से मुख्य लड़ाई में बसपा रही। बलिया में नीरज शेखर व गाजीपुर में शिवकन्या कुशवाहा भले ही दूसरे नंबर पर रहे लेकिन दोनों पूर्व में मिले मत का आंकड़ा भी नहीं छू सके। गाजीपुर में सिटिंग सांसद रहे राधेमोहन सिंह को मिले 3 लाख 79 हजार 233 मतों में इस कदर भीतरघात हुआ कि शिवकन्या 2 लाख 74 हजार 477 पर ही सिमट गईं। चंदौली में रामकिशुन यादव, मीरजापुर में बाल कुमार पटेल, मछलीशहर में तूफानी सरोज व राबर्ट्सगंज में पकौड़ीलाल मुख्य लड़ाई से बाहर रहे।

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