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मातृभाषा हिंदी को अधिक मजबूत बनाने के लिए हर क्षेत्र में पैठ बनाना जरूरी

स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विश्वविद्यालय श्रेणी में एक लाख रुपए का प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले आदित्यनाथ तिवारी हिंदी के उत्थान को लेकर काफी दूरदर्शी हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Published: Mon, 31 Jan 2022 05:54 PM (IST)Updated: Tue, 01 Feb 2022 10:45 AM (IST)
मातृभाषा हिंदी को अधिक मजबूत बनाने के लिए हर क्षेत्र में पैठ बनाना जरूरी
वह बचपन से दैनिक जागरण के पाठक रहे हैं और इसने हिंदी भाषा के प्रचार को मजबूती दी है।

नई दिल्ली, जेएनएन। स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर आयोजित दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विश्वविद्यालय श्रेणी में एक लाख रुपए का प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले आदित्यनाथ तिवारी हिंदी के उत्थान को लेकर काफी दूरदर्शी हैं। उनका मानना है कि मातृभाषा हिंदी को अधिक मजबूत बनाने के लिए उसे हर उस क्षेत्र में पैठ बनानी होगी। उन्होंने कहा कि इस कार्य में दैनिक जागरण एक अमूल्य किरदार निभा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि विधि और विज्ञान के क्षेत्र में समय समय पर होने वाले अनुसंधान व शोध की जानकारी हिंदी भाषा में देकर दैनिक जागरण उन पाठकों के लिए लाभप्रद साबित होगा जिन्हें इनकी आवश्यकता है।

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दिल्ली के आदर्श नगर में रहने वाले आदित्यनाथ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के देवरिया जिला के निवासी हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से वह पीएचडी (शोध) कर रहे हैं। शुरुआत से ही उन्हें लेखन व वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेने में रुचि है। उनके अनुसार दैनिक जागरण की ओर से समय समय पर इस तरह की प्रतियोगिताओं के आयोजन से हिंदी के प्रसार में मदद मिलती है। छात्रों का भी मनोबल बढ़ता है। आदित्यनाथ तिवारी ने बताया कि इंटरनेट के माध्यम से आज लोग अपनी बातों, विचारों को हिंदी में अभिव्यक्त कर पा रहे हैं। सही मायने में यहां हिंदी को बेहतर मंच प्राप्त हुआ है। लोग हिंदी में ही अपनी बात रखना चाहते हैं और उन्हें अब यह मौका मिलने लगा है। उन्होंने बताया वह बचपन से दैनिक जागरण के पाठक रहे हैं और इसने हिंदी भाषा के प्रचार को मजबूती दी है।

हिंदी भाषा के उत्थान और विभिन्न कार्यक्षेत्रों में इसकी उपयोगिता की ओर दिलाया ध्यान दिलाते हुए वह कहते हैं हिंदी भाषी समुदाय अपनी सारी समस्याएं अंग्रेजी में लड़ता है। इसलिए विधि कानून के क्षेत्र में हिंदी व अन्य भाषाओं को शामिल किया जाना चाहिए। इससे इनकी शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों को भी लाभ मिलेगा। इसी प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में हिंदीभाषी विद्यार्थियों के लिए विकल्प होना चाहिए। क्योंकि प्रतिभा में कमी न होते हुए भी भाषा की बाध्यता नही होनी चाहिए।

निबंध प्रतियोगिता में भाग लेकर बहुत कुछ सीखा- निधि

महाविद्यालय श्रेणी में दिल्ली के मंगोलपुरी की निधि यादव ने तीसरा स्थान प्राप्त किया है। उनको पुरस्कार के तौर पर दैनिक जागरण की ओर से 25 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे। निधि यादव दिल्ली विश्वविद्यालय के शिवाजी कालेज की छात्रा हैं। छठीं से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूल से ही की है। निधि ने बताया कि उनके हिंदी के प्रोफेसर तरुण ने उन्हें दैनिक जागरण द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता की जानकारी और उन्हें इसमें भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा मुंबई से उनकी बुआ ने भी फोन करके उन्हें इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा। वह इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए काफी उत्साहित थी। निधि ने बताया कि उन्हें स्कूल के दिनों से ही हिंदी विषय में काफी रूचि रही है। उन्हें हिंदी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। जब वह 12वीं कक्षा में थी तो उनकी हिंदी की शिक्षिका डा. प्रोमिला उन्हें लिखने के लिए बहुत प्रेरित करती थी।

निधि ने बताया कि उन्हें इस प्रतियोगिता की तैयारी के लिए करीब 15 दिन का समय मिल गया था। उन्होंने दैनिक जागरण सहित हिंदी के तमाम अखबारों और इतिहास व राजनीतिक विज्ञान की किताबों को पढ़ा। साथ ही इंटरनेट से भी काफी लेख उन्होंने पढ़े। इसके बाद अपने शब्दों में निबंध लिखकर भेजा। दैनिक जागरण का यह प्रयास काफी अच्छा है। इस प्रतियोगिता में भाग लेकर उन्हें देश के इतिहास से संबंधी काफी नई जानकारियां मिली, जो उन्होंने हमेशा याद रहेंगी। साथ ही प्रतियोगिता में भाग लेकर अब आगे भी इसी तरह लिखने की प्रेरणा मिली है।

निधि के माता संगीता यादव व पिता बृजेश यादव दोनों उत्तर प्रदेश के जौनपुर स्थित बदलापुर गांव में रहते हैं। उनके पिता खेती करते हैं और मां घर का काम संभालती हैं। निधि दिल्ली के मंगोलपुरी क्षेत्र में अपने चाचा, चाची व दादा, दादी और छोटे भाई के साथ रहती हैं। बचपन में वह दोनों भाई बहन पढ़ाने के लिए दिल्ली आ गए थे। निधि बताती हैं कि उनते माता-पिता का सपना है कि वह पढ़ लिखकर खूब नाम कमाए। इस उम्मीद से उन्होंने दोनों बच्चों को खुद से दूर दिल्ली भेज दिया था। निधि आगे जाकर कानूनी पढ़ाई के साथ अपना हिंदी लेखन कार्य भी जारी रखना चाहती हैं।

बीएचयू में पढ़ना, आइएएस अफसर बनना चाहती हैं- प्रिया

दैनिक जागरण द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता की विद्यालय श्रेणी में बदरपुर के अर्पण विहार निवासी प्रिया ने तृतीय स्थान हासिल किया है। उसको बीस हजार रुपए का नकद पुरस्कार मिलेगा। प्रिया ने बताया कि जैसे ही उन्हें नतीजों की जानकारी हुई तो वह खुशी से झूम उठीं। मूलरूप से बिहार के दरभंगा जिला निवासी प्रिया ने बताया कि उनके पिता राजकुमार चौधरी मानेसर के एक स्पोर्ट्स कांप्लेक्स में करते हैं। प्रिया निजामुद्दीन स्थित सत्यवती सूद आर्य गर्ल्स सीनियर स्कूल में 11वीं में पढ़ती हैं। वह भविष्य में आइएएस अफसर बनना चाहती हैं।

प्रिया ने बताया कि निबंध लिखना उनका शौक है। अगस्त में स्कूल में आयोजित हुई निबंध प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया था। इसके बाद 20 सितंबर को स्कूल की शिक्षक ने उन्हें दैनिक जागरण की हिंदी निबंध प्रतियोगिता की जानकारी दी जिसके बाद उन्होंने इसमें हिस्सा लिया और युवाओं को प्रेरणा देने वाला निबंध लिखा। उन्होंने अपने निबंध की शुरूआत में स्वामी विवेकानंद और पूर्व राष्ट्रपति डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के प्रेरणादायक जीवन के बारे में लिखा।

अपने निबंध में प्रिया ने युवा बिजनेसमैन रितेश अग्रवाल और प्रफुल्ल (एमबीए चाय वाला) का भी जिक्र किया। अपने निबंध में प्रिया ने बताया कि युवा देश की ताकत है जो देश को मजबूती प्रदान करने का काम कर सकते हैं। बस उन्हें सही दिशा दिए जाने की जरूरत है। वो काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ना चाहती हैं। इसके लिए वह दैनिक जागरण से मिलने वाली राशि का प्रयोग करेंगी और तैयारी के लिए किताब खरीदेंगी। फिलहाल 11वीं-12वीं में अच्छे अंक लाने पर उनका ध्यान हैं जिसकी तैयारियों में वह जुटी हुई हैं।

सफलता से बढ़ा आत्मविश्वास- गगन

दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता की विद्यालय श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार विजेता गगन उत्साहित हैं। 12वीं कक्षा में अध्ययनरत गगन कहते हैं कि दैनिक जागरण ने न केवल उनकी मेधा को मंच दिया, बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी भर दिया है। वह कहते हैं यह प्रतियोगिता युवाओं को प्रेरणा देने वाली है। मूलरूप से सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) के चुनैटी गांव के रहने वाले गगन सैनी के पिता नरेश कुमार किसान और मां मीना देवी गृहिणी है। गगन ने पांचवीं तक पढ़ाई गांव के स्कूल से ही की। वर्ष 2016 में उन्होंने देहरादून के पास पौंधा स्थित श्रीमद दयानंद आर्षज्योतिर्मठ गुरुकुल में छठी कक्षा में प्रवेश लिया। तब से वह गुरुकुल में ही रहते हैं। गगन संस्कृत के शिक्षक बनना चाहते हैं।

निबंध प्रतियोगिता के बारे में गगन बताते हैं कि उन्होंने 'राष्ट्र निर्माण में युवा शक्ति विषय पर विचार रखे थे। वह कहते हैं-'मुझे यह तो उम्मीद नहीं थी कि द्वितीय पुरस्कार मिलेगा, लेकिन इतना भरोसा था कि सफलता मिलेगी। गगन की सफलता से गुरुकुल में सहपाठियों और आचार्यों में भी उत्साह है। गगन ने बताया कि वह पत्र-पत्रिकाओं का नियमित अध्ययन करते हैं। प्रतियोगिता की तैयारी में उनके वरिष्ठ सत्यकांत आर्य ने मदद की। गगन बताते हैं कि मातृभाषा को सम्मान देना सभी का दायित्व है। उन्होंने बताया कि मातृभाषा के बिना किसी भी राष्ट्र के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती। गगन बताते हैं कि उन्हें कविता लिखने का भी शौक है। उनकी कविताओं का मूलभाव राष्ट्र प्रेम होता है।

फुटपाथी बच्चों की अंधेरी जिंदगी में शिक्षा का उजियारा बिखेरना चाहती हैं सुपर्णा

दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता की महाविद्यालय श्रेणी में पचास हजार रुपए का द्वितीय पुरस्कार जीतने वाली बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के अजय नगर की सुपर्णा पात्रा फुटपाथी बच्चों की अंधेरी जिंदगी में शिक्षा का उजियारा बिखेरना चाहती हैं। 22 साल की सुपर्णा ने कहा-'मैं शिक्षिका बनना चाहती हूं। इसके साथ ही समाज कल्याण के काम भी करना चाहती हूं। मेरा ध्यान फुटपाथी बच्चों पर होगा, जिन्हें पढऩे-लिखने का मौका नहीं मिल पाता है। मैं उन्हें शिक्षित करने की दिशा में काम करूंगी। बांग्लाभाषी होने के बावजूद सुपर्णा की हिंदी में काफी दिलचस्पी है। वह बांग्ला व अंग्रेजी भाषाओं में भी लिखती हैं। लेखनी के अलावा सुपर्णा को बागवानी व पुस्तकें पढऩे का शौक है। हिंदी, बांग्ला व अंग्रेजी साहित्य में काफी रुचि है। सुपर्णा के परिवार में माता-पिता व बड़े भाई हैं। पिता संजीव पात्रा गाड़ी चालक व मां शिखा पात्रा गृहिणी हैं। 

कोलकाता के मुरलीधर गर्ल्स कालेज से सोशियोलाजी (आनर्स) कर रहीं सुपर्णा ने आगे कहा कि उसे निबंध लिखने का शौक है। स्कूल में निबंध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेती थी। जब इंटरनेट पर दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के बारे में देखा तो आनलाइन इसमें हिस्सा लिया। मैंने कोरोना महामारी से पूर्व व बाद की स्थिति पर निबंध लिखा था। प्रतियागिता की महाविद्यालय श्रेणी में द्वितीय पुरस्कार जीतकर काफी उत्साहित हूं।

प्रतियोगिता के माध्‍यम से मुझे मां हिंदी की सेवा का अवसर मिला- आर्यन

यह मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है कि दैनिक जागरण/नईदुनिया जैसे हिंदी के प्रतिष्ठित अखबार द्वारा आयेाजित प्रतियोगिता के माध्‍यम से मुझे मां हिंदी की सेवा का अवसर मिला। राष्‍ट्रीय स्‍तर की रचनाओं के बीच मिले सांत्‍वना पुरस्‍कार ने मुझमें नए उत्‍साह का संचार किया है। मां हिंदी के प्रति गर्व का भाव है और जीवनभर रहेगा। यह कहना है मध्‍य प्रदेश की संस्‍कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर के आर्यन श्रीवास्‍तव का। 16 वर्षीय आर्यन ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थी हैं।

आर्यन ने स्‍वाधीनता के अमृत महोत्सव के तहत दैनिक जागरण/नईदुनिया द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिताओं में दस हजार रुपये का सांत्वना पुरस्कार अर्जित किया है। आर्यन को जब इसकी सूचना मिली तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आर्यन ने बताया कि उनके दादाजी राजकुमार श्रीवास्तव ने नईदुनिया पढ़कर इस निबंध प्रतियोगिता की जानकारी दी और सहभागिता करने के लिए प्रेरित किया। दादाजी के कहने पर इंटरनेट की सहायता से आर्यन ने पहले दिए गए विषय- राष्‍ट्र निर्माण व युवा शक्ति के संबंध में जानकारी एकत्रित की और फिर निबंध लिखा। आर्यन कहते हैं - मुझे इस विषय पर पढ़ने के दौरान पता चला कि हमारे स्‍वाधीनता संग्राम सेनानियों ने कैसे-कैसे बलिदान दिए। मुझे अपने देश को मिली स्‍वतंत्रता का मोल समझ आया।

स्‍वाधीनता और राष्‍ट्र के सेनानियों पर पढ़ते-पढ़ते मेरे भीतर रुचि जाग्रत होती गई और मुझे इस विषय में और जानने की इच्‍छा होती गई इस दौरान पिताजी अनुराग श्रीवास्‍तव व मां वर्षा श्रीवास्‍तव ने भी कुछ बातों को समझने में सहायता की। इस तरह निबंध तैयार हुआ और स्‍वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानियों को प्रणाम करते हुए मैंने निबंध भेज दिया। जबलपुर के पंजाब बैंक कालोनी निवासी आर्यन कहते हैं - 'इस प्रतियोगिता ने मेरे भीतर राष्‍ट्र के प्रति गहरा प्रेम जगा दिया है।

अब मुझे समझ में आ रहा है कि हमें आज जो स्‍वतंत्रता मिली है, उसे पाने के लिए अगणित लोगों ने बलिदान दिया है। अब मैं जीवनभर इस स्‍वतंत्रता का मोल नहीं भूलूंगा और देश का सम्‍मान करूंगा। आर्यन को रचनात्मक लेखन में रुचि है। वे पहले भी कई विषयों पर निबंध लिख चुके हैं, साथ ही कविताएं भी लिखते हैं। रचनात्मक लेखन का यह हौसला भी दादा जी को लिखते देखकर ही मिला है। दैनिक जागरण/नईदुनिया की निबंध प्रतियोगिता में सांत्वना पुरस्कार मिलने के बाद आर्यन का मानना है कि इस पुरस्कार ने उन्हें आगे भी लेखन कार्य करते रहने के लिए प्रेरित किया है। आर्यन ने पढ़ाई में गणित और विज्ञान विषय लिया है। वे आगे चलकर आइएएस बनने और देश की सेवा करने की इच्‍छा रखते हैं। निबंध लेखन भी इसी तैयारी का एक हिस्सा है।

राजभाषा हिंदी के लिए यह समर्पण अभिनंदनीय

दैनिक जागरण के 'हिंदी हैं हम' उपक्रम के अंतर्गत अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता एक सराहनीय कदम है। मेरे माता-पिता दैनिक जागरण के नियमित पाठक रहे हैं। इसी कारण कई वर्षों से मेरे दिन की शुरुआत भी दैनिक जागरण पढ़ के ही होती रही है। विशेषकर हिंदी के समर्थन में दैनिक जागरण हमेशा से ही विशेष आयोजन करते आया है। दैनिक जागरण द्वारा हिंदी दिवस 2021 के अवसर पर घोषित अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता का विज्ञापन देख कर इसमें प्रतिभागिता की।

मैंने मातृभाषा में शिक्षा और शोध बौद्धिक संपदा के लिए लाभदायक विषयक पर निबंध के जरिए अपने विचार रखे। दैनिक जागरण का राजभाषा हिंदी के लिए यह समर्पण अभिनंदनीय है। जब देश का नंबर एक अखबार इस तरह की पहल के लिए आगे आता है तो निश्चित ही उसका प्रबल संदेश होता है। विशेषकर युवा पीढ़ी को हिंदी से जोड़ने के लिए इस तरह की प्रतियोगिताएं बेहद उपयोगी सिद्ध होंगी। ये कहना है अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता के विश्वविद्यालय श्रेणी में पचास हजार रुपए का तृतीय पुरस्कार जीतनेवाले लखनऊ के आनंद कुमार सिंह का।

दस वर्ष पूर्व दैनिक जागरण द्वारा ही आयोजित अखिल भारतीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता ‘पहल’ में मुझे राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय पुरस्कार मिला था, और आज अत्यंत हर्ष का दिन है कि मुझे दैनिक जागरण द्वारा ही प्रायोजित इस अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय श्रेणी में तृतीय पुरस्कार मिला है। आशा करता हूं कि दैनिक जागरण समूह आने वाले समय में भी राजभाषा हिंदी के लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहे। मैं यह पुरस्कार हाल ही में दिवंगत हुए मेरे छोटे भाई आशीष कुमार सिंह को मेरी श्रद्धांजलि स्वरूप अर्पित करता हूं। लखनऊ के मूल निवासी आनंद कुमार सिंह वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली से पीएचडी की पढ़ाई कर रहे हैं। पूर्व में उन्हें राष्ट्रीय, राज्य, जिला एवं विश्वविद्यालय आदि स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। शोध, सांस्कृतिक लेखन, फिल्में देखना और ऐतिहासिक जगहों पर घूमना पसंदीदा कार्यों में से हैं।

आपदा को अवसर में बदला और जीते पुरस्कार : दैनिक जागरण की अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता की महाविद्यालय श्रेणी में कुरुक्षेत्र के सलपानी कलां के सरताज ने देशभर में प्रथम स्थान हासिल किया है। उनको पुरस्कार के तौर पर पचहत्तर हजार रुपए दिए जाएँगे। सरताज ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि उसने कोरोना काल में घर पर खाली बैठने की बजाय निबंध लेखन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। गत वर्ष कोरोना काल में ही उसने लगातार 20 निबंध प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।

सरताज ने उसको बचपन से ही लिखने का शौक है। उसके इसी शौक को मारकंडा नेशनल कालेज में पहुंचने पर डा. शालिनी शर्मा ने पंख लगा दिए। उन्होंने उसे अखबारों में अपने लेख भेजने के लिए प्रेरित किया। बीए अंतिम वर्ष तक पहुंचते-पहुंचते उसने निबंध लेखन में कई अवार्ड हासिल किए। सरताज के पिता सरदार गुरनाम सिंह सेना से सेवानिवृत्त हैं और उनकी माता परमजीत कौर गृहिणी हैं। उनके परिवार ने हमेशा उसके काम की सराहना की है। उनका समर्थन मिलने पर ही वह अभी तक निबंध लेखन की 70 से अधिक प्रतियोगिताएं जीत चुका है। इसके अलावा 40 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में शोधपत्र प्रस्तुत कर चुका है। सरताज ने शाहाबाद के मारकंडा नेशनल कालेज से स्नातक की पढ़ाई की है और अब वह पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के राजनीति विज्ञान विभाग में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं।

नियमित अखबार पढऩे वाला लिख सकता है अच्छा निबंध : आलोक

अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता में शोध छात्रों की श्रेणी में द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले बिहार के औरंगाबाद के आलोक रंजन का मानना है नियमित अखबार पढऩे वाला अच्छा निबंध लिख सकता है। वह दैनिक जागरण के नियमित पाठक हैं और प्रतियोगिता की जानकारी उन्हें दैनिक जागरण के माध्यम से मिली थी। उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के साथ पत्नी को दिया। वह साहित्य के अलावा अन्य विषयों से जुड़ी पुस्तकें पढ़ते हैं। आलोक को दैनिक जागरण की ओर से 75 हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। प्रतियोगिता के परिणाम में द्वितीय स्थान प्राप्त करने की सूचना जब को आलोक को मिली तो वे खुशी से उछल उठे। उन्होंने बताया कि प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे साहित्यकारों की किताबें पढ़कर नियमित रूप से कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। पुरस्कार की राशि से मैं साहित्य से जुड़ी किताबें खरीद अपनी ज्ञान में वृद्धि करूंगा।

औरंगाबाद शहर के सत्येंद्र नगर के निवासी आलोक सरकारी विद्यालय एवं महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण की। उनका सपना प्रोफेसर बनने का है। 2008 में औरंगाबाद शहर के राजर्षि विद्या मंदिर से मैट्रिक की परीक्षा पास की। 2016 में सच्चिदानंद सिन्हा कालेज, औरंगाबाद से हिंदी विषय़ से स्नातकोत्तर किया। बीएड करने के बाद महाराष्ट्र के वर्धा से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई पूरी कर नेट की तैयारी कर रहे हैं। आलोक के पिता अखिलेश्वर सिंह सेना में थे। मां विमला देवी गृहिणी हैं और पत्नी माला कुमारी बीएड कर शिक्षक बनने की तैयारी कर रही हैं। आलोक ने 11 भारतीय वीरांगनाएं किताब लिखी हैं। शहीदों के सम्मान में कई कविताएं भी लिखी हैं।

वृद्धि ने समझाया राष्ट्र निर्माण में युवाओं का महत्व

निबंध लेखन में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार जीतने वाली स्वामी आत्मानंद विद्यालय, रायपुर की 10वीं की छात्रा वृद्धि शर्मा ने राष्ट्र केनिर्माण में युवाओं के योगदान को सरल शब्दों में समझा दिया। वृद्धि ने बताया कि उसे रोज अखबार पढ़ने की आदत है। इस दौरान उसे दैनिक जागरण द्वारा अखिल भारतीय निबंध प्रतियोगिता की जानकारी मिली। पिता की सलाह पर उसने आनलाइन फार्म भरा। प्रतियोगिता में निबंध लेखन के लिए राष्ट्र निर्माण व युवा शक्ति विषय मिला। इस विषय पर अपने विचार के बारे में पिता और बहनों से चर्चा की। साथ ही इंटरनेट के माध्यम से कुछ जानकारियां जुटाई। उसे अपनी सफलता पर संतोष है।

दुर्ग जिले के अमलेश्वर निवासी वृद्धि शर्मा को नौवीं से 12वीं कक्षा के छात्रों की श्रेणी में 50 हजार रुपये का पुरस्कार प्राप्त हुआ है। राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश को गौरवांवित करने वाली वृद्धि का कहना है कि उन्हें लेखन कला की प्रेरणा पिता संतोष शर्मा और बहनें पलक व परिधि से मिली। पिता उन्हें बचपन से ही लिखने-पढ़ने के लिए प्रेरित करते थे। घर में सभी बहनें एक-साथ पढ़ाई करते हैं। स्कूल के विषयों की पढ़ाई के बाद समय मिलने पर हमेशा कविता व लेख लिखतीं हैं। पिता के मार्गदर्शन में पढ़ाई के साथ अखबार पढ़ना भी आदत में शामिल है। इसमें देश-दुनिया में चलने वाली खबरों के साथ ही समाज से जुड़ी जानकारियां मिलती हैं। लेखन को लेकर रूचि बढ़ती गई तो स्कूल व अन्य प्रतियोगितयों में भी भाग लेना शुरू किया। इसे लेकर जहां लोगों की सराहना लगाता मिलती रही।

वृद्धि ने बताया कि भविष्य में डाक्टर बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। इसके लिए वह तैयारी कर रही है। उसने कहा कि हिंदी हमारी मातृभाषा है। हमारी भावना से जुड़े होने की वजह से इससे बेहद प्यार और लगाव है। सामाजिक मुद्दों और समस्याओं को लेकर कविताएं और लेख लिखना पसंद है। लेख के माध्यम से हम न सिर्फ समाज के प्रति अपनी सोच को बताते हैं। समाज में साकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।

स्वाधीनता सेनानियों का सम्मान हमारा कर्तव्य

दैनिक जागरण अखिल भारतीय हिंदी निबंध प्रतियोगिता में सीतापुर के कोरैया उदयपुर निवासी विकास मिश्र को महाविद्यालय श्रेणी में सांत्वना पुरस्कार मिला है। विकास लोक प्रशासन विषय में परास्नातक के साथ ही सिविल की तैयारी कर रहे हैं। निबंध प्रतियोगिता में उन्होंने आजादी के 75 वर्ष और चुनौतियां विषय पर प्रतिभाग किया था।

दैनिक जागरण से बात करते हुए विकास ने कहा कि विद्यालय स्तर पर भी निबंध, भाषण, कविता प्रतियोगिता में प्रतिभाग करते रहते हैं। अध्ययन में काफी रुचि है। उनका कहना है कि कि देश को आजाद कराने में महापुरुषों ने अपना बलिदान दिया है। हम सबका कर्तव्य बनता है कि उन महापुरुषों का सम्मान करें। ऐसी प्रतियोगिताएं राष्ट्र भावना को जगाती हैं। देश के प्रति हमारा क्या दायित्व है, इसके बारे में जानकारी मिलती है। हर युवा को अपने महापुरुषों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। विकास का कहना है जब वह महज प्राथमिक स्तर के छात्र थे तब से उनके घर में दैनिक जागरण समाचार पत्र आ रहा है। मैं तभी से इस समाचार पत्र को पढ़ता आ रहा हूं। स्थानीय खबरों के साथ ही राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय व संपादकीय पढ़ना बहुत अच्छा लगता है।


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