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जम्मू-कश्मीर : अब तक करीब 17 लाख लोगों को दिए गए मूल निवास प्रमाण पत्र, 21 लाख से ज्यादा ने किया है आवेदन

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य में अभी तक 16.79 लाख लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं।

By Neel RajputEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:11 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 06:11 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर : अब तक करीब 17 लाख लोगों को दिए गए मूल निवास प्रमाण पत्र, 21 लाख से ज्यादा ने किया है आवेदन
जम्मू-कश्मीर : अब तक करीब 17 लाख लोगों को दिए गए मूल निवास प्रमाण पत्र, 21 लाख से ज्यादा ने किया है आवेदन

नई दिल्ली, पीटीआई। जम्मू कश्मीर में अभी तक तकरीबन 17 लाख लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट (मूल निवास प्रमाण पत्र) दिए जा चुके हैं। रविवार को लोक सभा में इस बारे में जानकरी देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि राज्य में अभी तक 16.79 लाख लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट दिए जा चुके हैं।

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मंत्री ने बताया कि राज्य के 21,13,879 लोगों ने मूल निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था जिनमें से कुल 16,79,520 लोगों को प्रमाण पत्र दिए जा चुके हैं। इसके अलावा आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं करा पाने के चलते कुल आवेदनों में से 1,21,630 आवेदन खारिज भी किए गए हैं।

रेड्डी ने कहा कि डोमिसाइल सर्टिफिकेट (प्रक्रिया) नियम, 2020 के जम्मू और कश्मीर ग्रांट के नियम 5 के तहत कुछ दस्तावेजों को अनिवार्य किया गया है, जिन्हें आवेदक को आवेदन के साथ संलग्न करना है।

उन्होंने कहा कि जिन आवेदनों के साथ आवश्यक दस्तावेज संलग्न नहीं किए गए हैं, उन्हें खारिज कर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के प्रांतीय पुनर्वास अधिकारी (पीआरओ) के साथ बनाए गए पंजीकरण रिकॉर्ड के अनुसार, 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान छंब नायबत क्षेत्र से कुल 6,565 परिवारों को विस्थापित परिवार के रूप में पंजीकृत किया गया था।

1971 में जम्मू-कश्मीर में विस्थापित इन परिवारों को 4 एकड़ (सिंचित) या 6 एकड़ (सिंचित) की दर से कृषि भूमि आवंटित की गई थी। इसके अलावा प्रति परिवार 7,500 रुपये का नकद मुआवजा भी दिया गया था।

रेड्डी ने कहा कि 1947 में भारत-पाक युद्ध के दौरान कुल 31,619 परिवार पाक अधिकृत जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) से विस्थापित हुए थे। इनमें से 26,319 परिवार पंजीकृत होकर यहां बस गए। उन्होंने कहा कि कुल 5,300 परिवार, जो शुरुआत में पीआरओ, जम्मू और कश्मीर के तहत रजिस्टर किए गए थे वो बाद में देश के अन्य हिस्सों में चले गए।


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