कोयला खदान में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए विशेष विमान मेघालय रवाना
करीब 15 खनिक 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे। खदान में फंसे 15 लोगों को बचाने का कार्य सोमवार को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया था।
नई दिल्ली, एजेंसी। मेघालय (Meghalaya) के जयंतिया हिल्स जिले में कोयला खदान (Coal Mine) में फंसे मजदूरों के बचाने के लिए इंडियन नेवी ने भी मोर्चा संभाल लिया है और कोयला खदान में फंसे मजदूरों को एयरलिफ्ट करने के लिए जॉइंट रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो गया है। इसके पहले ओडिशा फायर सर्विसेज़ की टीम भी एक विशेष विमान में मेघालय पहुंची थी, ताकि खनिकों के बचाव में स्थानीय प्रशासन की मदद कर सकें। खदान में 15 लोगों को फंसे हुए लगभग दो हफ्ते गुजर चुके हैं। एनडीआरएफ (NDRF) की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई है। इस मुद्दे को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। ऐसे में गुरुवार को एनडीआरएफ की ओर से खदान में फंसे लोगों को लेकर ऐसी आशंका जताई जा रही है, जिससे ये मुद्दा और गर्मा सकता है।
करीब 15 खनिक 13 दिसंबर को एक कोयला खदान में फंस गए थे। खदान में फंसे 15 लोगों को बचाने का कार्य सोमवार को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया था। उपायुक्त एफएम दोप्थ ने बताया कि नए पंप मिलने के बाद बचाव कार्य फिर से चालू किया जाएगा। उपायुक्त ने कहा, 'पानी निकालने के लिए लगे पंपों से पानी का स्तर नीचे नहीं किया जा सका है, इसलिए इस कार्य को अस्थाई तौर पर रोक दिया गया।' सोमवार को पुलिस अधीक्षक सिलवेस्टर नौंगटिंगर ने कहा कि राहत व बचाव अभियान में राष्ट्रीय व राज्य स्तर के करीब 100 कर्मी जुटे हैं। पानी घटने का इंतजार किया जा रहा है। जब पानी का स्तर करीब 30 फीट तक घट जाएगा, तब गोताखोर अपने अभियान पर जुटेंगे। बचाव कार्य में जुटी एनडीआरएफ टीम के कमांडेंट एसके सिंह ने कहा कि खदान में पानी का स्तर अभी 70 फीट है।
बुधवार को खदान में पानी घटने के बाद एनडीआरएफ की टीम ने एक बार फिर बचाव कार्य शुरू किया। कुछ गोताखोरों को खदान में फंसे लोगों की खोज के लिए भेजा गया, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी। बचाव कार्य में जुटे एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट संतोष सिंह ने बताया, 'पानी से दुर्गंध आ रही है। ये अच्छे संकेत नहीं हैं।' हालांकि उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन एनडीआरएफ के अन्य अधिकारियों की मानें तो पानी से दुर्गंध आने का मतलब है कि खदान में फंसे लोग जीवित नहीं हैं। अब उनकी बॉडी भी डिकंपोज(गलनी) भी शुरू हो गई है। ऐसे में खदान के अंदर कोई जीवित होगा, इसकी संभावना बहुत कम नजर आ रही है।
खदान में फंसे लोगों को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम के 70 अधिकारी मौजूद हैं। एनडीआरएफ ने स्थानीय प्रशासन से कम से कम दस 100-एचपी पंप की मांग की थी, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। एनडीआरएफ के अधिकारियों का कहना है कि 14 दिन में केवल खदान में फंसे लोगों के 3 हेलमेट ही मिल पाए हैं। लगभग 300 फीट खदान में फंसे लोगों के बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है।
बता दें कि अवैध रूप से कोयला निकालने गए 15 लोग पिछले 13 दिसंबर से खदान में फंसे हैं। 13 दिसंबर को कुल 20 लोग खदान में घुसे थे जिसमें पांच बाहर आने में सफल रहे। सारे लोग खदान में संकरी सुरंगों से घुसे। स्थानीय लोगों के अनुसार खदान में घुसे लोगों में से किसी ने गलती से नदी से नजदीक वाली दीवार तोड़ दी जिससे सुरंग में पानी भर गया।