अब अपराधियों के लिए आसान नहीं होगा पहचान छुपना, NCRB को इस तकनीक से मिलेगी मदद
फरार अपराधियों के लिए अपनी पहचान छुपाकर कहीं छिपना आसान नहीं होगा। इनकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए NCRB चेहरा पहचानने वाली तकनीक का सहारा लेगी।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। अब फरार अपराधियों के लिए अपनी पहचान छुपाकर कहीं छिपना आसान नहीं होगा। ऐसे अपराधियों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) चेहरा पहचानने वाली तकनीक का सहारा लेगी। एनसीआरबी ने 'नेशनल ऑटोमेटेड फेशियल रेकग्निशन सिस्टम' (NAFRS) संबंधित साफ्टवेयर और हार्डवेयर उपलब्ध कराने के लिए कंपनियों से टेंडर मंगा लिया गया है। इसके साथ ही फिंगरप्रिंट से भी अपराधियों की पहचान के लिए 'नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम' (NAFIS) बनाने की योजना है।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिंगरप्रिंट और चेहरे से व्यक्ति की पहचान बताने वाला यह सिस्टम कई तरीके से अपराध की जांच और अपराधियों पर शिकंजा कसने में मददगार हो सकता है। इस सिस्टम के लागू हो जाने के बाद कोई भी अपराधी अपनी पहचान बदलकर किसी दूसरे नाम से कहीं नहीं छुप सकता है। यहां तक कि भगोड़े आतंकियों की भी इससे आसानी से पहचान हो सकती है।
हाल में ही 2011 में नीतू सोलंकी हत्याकांड के आरोपी रोहन दहिया के गुरुग्राम में छिपे होने और राजू गहलोत के नाम से विभिन्न कंपनियों में नौकरी करने का मामला सामने आया था। उसने राजू गहलोत के नाम से सारे फर्जी पहचान पत्र भी बनवा लिए थे और उसका पुलिस वेरीफिकेशन भी होता रहा। जबकि ऑटेमेटेड फेशियल रेकग्निशन सिस्टम से उसकी पहचान आसानी से हो सकती थी। राष्ट्रीय स्तर पर इस प्रणाली के लागू होने से अपराधियों का पहचान बदलकर छिपना संभव नहीं होगा।
गुमशुदा बच्चों की खोज, लावारिश लाशों की पहचान में मिलेगी मदद
इसके अलावा नया सिस्टम गुमशुदा बच्चों की खोज और लावारिस लाशों की पहचान करने में भी मददगार साबित होगा। देश के किसी भी हिस्से से ऐसे बच्चों की आसानी से पहचान कर उसके असली माता-पिता के पास पहुचाया जा सकेगा। इसके अलावा प्राकृतिक व अन्य दुघर्टना में मारे जाने वाले लोगों की पहचान भी इस सिस्टम के माध्यम से आसानी से हो सकेगी। पुलिस इस सिस्टम के माध्यम से लावारिश लाश मिलने के मामले की जांच आसानी से कर सकेगी।