नई दिल्ली, विवेक तिवारी। पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों और प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए पूरी दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग तेजी से बढ़ी है लेकिन महंगी लीथियम आयन बैटरी के चलते पेट्रोल और डीजल गाड़ियों की तुलना में इन गाड़ियों की कीमत काफी ज्यादा है। ऐसे में पूरी दुनिया में वैज्ञानिक इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत घटाने के लिए सोडियम आयन बैटरियों को विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक सोडियम आयन बैटरियां लीथियम बैटरियों की तुलना में ज्यादा सस्ती, सुरक्षित और इनवायरमेंट फ्रेंडली हैं।

अमेरिका के यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी की पैसिफिक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी (PNNL) की एक रिसर्च टीम ने लम्बे शोध के बाद सोडियम आयन बैटरी विकसित की है। नेचर एनर्जी जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र में PNNL के प्रमुख लेखक जिगुआंग झांग कहते हैं कि सोडियम आयन बैटरी भविष्य की तकनीक है। ये बैटरियां एक पूरे दिन इलेक्ट्रिक व्हीकल की जरूरत को पूरा कर सकती हैं। इन बैटरियों में सौर ऊर्जा को भी स्टोर किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि समय के साथ बैटरी में विद्युत प्रवाहित करनेवाली विद्युत रासायनिक प्रतिक्रियाएं सुस्त हो जाती हैं और बैटरी रिचार्ज नहीं हो पाती है। वर्तमान सोडियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकियों में, यह प्रक्रिया लीथियम-आयन बैटरी की तुलना में बहुत तेज होती है। पहली बार, वैज्ञानिकों ने सोडियम आयन बैटरी को प्रयोगशाला परीक्षण के दौरान एक सिक्के के आकार की बैटरी को 300 से ज्यादा बार रीचार्ज किया। इसके बावजूद बैटरी की 90 फीसदी क्षमता बनी रही।

पैनासॉनिक लाइफ सॉल्यूशंस इंडिया के एनर्जी सिस्टम डिवीजन के अतुल आर्या का कहना है कि मानकों को पूरा करने और बैटरी सेफ्टी के रेगुलेशन की भारत सरकार द्वारा घोषणा होने के बाद यह उपभोक्ताओं को इलेक्ट्रिक व्हीकल अधिक लेने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

सोडियम आयन बैटरी इन चिंताओं को दूर कर सकती हैं

हाल ही में बैटरी में लीथियम की जगह सोडियम का उपयोग कर लंदन इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों ने एक तेजी से चार्ज होने वाले प्रोटोटाइप बैटरी बनाई है। वैज्ञानिकों ने लीथियम के विकल्प के तौर पर सोडियम को चुना क्योंकि यह प्रकृति में लीथियम से ज्यादा मात्रा में मिलता है और आसानी से उपलब्ध है। प्रमुख शोधकर्ता और इंपीरियल के प्रोसेसेबल इलेक्ट्रॉनिक केंद्र एवं कैमिस्ट्री विभाग के डॉ फ्लोरेन ग्लोक्लोफर के मुताबिक लीथियम आयन आधारित बैटरी के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों को लेकर पूरी दुनिया में चिंता जताई जा रही है। सोडियम आयन बैटरी इन चिंताओं को दूर कर सकती हैं। डॉ फ्लोरेन के मुताबिक जैसे-जैसे उपकरण पुराना होता जाता है लीथियम बैटरी अपनी क्षमता खो देती हैं। लेकिन हमारी प्रोटोटाइप बैटरी ने 500 बार चार्ज करने के बाद भी अपनी क्षमता नहीं गंवाई। इससे साफ है कि व्यावसायिक तौर पर इसके उत्पादन में कोई परेशानी नहीं होगी।

भारतीय वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता

भारत में भी सोडियम आयन बैटरी के विकास पर तेजी से काम चल रहा है। हाल ही में आईआईटी खड्गपुर के शोधकर्ताओं ने नैनो-मटेरियल के इस्तेमाल से सोडियम आयन बेस्ड बैटरी और सुपरकैपेसिटर को डेवलप किया गया है। इन बैटरियों को वर्तमान में प्रयोग हो रही लीथियम आयन बैटरियों की अपेक्षा अधिक बेहतर माना जाता है। दरअसल सोडियम नैचुरल रूप से प्राकृतिक पर्याप्त मात्रा में मौजूद है जिससे इन बैटरियों को बनाने की लागत भी कम होती है। इस सोडियम आयन पर आधारित एनर्जी तकनीक को डेवलप करने वाले और टीम को लीड करने वाले आईआईटी खड्गपुर के फिजिक्स के प्रोफेसर अमरीश चंद्रा के मुताबिक इन बैटरियों को बहुत जल्दी चार्ज किया जा सकता है और इन्हें इलेक्ट्रिक साइकिल के साथ इंटीग्रेटेड किया जा सकेगा। प्रोफेसर चंद्रा के मुताबिक सोडियम-आयन तकनीक से बनी बैटरी और सुपरकैपेसिटर, लिथियम-आयन बेस्ड बैटरियों से मुकाबला कर सकती हैं। सोडियम-बेस्ड ऑक्साइड और कार्बन के नैनोस्ट्रक्चर के कॉम्बिनेशन से हाई एनर्जी और पॉवर वाले उपकरणों को बनाया जाता है। इन उपकरणों का उपयोग बैटरी चलित वाहनों में किया जा सकता है जिससे लीथियम को आयात करने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी। प्रोफेसर चंद्रा के मुताबिक लीथियम की तुलना में सोडियम आयन बैटरी के इस्तेमाल से इलेक्ट्रिक गाड़ी की कीमत में 25 फीसदी से ज्यादा की कमी आ सकती है।

ईवी की कीमत में 60 फीसदी हिस्सेदारी बैटरी की

इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है। लेकिन पेट्रोल और डीजल की तुलना में इनकी कीमत अब भी काफी अधिक है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स के पूर्व एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (तकनीकी) के.के. गांधी कहते हैं कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कुल कीमत का 50 से 60 फीसदी हिस्सा लीथियम आयन बैटरी का ही होता है। ऐसे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की कीमत घटाने के लिए लीथियम आयन बैटरी के विकल्प तलाशने के लिए पूरी दुनिया में रिसर्च चल रही है। सोडियम आयन बैटरी आने वाले समय में लीथियम आयन बैटरी का विकल्प हो सकती है। दरअसल लीथियम की तुलना में सोडियम प्रकृति में आसानी से उपलब्ध है। हालांकि अगले दो से तीन साल में लीथियम आयन बैटरी को पूरी तरह से बदल पाना मुश्किल है। इस बदलाव में कुछ समय लगेगा।

भारत के लिए बड़ी संभावना

प्राकृतिक तौर पर लीथियम की उपलब्धता कम है और मांग बढ़ने से इसकी कीमत काफी तेजी से बढ़ रही है। आज के वक्त में लैपटॉप-मोबाइल से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल तक में लीथियम बैटरियों का इस्तेमाल होता है। 2012 में लीथियम की कीमत करीब 4500 डॉलर प्रति टन थी। ये आज करीब 80 हजार डॉलर प्रति टन तक पहुंच चुकी है। वहीं सोडियम आसानी से प्रकृति में उपलब्ध है। सोडियम हाइड्रॉक्साइड की कीमत करीब 800 डॉलर प्रति टन है। दुनिया में लीथियम की तुलना में सोडियम का भंडार सैकड़ों गुना अधिक है। सोडियम आयन बैटरी के कई फायदे हैं। एक तो सोडियम का भंडार बहुत बड़ा है, वहीं दूसरी ओर इसे निकालना बहुत आसान है। साथ ही सोडियम आयन बैटरियों में कोबाल्ट की जरूरत नहीं होती, जो लीथियम में इस्तेमाल होता है। मध्य अफ्रीका में कोबाल्ट की माइनिंग बहुत मुश्किल से होती है।