दिल्ली में सियासी नूरा कुश्ती का होगा पटाक्षेप, क्या केजरीवाल की अपील करेगी असर?
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अपील के बाद अधिकारियों के रुख में भी नरमी आई है। अधिकरी सुरक्षा मामले को लेकर सीएम से बातचीत को तैयार हो गए हैं।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली में जारी धरने की सियासत हरपल नया मोड़ ले रही है। सीएम केजरीवाल एलजी हाउस से हटने को तैयार नहीं हैं तो वहीं विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस ने केजरीवाल पर दिल्ली की समस्याओं की अनदेखी का आरोप लगाया है। सबके अपने तर्क हैं लेकिन इस सियासी भंवर के बीच आम जनता फंसी हुई नजर आ रही है।
दिल्ली में कौन हल करेगा लोगों की परेशानी
सियासी दल सियासत में व्यस्त हैं और जनता उम्मीद लगाए बैठी है कि कब दिल्ली पर छाए संकट के बादल छटेंगे और उनकी परेशानी का हल होगा। दिल्ली में बिजली और पानी की समस्या लगातार विकराल रूप लेती जा रही है, हालात ये हैं कि पानी को लेकर आए दिन झगड़े हो रहे हैं जिसमें लोगों की जान भी गई है। विवाद यहां तक पहुंच गया है कि राजनिवास और सीएम केजरीवाल के बीच जारी गतिरोध का मामला पीएम नरेंद्र मोदी तक जा पहुंचा।
सुलह का रास्ता
इस बीच अब खबर है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की अपील के बाद अधिकारियों के रुख में भी नरमी आई है। अधिकरी सुरक्षा मामले को लेकर सीएम से बातचीत को तैयार हो गए हैं। इससे पहले इसी मुद्दे पर केजरीवाल ने ट्वीट कर IAS अधिकारियों को आश्वासन दिया था कि अधिकारी काम पर आएं, उन्हें डरने की कोई जरूरत नहीं। जिसके बाद अब अधिकारियों के रुख में बदलाव हुआ है और पिछले कई दिनों से जारी गतिरोध सुलह की तरफ बढ़ता हुआ दिख रहा है।
केजरीवाल बोले- सुनिश्चित करूंगा सुरक्षा
केजरीवाल ने ट्वीट किया था कि 'मुझे बताया गया है कि IAS एसोसिएशन ने प्रेस कांफ्रेंस में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। मैं उन्हें आश्वासन देता हूं कि मैं अपनी शक्ति और संसाधनों के भीतर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करूंगा। यह मेरा कर्तव्य है। मैंने ऐसे ही आश्वासन कई अधिकारियों को भी दिए हैं, जिन्होंने मुझसे निजी तौर पर मुलाकात की है। मैं यही बात फिर दोहराता हूं।'
परिवार की तरह हैं अधिकारी
केजरीवाल ने यह भी कहा था कि 'अधिकारी परिवार की तरह हैं। मैं उनसे गुजारिश करूंगा कि सरकार का बहिष्कार करना बंद करें और काम पर लौटें। मंत्रियों की बैठकों में उपस्थित होना शुरू करें, फोन और मैसेज का जवाब दें, उन्हें बिना किसी भय या दबाव के काम करना चाहिए। वह किसी के भी दबाव में न आएं, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार या कोई अन्य राजनीतिक दल।'
अधिकारियों ने हड़ताल का किया खंडन
गौरतलब है कि रविवार को दिल्ली IAS एसोसिएशन ने प्रेस कांफ्रेंस कर आम आदमी पार्टी के इस दावे का खंडन किया था कि अधिकारी हड़ताल पर हैं। साथ ही, आरोप लगाया था कि उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। राजस्व सचिव मनीषा सक्सेना ने संवाददाता सम्मेलन कहा कि दिल्ली में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी गंभीरता और समर्पण से काम कर रहे हैं। अधिकारी राजनीति में शामिल नहीं हैं, उनका काम सरकार की नीतियों को लागू करना है। सक्सेना ने यह भी कहा था 'हमें निशाना बनाया गया और कहा गया कि हम किसी के साथ काम कर रहे हैं। हम यह बताना चाहेंगे कि हम हड़ताल पर नहीं हैं।'
तीन मांगों को लेकर दिया धरना
गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तीन मांगों को लेकर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य मंत्रियों के साथ उपराज्यपाल के कार्यालय में धरना दे रहे हैं। धरने पर बैठे केजरीवाल की पहली मांग यह है कि दिल्ली सरकार में कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की हड़ताल तुरंत खत्म कराई जाए, दूसरी मांग काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाए और तीसरी मांग है कि राशन की दरवाजे पर आपूर्ति की योजना को मंजूरी दी जाए। यहां यह भी बता दें भूख हड़ताल की वजह से सत्येंद्र जैन व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है।
कोर्ट तक पहुंचा मामला
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के बीच जारी लड़ाई अदालत पहुंच चुकी है। सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि धरने की अनुमति किसने दी। जिसके जवाब में दिल्ली सरकार के वकील ने कहा की ये एक निजी फैसला है। हाई कोर्ट ने कहा कि आप किसी के घर में जबरन अंदर बैठकर धरना नहीं दे सकते हैं। जहां पर मुख्यमंत्री धरना दे रहे हैं वह उपराज्यपाल के कार्यालय का हिस्सा है।
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