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दिल्ली पहुंची भारत की सबसे आधुनिक ट्रेन-18, जानें क्‍या है खासि‍यत

रेलवे अधिकारियों के अनुसार ट्रेन 18 शताब्दी ट्रेन की तुलना में 15 फीसद से अधिक समय बचाएगी। इसकी रफ्तार का ट्रायल दिल्ली से मथुरा जाने वाले रूट पर होगा।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 05:59 PM (IST)Updated: Thu, 15 Nov 2018 09:45 AM (IST)
दिल्ली पहुंची भारत की सबसे आधुनिक ट्रेन-18, जानें क्‍या है खासि‍यत
दिल्ली पहुंची भारत की सबसे आधुनिक ट्रेन-18, जानें क्‍या है खासि‍यत

नई दिल्‍ली, जेएनएन। भारत की सबसे आधुनिक ट्रेन-18 दिल्ली पहुंच गई है। अब यह ट्रायल के लिए मुरादाबाद जाएगी। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई में तैयार यह ट्रेन 'मेक इन इंडिया' की सफलता का उदाहरण है। इसे रिकॉर्ड समय और कम लागत में तैयार किया गया है। इस ट्रेन में अलग से इंजन लगाने की जरूरत नहीं है। यह ट्रेन इस समय रेलवे के शोध संस्थान अनुसंधान अभिकल्प एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) के अधीन है और इसके अधिकारी ही आधुनिक मशीनों व तकनीक के माध्यम से इस गाड़ी का परीक्षण करेंगे। ट्रेन-18 को शताब्दी और राजधानी की जगह पर चलाने की योजना है।

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क्‍यों रखा गया नाम ट्रेन-18
इस ट्रेन का नाम ट्रेन 18 क्‍यों रखा गया यह सवाल आपके जेहन में आ रहा होगा अन्‍य ट्रेनों की तरह इसके नाम किसी जगह या अन्‍य किसी खास खसियत के नाम पर क्‍यों नहीं रखे गए इस सवाल का जवाब है कि यह ट्रेन भारतीय रेलवे लोगों को 2018 में देने की तैयारी में है। इसलिए इसका नाम ट्रेन -18 रखा गया है।

बुलेट ट्रेन से पहले यह अहम ट्रेन
एक तरफ भारत में बुलेट ट्रेन लाने की तैयारी हो रही है। जाहिर है बुलेट ट्रेन की स्‍पीड का मुकाबला कोई अन्‍य ट्रेनें नहीं कर सकती हैं। लेकिन, ट्रेन 18 तेज चलने वाली ट्रेनों की कड़ी में अहम पड़ाव साबित होगी। यह ट्रेन सेमी हाईस्‍पीड ट्रेन है। हालांकि मौजूदा तेज चलने वाली राजधानी और शताब्‍दी ट्रेनों से यह ज्‍यादा तेज चलेगी। यात्रियों की सुविधा के लिए इसमें अधिक बड़े रैक होने से यात्रियों को ज्‍यादा से ज्‍यादा सामान रखने की सहूलियत दी गई है।

पर्यावरण संरक्षण में भी मिलेगी मदद
ट्रेन-18 ट्रेन में 16 कोच हैं। प्रत्येक चार कोच एक सेट में हैं। ट्रेन सेट होने के चलते इस ट्रेन के दोनों ओर इंजन हैं। इंजन भी मेट्रो की तरह छोटे से हिस्से में हैं। ऐसे में इंजन के साथ ही बचे हिस्से में 44 यात्रियों के बैठने की जगह है। इस तरह से इसमें ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे।

ये है खास
यह 15 से 20 फीसद ऊर्जा बचाएगी और कार्बन फुटप्रिंट का उत्सर्जन भी कम होगा। अधिकारियों ने बताया कि पहला ट्रेन सेट 18 माह में 100 करोड़ की लागत से तैयार हुआ है। विदेश में इस तरह के ट्रेन लगभग तीन वर्षों में तैयार होते हैं। विदेश से इसे भारत में लाने पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ते।

मुरादाबाद से सहारनपुर के बीच होगा ट्रायल
ट्रेन-18 का पहला ट्रायल मुरादाबाद से सहारनपुर के बीच करीब 100 किलोमीटर के ट्रैक पर होगा। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि टी-18 में यात्रियों की जगह पर रेत भरी बोरियां रख कर ट्रायल होगा। ट्रेन की ब्रेक, सुरक्षा एवं संरक्षा सहित सभी तकनीकी पहलुओं की जांच के बाद इस ट्रेन को रेलवे संरक्षा आयुक्त के पास भेजा जाएगा।

मथुरा रूट पर होगी रफ्तार की जांच
रेलवे अधिकारियों के अनुसार ट्रेन 18 शताब्दी ट्रेन की तुलना में 15 फीसद से अधिक समय बचाएगी। इसकी रफ्तार का ट्रायल दिल्ली से मथुरा जाने वाले रूट पर होगा। इस रूट पर ही अब तक देश की सबसे तेज ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस भी चलती है। इस आधुनिक ट्रेन को अधिकतम 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक की गति से चलाया जा सकेगा।


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