Move to Jagran APP

डीजल कीमतों में कमी की तत्काल उम्मीद नहीं, जानें- क्या पड़ेगा इसका असर

पहली बार देश के किसी क्षेत्र में डीजल पेट्रोल से महंगा हुआ है। देश के दूसरे हिस्से (मुंबई कोलकाता चेन्नई) में पेट्रोल व डीजल के बीच वैसे अभी 5-8 रुपये प्रति लीटर का अंतर है ।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 08:46 PM (IST)
डीजल कीमतों में कमी की तत्काल उम्मीद नहीं, जानें- क्या पड़ेगा इसका असर
डीजल कीमतों में कमी की तत्काल उम्मीद नहीं, जानें- क्या पड़ेगा इसका असर

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली । पिछले 18 दिनों से देश में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में एक ऐसा काम कर दिया है जिसकी कुछ महीने पहले तक कल्पना करना भी मुश्किल था। बुधवार को तेल कंपनियों ने डीजल की खुदरा कीमतों में 48 पैसे की वृद्धि की तो दिल्ली में इसकी कीमत 79.88 रुपये प्रति लीटर हो गई। यह पेट्रोल की खुदरा कीमत से 12 पैसे प्रति लीटर ज्यादा है। पहली बार देश के किसी क्षेत्र में डीजल पेट्रोल से महंगा हुआ है। देश के दूसरे हिस्से (मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) में पेट्रोल व डीजल के बीच वैसे अभी 5-8 रुपये प्रति लीटर का अंतर है लेकिन पूर्व के 18-20 रुपये के मुकाबले बहुत कम है। 6-7 वर्ष पहले यह अंतर 30-34 रुपये तक का था। पिछले 18 दिनों में सरकारी तेल कंपनियां लगातार कीमत बढ़ा रही हैं।

prime article banner

दिल्ली में डीजल की कीमतों के पहली बार पेट्रोल से आगे निकल जाने के पीछे मुख्त तौर पर 15 मई, 2020 को दिल्ली सरकार की तरफ से डीजल पर वैट की दर को 16.75 फीसद से बढ़ा कर 30 फीसद किया जाना जिम्मेदार रहा है। वैसे दिल्ली सरकार के इस फैसले के कुछ हफ्ते पहले केंद्र सरकार ने डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर का अतिरिक्त विशेष उत्पाद शुल्क लगाया था। इंडियन आयल कार्पोरेशन के चेयरमैन संजीव सिंह का कहना है कि दिल्ली में वैट लगाने की वजह से खुदरा कीमत में 7.10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करनी पड़ी है।

एक महीने पहले तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता था तो इस बढ़ोतरी को सहन किया गया लेकिन अब मई, 2020 के मुकाबले क्रूड की कीमत दोगुनी हो चुकी है। इसलिए केंद्र व राज्यों की तरफ से उत्पाद शुल्क व वैट में जो वृद्धि की गई है उसका समायोजन किया जा रहा है। पिछले 18 दिनों में देश में पेट्रोल की कीमत में 8.5 रुपये प्रति लीटर और डीजल में 10.49 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि हो चुकी है। आगे आम जनता को राहत मिलेगी या नहीं यह केंद्र व राज्य सरकारों पर निर्भर करेगा।

राजस्व संग्रह का बना प्रमुख जरिया :

जहां तक केंद्र व राज्यों की स्थिति का सवाल है तो उस बात की संभावना कम ही है कि वे मौजूदा हालात में शुल्क कटौती करेंगे। इसके पीछे वजह यह है कि कोविड-19 की वजह से जिस तरह से आर्थिक सुस्ती है उसमें उक्त दोनो सरकारों के लिए राजस्व वसूली का एकमात्र रास्ते पेट्रो उत्पाद ही बचे हैैं। लॉकडाउन के दौरान मांग बहुत कम रहने के बावजूद अप्रैल-मई, 2020 में केंद्र सरकार ने पेट्रो उत्पादों से 40 हजार करोड़ रुपये का राजस्व संग्रह किया है जो समूचे साल के लक्ष्य का 16 फीसद है।

जून में पेट्रोल-डीजल की खपत और ज्यादा हो रही है क्योंकि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ज्यादातर लोग पर्सनल वाहन चला रहे हैैं। यह हालात आगे भी बने रहने की उम्मीद है। दूसरी जगहों से राजस्व नहीं मिलने की वजह से राज्य सरकारें डीजल पर भी डीजल से भी ज्यादा वैट वसूलने की कोशिश कर रही हैैं। इसका असर महंगाई की दर पर भी पड़ेगा। देश में बड़े पैमाने पर माल ढुलाई का काम डीजल चालित वाहन ही करते हैैं। देश की महंगाई दर को ईंधन की कीमतें सीधे तौर पर 15 फीसद तक प्रभावित करती हैैं। ऐसे में डीजल कीमतों में इतनी तेज वृद्धि का ज्यादा व्यापक असर इकोनॉमी पर होगा।

और घटेगी डीजल वाहनों की मांग 

पेट्रोल के मुकाबले डीजल के ज्यादा महंगा होने का एक बड़ा असर आटोमोबाइल कंपनियों पर होगा। मारुति सुजुकी के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (सेल्स व मार्केटिंग) शशांक श्रीवास्तव का कहना है कि, ''जिन कंपनियों ने डीजल वाहनों पर दांव लगाया है उन पर ज्यादा असर होगा। पहले से ही यह देखा जा रहा है कि डीजल के मुकाबले ग्राहक पेट्रोल वाहनों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहा है, अब पेट्रोल वाहनों की मांग और बढ़ेगी। 6-7 साल पहले देश में पेट्रोल डीजल के मुकाबले औसतन 32 रुपये प्रति लीटर ज्यादा महंगा था। पिछले वर्ष यह अंतर 16 रुपये का था जो अब औसतन 5 रुपये का रह गया है। दिल्ली में तो डीजल महंगा है। गुजरात, झारखंड, गोवा, गुजरात जैसे कई राज्यों में अंतर बहुत कम रह गया है। इस वजह से देश के पैसेंजर कार बाजार में डीजल वाहनों की हिस्सेदारी इन वर्षों में 60 फीसद से घट कर 17 फीसद रह गई है।

यही वजह है कि मारुति ने पहले ही डीजल वाहन बनाने से तौबा कर चुकी है। लेकिन दूसरी कई कार कंपनियां डीजल वाहनों पर भारी भरकम निवेश कर चुकी हैैं। श्रीवास्तव का कहना है कि मौजूदा कीमत पर डीजल कार तभी फायदेमंद होगा जब उसे हर महीने 4000 किलोमीटर चलाया जाए जबकि एक सामान्य भारतीय कार चालक महज 800-900 किलोमीटर चलाता है। यही नहीं अब डीजल कार की कीमत सामान्य पेट्रोल कार के मुकाबले 1.50 से दो लाख रुपये ज्यादा है। पहले यह अंतर मुश्किल से 80-90 हजार रुपये होता था।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.