चांदनी चौक में हवाला से आतंकी को होती थी टेरर फंडिंग, जानें- क्या है J&K कनेक्शन
एनआइए ने 25 सितंबर को दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से मोहम्मद सलमान और उसके दो अन्य साथियों को 1.56 करोड़ रुपये और 43 हजार की नेपाली करेंसी के साथ गिरफ्तार किया था।
नई दिल्ली (बिजेंद्र बंसल)। हरियाणा में पलवल के उटावड़ की मरकजी मस्जिद के निर्माण में टेरर फंडिंग का आरोपित मोहम्मद सलमान नूंह (मेवात) व आसपास के मेव बहुल इलाके में मजहब की खिदमत और यतीमों की इमदाद (मदद) के बहाने युवाओं के बीच सक्रिय था। वह फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआइएफ) के डिप्टी चेयरमैन से जुड़ा था।
यह पाकिस्तान में रह रहे आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा का सहयोगी संगठन है। सईद लश्कर-ए-तैयबा का संस्थापक भी है। एफआइएफ का डिप्टी चेयरमैन दुबई में रहता है। वह भी पाकिस्तानी है। उसी के जरिये सलमान इस संगठन के संपर्क में आया था।
उटावड़ में जन्मे सलमान की सक्रियता दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में थी। यहीं से वह एफआइए के उपप्रमुख के नेटवर्क में काम करता था और उसे दिल्ली के चांदनी चौक के कूचा घासीराम व कृचा महाजन में हवाला के जरिये फंडिंग होती थी। सलमान ही जम्मू-कश्मीर के आतंकियों को रकम पहुंचाता था।
मदद की आड़ में खेल रहा था दहशत का खेल
अपने मकसद की सफलता के लिए सलमान मेवात व अन्य मुस्लिम क्षेत्रों में मस्जिद बनाने, गरीब लड़कियों के सामूहिक निकाह और यतीमों की मदद के बहाने रकम देकर अपने प्रभाव में लेता था। हालांकि, इस बहाने वह दहशत का खेल खेल रहा था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने 25 सितंबर को दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से मोहम्मद सलमान और उसके दो अन्य साथियों को 1.56 करोड़ रुपये और 43 हजार की नेपाली करेंसी के साथ गिरफ्तार किया था। एनआइए इनकी निशानदेही पर ही अब तक पलवल के उटावड़ के अलावा गुजरात, राजस्थान और श्रीनगर के दो केंद्रों पर जांच कर चुकी है।
10 तक एनआइए की रिमांड पर सलमान
सलमान और उसके दो साथी मोहम्मद सलीम उर्फ मामा और सजाद अहमद वानी फिलहाल 10 अक्टूबर तक एनआइए की रिमांड पर हैं। सूत्रों की मानें तो एनआइए को इन तीनों आरोपियों के एफआइएफ सहित अन्य आतंकी संगठनों से संबंधों का नेटवर्क पुख्ता रूप में मिल गया है। सलमान मेवात के कुछ क्षेत्रों में जम्मू-कश्मीर से आने वाले अपने साथियों को भी ठहराता रहा है।
अन्य प्रदेशों में लोगों की मदद करता था
राष्ट्रीय जांच एजेंसी के महानिरीक्षक आलोक मित्तल ने बताया कि आरोपी उटावड़ मस्जिद निर्माण के अलावा सलमान नूंह व अन्य प्रदेशों में भी लोगों की इमदाद करने के बहाने अपना प्रभाव जमाता था। उसे दुबई से हवाला के जरिये फंडिंग होती थी। हम उसके असल मकसद की तह तक जाना चाहते हैं। सारी जानकारियां जुटाने में थोड़ा समय इसलिए लग रहा है कि यह एक बड़ा नेटवर्क है। इन संगठनों के नेटवर्क में काम करने वाले व्यक्ति को सिर्फ उसके हिस्से के काम की ही जानकारी होती है।
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