SC ने यूनिटेक डायरेक्टरों की संपत्ति बेचने का दिया निर्देश, कहा- 'मकड़जाल' की तरह है कारोबार
सुप्रीम कोर्ट ने खरीदारों का पैसा लौटाने के लिए यूनिटेक के निदेशकों की संपत्तियां बेचने की शुरुआत करने के आदेश दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाले पैनल को दिए।
नई दिल्ली [जेएनएन]। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएन ढींगरा की अध्यक्षता वाले पैनल को निर्देश दिया है कि रियल एस्टेट प्रमुख यूनिटेक लिमिटेड के निदेशकों की संपत्तियों को बेचकर घर खरीदारों के पैसे वापस किए जाएं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह से कहा कि वह पाक साफ होकर आए। शीर्ष अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उसकी आवासीय परियोजनाएं पहली नजर में अवैध लगती हैं और उसका रियल एस्टेट कारोबार 'मकड़जाल' की तरह है।
कुछ भी नहीं बचेगा
आम्रपाली को अपनी गिरवी रहित संपत्तियों का ब्योरा प्रदान करने का निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि समूह पर इतनी अधिक देनदारियां हैं कि अगर इनको चुकता किया जाएगा तो कुछ भी नहीं बचेगा। जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस यूयू ललित की पीठ ने कहा कि भारतीय भवन निर्माण निगम लिमिटेड (एनबीसीसी) द्वारा लंबित परियोजनाओं के निर्माण के लिए 5000 करोड़ से अधिक रुपये हासिल करने का एकमात्र उपाय है कि आम्रपाली समूह के निदेशकों की निजी संपत्तियां बेची जाएं।
संपत्ति बेचने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश एसएन ढींगरा की अध्यक्षता में गठित समिति को यूनिटेक समूह की कोलकाता स्थित संपत्ति बेचने का निर्देश दिया। साथ ही मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने समिति से कहा कि वह 25 करोड़ रुपये घर खरीदने वालों को बांटने का आदेश दे। बता दें कि कोर्ट ने पांच जुलाई को जस्टिस ढींगरा समिति से आगरा, वाराणसी और श्रीपेरुंबदूर में स्थित समूह की संपत्ति बेचने को कहा था।
सुप्रीम कोर्ट सख्त
बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली के डायरेक्टरों से कहा था कि वो तमाम चल और अचल संपत्ति का ब्यौरा पेश करें ताकि संपत्तियों को बेचकर प्रोजेक्ट को पूरा किया जा सके। कोर्ट ने आम्रपाली को चेताया था कि अगर कोर्ट के साथ खेलने की कोशिश की तो हमे मजबूर होना होगा और आपको भी बेघर करने के लिए हम मजबूर होंगे।
एनबीसीसी को सौंपी गई जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) को आम्रपाली के सभी अटके हुए अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से 30 दिन में विस्तृत योजना मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी को कहा था कि वह 30 दिन में बताए कि वह आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्टों को कैसे पूरा करेगा, साथ ही एनबीसीसी निर्माण कार्य पूरा करने के लिए निश्चित टाइम लाइन भी देगा।
धैर्य की परीक्षा न ले आम्रपाली
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली समूह के सभी ऑडिटर्स को आदेश दिया था कि वह ग्रुप की सभी 40 कंपनियों के खातों का बारीकी से परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें। रिपोर्ट में ये भी बताया जाए कि आम्रपाली ग्रुप द्वारा होम बायर्स के लगभग 2500 करोड़ रुपये कहां लगाए हैं, पिछली सुनवाई के दौरान एनबीसीसी के चेयरमैन, आम्रपाली के चेयरमैन और शहरी विकास मंत्रालय के सचिव भी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। यहां यह भी बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली की सभी 40 कंपनियों के बैंक खातों और चल संपत्ति को अटैच करने का आदेश जारी किया था। कोर्ट ने तल्ख अंदाज में कहा था कि आम्रपाली हमारे धैर्य की परीक्षा न ले।