दिल्ली में सीलिंग को लेकर झगड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई नाराजगी, जानें क्या कहा
दिल्ली में अवैध निर्माणों की सीलिंग के मसले पर निगरानी समिति और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के बीच झगड़े पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। दिल्ली में अवैध निर्माणों की सीलिंग के मसले पर निगरानी समिति और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के बीच झगड़े पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह अच्छी स्थिति नहीं है। अतिक्रमण हटाने और अवैध निर्माण के खिलाफ कानून को लागू करने के लिए एसटीएफ का गठन किया गया है।
जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि दोनों समितियां एक-दूसरे के रास्ते में बाधा डाल रही हैं और हम इस तरह की चीजों की अनुमति नहीं दे सकते। ऐसा नहीं होना चाहिए। यह अच्छी स्थिति नहीं है। पीठ ने कहा कि अधिकारी दिल्ली पर प्रशासनिक नियंत्रण के लिए लड़ रहे हैं और उनके बीच किसी तरह का समन्वय नहीं है जिसके चलते दिल्ली के लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
पीठ ने निगरानी समिति पर प्रतिबंध लगाने की केंद्र की मांग पर सवाल उठाए। पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत के कहने पर ही समिति दिल्ली में यह काम कर रही है। समिति शीर्ष अदालत की गरिमा को बनाए रखे है। केंद्र सरकार ने निगरानी समिति की रिपोर्ट पर पहले दायर किए गए अपने जवाब में समिति को खत्म करने की मांग की थी।
निगरानी समिति ने शीर्ष अदालत में दायर अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एसटीएफ को जो काम सौंपा गया था, उसे पूरा करने में वह पूरी तरह से असफल रही, क्योंकि पटरियों और सड़कों पर न सिर्फ भारी मात्रा में अतिक्रमण हुआ है, बल्कि बिना रोक-टोक अवैध निर्माण भी धड़ल्ले से हो रहे हैं। समिति ने कहा था कि एसटीएफ के चलते सीलिंग के उसके अभियान में बाधा पैदा हो रही है। इसलिए समिति ने शीर्ष अदालत से एसटीएफ को बनाए रखने की जरूरत की समीक्षा करने का अनुरोध किया था।
शीर्ष अदालत ने 24 मार्च, 2006 को निगरानी समिति का गठन किया था। इसमें चुनाव आयोग के पूर्व सलाहकार केजे राव, पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम एवं नियंत्रण) प्राधिकरण के अध्यक्ष भूरेलाल और मेजर जनरल (रिटायर्ड) एसपी झींगन शामिल हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही पिछले साल एसटीएफ का गठन किया गया था।