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Haj Committees: सुप्रीम कोर्ट का राज्‍यों को निर्देश, हज समिति के गठन पर करें सूचित

सर्वोच्‍च न्‍यायालय केंद्रीय हज समिति के एक पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद अहमद आज़मी (Hafiz Naushad Ahmed Azmi) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में साल 2002 के अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।

By Arijita SenEdited By: Published: Fri, 12 Aug 2022 03:41 PM (IST)Updated: Fri, 12 Aug 2022 03:41 PM (IST)
Haj Committees: सुप्रीम कोर्ट का राज्‍यों को निर्देश, हज समिति के गठन पर करें सूचित
कोर्ट ने छह सप्‍ताह के भीतर जवाब मांगा था

नई दिल्‍ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को सभी राज्‍यों को निर्देश दिया है कि दो सप्ताह के भीतर हज समितियों (Hajj Committees) के गठन की स्थिति के बारे में सूचित करें। न्‍यायमूर्ति एस ए नजीर (S A Nazeer) और जे के माहेश्‍वरी (J K Maheshwari) की एक पीठ ने सभी राज्‍यों को समिति सदस्‍यों के नाम को अंतिम रूप देने की बात कही है।

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पीठ ने कहा, ''अगर हज समितियों का गठन कर लिया गया है तो राज्‍य हलफनामा दाखिल करें और समिति के सदस्यों के नाम निश्चित कर उसका ब्‍यौरा दें।'' मालूम हो कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पीठ को सूचित किया कि कई राज्यों ने अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की है, जिसके बाद यह निर्देश आया।

हम समिति अधिनियम (Hajj Committees Act, 2002) के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पहले राज्यों के लिए केंद्र और राज्य हज समिति की स्थापना की मांग वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। कोर्ट ने केंद्र, विदेश मंत्रालय, भारतीय हज समिति और अन्य को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।

गौर करने वाली बात है कि सर्वोच्‍च न्‍यायालय केंद्रीय हज समिति के एक पूर्व सदस्य हाफिज नौशाद अहमद आज़मी (Hafiz Naushad Ahmed Azmi) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में कहा गया था कि केंद्र और राज्य हज समिति अधिनियम, 2002 के सख्त प्रावधान का पालन करने में विफल रहे हैं और इसके तहत समितियों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई है।

याचिका में 2002 के अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश देने की भी मांग की गई थी।


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