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पुनर्वास की पात्रता के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को हलफनामा दाखिल करने के दिए निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को हटाए गए अवैध कब्जेदारों के पुनर्वास की पात्रता के बारे में कुछ अन्य दस्तावेजों को स्वीकार किए जाने पर विचार करने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने इस पर निगम से हलफनामा मांगा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 09:59 PM (IST)
पुनर्वास की पात्रता के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को हलफनामा दाखिल करने के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को पुनर्वास की पात्रता के कुछ अन्य दस्तावेजों पर विचार करने को कहा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट ने फरीदाबाद नगर निगम को हटाए गए अवैध कब्जेदारों के पुनर्वास की पात्रता के बारे में कुछ अन्य दस्तावेजों को स्वीकार किए जाने पर विचार करने को कहा है। शीर्ष कोर्ट ने इस पर निगम से हलफनामा मांगा है। मामले पर कोर्ट चार अक्टूबर को फिर सुनवाई करेगा। यह मामला फरीदाबाद के खोरी गांव में अरावली क्षेत्र की वन भूमि से हटाए गए अवैध कब्जेदारों के पुनर्वास का है।

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सुप्रीम कोर्ट में कुछ याचिकाएं दाखिल हुई हैं जिनमें हरियाणा सरकार की हटाए गए अवैध कब्जेदारों के पुनर्वास की योजना को चुनौती दी गई है। मामले पर जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। सोमवार को सुनवाई के दौरान पुनर्वास की मांग कर रहे अवैध कब्जेदारों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने कहा कि पुनर्वास योजना में पात्रता के लिए सिर्फ तीन दस्तावेजों मतदाता सूची, बिजली बिल और परिवार पहचान पत्र को ही मान्यता है।

पारिख ने कहा कि पात्रता और पहचान साबित करने के लिए आधार व कुछ अन्य दस्तावेजों को भी स्वीकार किया जाना चाहिए क्योंकि बहुत से लोग ऐसे हैं जिनके पास मांगे गए उक्त तीनों दस्तावेज नहीं हैं। पीठ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि तीनों दस्तावेज नहीं बल्कि दावा साबित करने के लिए उनमें से कोई भी एक दस्तावेज दिखाना होगा।

पारिख ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में आधार को स्वीकार किया जाता है, इसमें भी आधार को स्वीकार किया जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामला पुनर्वास का है, यह कोई नया आवंटन नहीं है। यह योजना प्रधानमंत्री आवास योजना से अलग है। यहां पर व्यक्ति को साबित करना पड़ेगा कि वह एक निश्चित अवधि से ढहाए गए मकान में रह रहा था।

पारिख ने कहा कि बहुत से लोग हैं जिनके पास बिजली बिल नहीं है, लेकिन उनके पास आधार और ड्राइविंग लाइसेंस है जिस पर पता लिखा होता है। पीठ ने कहा कि अगर ऐसा होगा तो एक ही मकान के लिए कई दावेदार निकल सकते हैं क्योंकि एक व्यक्ति बिजली बिल देगा दूसरा ड्राइविंग लाइसेंस दे देगा। एक ही घर में कई लोगों के पास ड्राइविंग लाइसेंस और आधार हो सकता है। ऐसे मामलों में कई बार फर्जीवाड़ा होता है। यह देखना होगा कि वास्तविक व्यक्ति को ही योजना का लाभ मिले, फर्जी लोग लाभ न ले जाएं।

फरीदाबाद नगर निगम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अरुण भारद्वाज ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में भी आधार को पात्रता के लिए दस्तावेज नहीं माना गया है। कोर्ट ने पूछा कि निगम द्वारा मांगे गए दस्तावेजों के आधार पर कितने लोग पात्र पाए गए हैं और कितनों ने आवेदन किया था।

भारद्वाज ने बताया कि 2,416 लोगों ने आवेदन किया था जिसमें से 899 लोग पात्र पाए गए हैं। इस पर पीठ ने कहा कि कुछ और दस्तावेजों को भी शामिल करने पर विचार होना चाहिए। भारद्वाज ने कहा कि हलफनामा दाखिल कर ब्योरा देने के लिए उन्हें कुछ वक्त दिया जाए।

इसके अलावा संजय पारिख ने कोर्ट से कहा कि योजना के मुताबिक हर आवंटी को फ्लैट के लिए 3,77,000 रुपये देने हैं। 20 साल पुराने फ्लैट की यह कीमत ज्यादा है। कोर्ट ने कहा, यह ध्यान रखिए कि यह कोई स्लम नहीं है बल्कि नियमित आवंटन में फ्लैट मिल रहा है। पारिख ने आग्रह किया कि आवंटियों से अभी 10 हजार रुपये ले लिए जाएं और बाकी की रकम 20 साल की किस्तों में ली जाए। कोर्ट ने इस मुद्दे पर भी विचार करके निगम से बताने को कहा है।

कोर्ट ने अरावली वन क्षेत्र से अभी तक नहीं हटाए गए अवैध कब्जों का क्षेत्रवार ब्योरा और कारण बताने वाला चार्ट दाखिल नहीं किए जाने पर भी नगर निगम से सवाल किया। निगम के वकील ने कहा कि उनकी समझ में इस मुद्दे पर चार अक्टूबर को सुनवाई होनी थी इसलिए अभी चार्ट दाखिल नहीं किया, हालांकि चार्ट तैयार किया जा रहा है। 


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