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इस हौसले को सलाम, ब्लड कैंसर को मात देकर दसवीं में हासिल किए 95 फीसद अंक

प्री-बोर्ड की परीक्षा के दौरान जब ब्लड कैंसर का पता चला तो पूरा परिवार चिंतित हो उठा, लेकिन परिजनों ने इस चिंता को प्रियेश पर हावी नहीं होने दिया और न ही प्रियेश ने हिम्मत हारी।

By Edited By: Published: Tue, 29 May 2018 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 10:37 PM (IST)
इस हौसले को सलाम, ब्लड कैंसर को मात देकर दसवीं में हासिल किए 95 फीसद अंक
इस हौसले को सलाम, ब्लड कैंसर को मात देकर दसवीं में हासिल किए 95 फीसद अंक

नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। हौसले बुलंद हों और परिजनों का साथ मिले तो बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती है। ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे प्रियेश तायल ने सीबीएसई 10वीं में 95 फीसद अंक लाकर यह साबित कर दिखाया। खास बात यह है कि उन्होंने इलाज के बीच में ही तैयारी कर सभी पेपर की परीक्षा दी और गणित में अपने स्कूल में टॉप भी किया।

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प्रियेश ने हिम्मत नहीं हारी

प्रियेश मयूर विहार फेज-1 स्थित एएसएन पब्लिक स्कूल के छात्र हैं और इसी इलाके के पॉकेट-3 में रहते हैं। दिसंबर 2017 में प्री-बोर्ड की परीक्षा के दौरान जब ब्लड कैंसर का पता चला तो पूरा परिवार चिंतित हो उठा, लेकिन परिजनों ने इस चिंता को प्रियेश पर हावी नहीं होने दिया और न ही प्रियेश ने हिम्मत हारी।

डॉक्टरों व शिक्षकों ने बढ़ाया हौसला 

इलाज शुरू हुआ तो जनवरी से स्कूल जाना भी छूट गया, लेकिन प्रियेश परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। स्कूल में शिक्षक परीक्षा की जो तैयारी करवाते थे, उसे वह अपने दोस्तों से वाट्सएप के जरिए मंगवाकर पढ़ते थे। डॉक्टर और शिक्षक भी हौसला बढ़ाने के लिए आगे आए।

विपरीत परिस्थितियों में हासिल की कामयाबी 

विज्ञान की परीक्षा से 10 दिन पहले उनकी कीमोथेरेपी हुई थी। परीक्षा के दौरान ही तबीयत खराब हुई तो केंद्र से सीधे अस्पताल ले जाकर भर्ती करवाना पड़ा। ऐसा ही वाकया एसएसटी की परीक्षा में भी सामने आया। इन तमाम परिस्थितियों के बावजूद उन्हें साइंस व एसएसटी में 97 और गणित में 99 अंक आए।

21 दिन के अंतराल पर होती है कीमोथेरेपी

जनवरी 2018 में प्रियेश पहली बार कैंसर के इलाज के लिए अपोलो अस्पताल में भर्ती हुए। डॉक्टरों ने 10 कीमोथेरेपी करवाने के लिए कहा। 21 दिन के अंतराल पर उनकी कीमोथेरेपी होती है। सात बार कीमोथेरेपी हो चुकी है और इसके लिए हर बार उन्हें पांच दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। इलाज के कारण पढ़ाई प्रभावित नहीं हो, इसलिए वह कॉपी-किताबें अपने साथ अस्पताल ले गए। कीमोथेरेपी बड़ी पीड़ादायक होती है, लेकिन प्रियेश ने परीक्षा की तैयारी के आगे इस पीड़ा को भी पीछे छोड़ दिया और आज परिणाम सबके सामने है।

फिर अस्पताल में भर्ती होंगे

मां कांति तायल ने बताया कि इलाज के दौरान अस्पताल में जब प्रियेश पढ़ाई कर रहे होते थे और डॉक्टरों को जांच करनी होती थी तो भी वे पढ़ाई में बाधा नहीं डालते थे, बल्कि पढ़ाई पूरी होने का इंतजार करते थे। उसके बाद जांच करते थे। मंगलवार को परिणाम आया और बुधवार को प्रियेश को फिर कीमोथेरेपी के लिए भर्ती होना है।

साइंस से पढ़ाई जारी रखेंगे प्रियेश

प्रियेश बताते हैं कि ब्लड कैंसर से शरीर के अंदर गर्मी बढ़ जाती है और हाथ-पैर में दर्द होता है। इस बीमारी में उनके सिर के बाल भी चले गए। कीमोथेरेपी के बाद उनसे चला भी नहीं जाता है, लेकिन अभिभावकों ने हौसला बढ़ाकर उन्हें सफलता दिलाई। अब वह 11वीं कक्षा में साइंस में दाखिला लेना चाहते हैं।

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