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करोलबाग होटल में आग से जिंदा जले 17 लोग, दिल दहलाने वाले हादसे की 14 प्रमुख वजहें

आग से हुई मौतों के लिए होटल प्रबंधन के साथ सरकारी सिस्टम भी उतना ही जिम्मेदार है। यही वजह है कि चार की जगह होटल ने पांच मंजिल बना ली। नियमों को ताक पर रखकर होटल चल रहा था।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 07:36 PM (IST)Updated: Wed, 13 Feb 2019 09:03 AM (IST)
करोलबाग होटल में आग से जिंदा जले 17 लोग, दिल दहलाने वाले हादसे की 14 प्रमुख वजहें
करोलबाग होटल में आग से जिंदा जले 17 लोग, दिल दहलाने वाले हादसे की 14 प्रमुख वजहें

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। मंगलवार का दिन राजधानी दिल्ली के करोलबाग स्थित होटल अर्पित में ठहरे सैलानियों के लिए बेहद अमंगलकारी रहा। जिस वक्त सभी सैलानी और कर्मचारी गहरी नींद में थे, उसी वक्त तड़के करीब साढ़े तीन बजे होटल में लगी भीषण आग ने 17 सैलानियों को जिंदा जला दिया, जबकि कई गंभीर रूप से झुलस गए हैं। जिस वक़्त होटल अर्पित में आग लगी, वहां 100 से अधिक लोग ठहरे हुए थे। इस होटल में करीब 45 कमरे हैं। होटल में उस वक्त तकरीबन 25 कर्मचारी भी सो रहे थे। 17 मृतकों में एक महिला व एक बच्चा भी शामिल है।

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जान गंवाने वालों में ज्यादातर केरल व म्यांमार के थे। ये हादसा इतना भयावह था कि जिंदा बचे सैलानी और कर्मचारी पूरी जिंदगी इसे भूल नहीं सकेंगे। घटना की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घटना पर संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही मृतकों के लिए पांच-पांच लाख रुपये मुआवजे का एलान किया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी घटना पर दुख व्यक्त किया है। हालांकि, ये कोई पहली घटना नहीं है। दिल्ली समेत देश के अन्य राज्यों में पहले भी होटलों में आग लगने की कई बड़ी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

बावजूद न तो होटलों की मनमानी थमने का नाम लेती है और न ही सिस्टम इनसे नियमों का पालन कराने के लिए गंभीर होता है। ऐसे में हमेशा छोटी-छोटी चूक का खामियाजा बहुत से निर्दोषों को अपनी जान गंवाकर झेलना पड़ता है। मंगलवार को भी होटल अर्पित में पांचवी मंजिल पर आग लगी। आग तेजी से नीचे की मंजिलों पर फैल गई, जिससे लोगों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिला। फायर ब्रिगेड जब तक मौके पर पहुंचती, आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी।

होटल में आग लगने से हुई मौतों की ये हैं 10 प्रमुख वजहें-
1. होटल में तड़के साढ़े तीन बजे आग लगी, उस वक्त सैलानी समेत तकरीबन पूरा स्टॉफ गहरी नींद में सो रहा था।
2. बताया जा रहा है कि आग के काफी विकराल रूप धारण करने के बाद कर्मचारियों को इसका पता चला, जिससे साफ है कि होटल में फायर अलार्म की उचित व्यवस्था नहीं थी।
3. आग को काबू करने के लिए होटल जैसी जगहों पर वॉटर स्प्रिंक्लर और स्मोग डिटेक्टर लगे होते हैं, ताकि आग लगने पर ये स्वतः पानी का छिड़काव शुरू कर दें। इससे आग जल्दी नहीं फैलती है। जाहिर है कि होटल अर्पित में इनकी भी उचित व्यवस्था नहीं थी।
4. होटल में इमरजेंसी एक्जिट (आपातकालीन निकास) की उचित व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में आग लगने पर लोग कमरों में और जहां-तहां फंस गए और उन्हें बाहर निकलने का मौका नहीं मिला।


5. होटल के कॉरिडोर सहित अन्य जगहों पर सजावट के लिए लकड़ी का काफी काम किया गया था। इससे आग को जल्दी फैलने का मौका मिला।
6. होटल की छत पर अवैध निर्माण किया गया था। यहीं से आग की शुरूआत हुई। इस वजह से लोगों को हाईड्रोलिक प्लेटफॉर्म के जरिए छत से रेस्क्यू नहीं किया जा सकता था।
7. होटल में सही वेंटिलेशन न होने के कारण आग लगने पर अंदर बुरी तरह से धुआं भर गया। धुएं की वजह से लोगों का दम घुटने लगा और वह बेहोश होकर आग की चपेट में आ गए। 13 में से आठ लोगों की मौत दम घुटने से ही हुई है। धुएं की वजह से ही अग्निशमन कर्मचारी को भी राहत व बचाव कार्य में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
8. अग्निसुरक्षा व अन्य सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया गया था। दिल्ली सरकार के मंत्री सतेंद्र जैन ने भी घटना के बाद कहा है कि होटल निर्माण में नियमों की जमकर अनदेखी की गई है। होटल के लिए चार मंजिल की अनुमति है, जबकि पांच मंजिल बनाई गई हैं।
9. होटल समेत अन्य बहुमंजिला इमारतों में आग को काबू करने के लिए ऊपरी मंजिल तक हौजपाइप की फिटिंग कराई जाती है, ताकि आग लगने पर उनका आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।


10. होटल जैसी जगहों पर कर्मचारियों को आग आदि से बचाव के लिए नियमित प्रशिक्षण देना अनिवार्य होता है, ताकि आपदा के वक्त वह प्राथमिक राहत व बचाव कार्य कर सकें। आग या भूकंप जैसे हादसों में शुरूआती कुछ क्षण राहत व बचाव कार्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।
11. होटल अर्पित करोलबाग के संकरे इलाके में मौजूद है। इस वजह से आग की सूचना मिलने के बाद दमकल गाड़ियों को यहां पहुंचने और कर्मचारियों को राहत व बचाव कार्य करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। इस वजह से बचाव कार्य में काफी देरी भी हुई।
12. दिल्ली की संकरी गलियों में मौजूद बहुमंजिला इमारतों में आग लगने के दौरान पहले भी कई बार अग्निशमन कर्मियों को राहत-बचाव कार्य में परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस वजह से दमकल गाड़ियों को मौके पर पहुंचने में अक्सर देरी होती है।
13. होटल के आसपास के इलाके में सुरक्षा के लिए पुलिस द्वारा रात के वक्त बैरीकेड लगाकर रास्तों को बंद कर दिया जाता है। दिल्ली पुलिस कई ईलाकों में रात के वक्त इसी तरह बैरीकेड से लोहे की चेन व ताला लगाकर रास्ते बंद कर देती है। इस वजह से भी दमकर गाड़ियों को मौके पर पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
14. सबसे ज्यादा आग शार्ट-सर्किट की वजह से लगती है, जिसकी वजह बिजली के खुले तार और ठीले प्लग आदि से होने वाली स्पार्किंग होती है।

हादसे की टाइम लाइन
सुबह 3:30 बजे – अनुमान है कि लगभग इसी वक्त होटल में आग लगी थी।
सुबह 4:35 बजे – विकास नाम के आदमी ने फोन कर होटल में आग लगने की सूचना दी।
सुबह 4:50 बजे – दमकल की पांच-छह गाड़ियां मौके पर पहुंची।
सुबह 5:15 बजे – डिप्टी फायर चीफ ऑफिसर भी मौके पर पहुंचे।
सुबह 5:16 बजे – दमकल की 20 और गाड़ियां मौके पर पहुंची गईं।
सुबह 6:25 बजे – अग्निशमन कर्मियों ने 25 लोगों को होटल से बाहर निकाल लिया।
सुबह 6:50 बजे – अग्निशमन कर्मियों ने आठ घायलों को बाहर निकाला।
सुबह 7:10 बजे – आग की भयावहत को देख चीफ फायर ऑफिसर भी मौके पर पहुंचे।
सुबह 7:20 बजे – आग को लगभग काबू कर लिया गया।
सुबह 8:00 बजे – होटल में राहत व बचाव कार्य समेत सर्च ऑपरेशन पूरा हुआ।
सुबह 10:00 बजे – दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन भी मौके पर पहुंचे।
सुबह 11:00 बजे – NDRF, CFSL और डॉग स्क्वायड मौके पर पहुंचा।
दोपहर 12:10 बजे – दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी मौके पर पहुंचे।
दोपहर 12:30 बजे – दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल भी मौके पर पहुंचे।


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