रायबरेली फैक्ट्री से दूसरे देशों को होगा रेलवे कोच का निर्यात
रायबरेली फैक्ट्री से दूसरे देशों को होगा रेलवे कोच का निर्यात। दुनिया के गिने-चुने अत्याधुनिक कोच कारखानों में शामिल हुई मॉडर्न कोच फैक्ट्री।
नई दिल्ली,जेएनएन। रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्ट्री ने अपने नाम के अनुरूप देश की सबसे आधुनिक रेल कोच फैक्ट्री की पहचान हासिल कर दी है। इसकी खूबियों की चर्चा दूसरे देशों तक पहुंच गई है और वे इसे देखने आ रहे हैं। इस उपलब्धि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अचंभित किया है और उन्होंने स्वयं इसे देखने का फैसला किया हैं। रविवार, 16 दिसंबर के उत्तर प्रदेश दौरे में वे अन्य कार्यक्रमों में शिरकत के साथ इस फैक्ट्री की रोबोटिक लाइंस का मुआयना भी करेंगे।
मॉडर्न कोच फैक्ट्री देखते देखते अचानक फोकस में आ गई है। चार वर्ष पहले तक इसकी पहचान महज कोच की साज-सज्जा करने वाले कारखाने के रूप में थी। लेकिन 2014 में सरकार जैसे ही इसे पब्लिक सेक्टर यूनिट का दर्जा दिया, इसके भाग्य खुल गए। मेक इन इंडिया के तहत न केवल यहां बड़े पैमाने पर निवेश की शुरुआत हुई, बल्कि मॉडर्न कोच फैक्ट्री का नया नाम देकर इसे अत्याधुनिक कोच कारखाने का दर्जा देने का कार्य प्रारंभ हुआ।
रेलवे बोर्ड के एक उच्चाधिकारी के मुताबिक आधुनिकीकरण एवं विस्तार योजना के तहत एमसीएफ में एक-एक किलोमीटर लंबाई की दो रोबोटिक प्रॉडक्शन लाइनें स्थापित की गई हैं। इनमें सत्तर रोबोट कोच की बोगी से लेकर शेल तक का निर्माण ऑटोमैटिक तरीके से करते हैं। यह देश का पहला कोच कारखाना है जहां लगभग पूरा उत्पादन रोबोट के जरिए हो रहा है। कोच निर्माण के लिए इस तरह की रोबोटिक लाइनें विश्व के गिने-चुने देशों में हैं। यही वजह है कि जापान, चीन, कोरिया और ताइवान जैसे देशों के रेलवे इंजीनियर भी इस कारखाने को देखने के लिए रायबरेली का दौरा कर रहे हैं।
कोच निर्माण प्रक्रिया के आधुनिकीकरण और रोबोटिक्स के इस्तेमाल का लाभ यह हुआ है कि कारखाने ने उत्पादन में लंबी छलांग लगाई है। जहां 2014-15 तक एमसीएफ में केवल 140 कोच को सालाना निर्माण हो रहा था, वहीं 2017-18 में यह बढ़कर 711 कोच हो गया। इतना ही नहीं, चालू वर्ष में इसे दोगुना अर्थात 1422 कोच करने की तैयारी है। इन कोच में दीनदयालु और अंत्योदय ही नहीं, बल्कि राजधानी और हमसफर जैसी प्रीमियम ट्रेनों के कोच भी शामिल हैं।
अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा किसी रेल कारखाने का आंतरिक निरीक्षण बड़ी बात है। इससे पूरी दुनिया को यह संदेश जाएगा कि कल तक साधारण समझी जाने वाली भारत की मैन्युफैक्चरिंग क्षमताएं अब कहां पहुंच गई हैं। इससे इस कारखाने की प्रतिष्ठा बढ़ेगी जो भविष्य के लिहाज से काफी लाभप्रद साबित हो सकती है। क्योंकि एमसीएफ में अब इतने कोच बनने लगे हैं कि भविष्य में दूसरे देशों को इनके निर्यात की आवश्यकता पड़ेगी। इसकी तैयारियां अभी से प्रारंभ कर दी गई हैं।