Move to Jagran APP

वाह री दिल्ली सरकार! एशियन गेम्स का पदक विजेता चाय बेचने को मजबूर

हरीश ने कहा, पहले भी मैं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में पदक जीत चुका हूं, लेकिन आर्थिक हालात में सुधार नहीं है, क्योंकि न तो दिल्ली सरकार और न ही किसी अन्य की मदद मिली।

By Edited By: Published: Fri, 07 Sep 2018 10:21 PM (IST)Updated: Sat, 08 Sep 2018 11:46 AM (IST)
वाह री दिल्ली सरकार! एशियन गेम्स का पदक विजेता चाय बेचने को मजबूर
वाह री दिल्ली सरकार! एशियन गेम्स का पदक विजेता चाय बेचने को मजबूर

नई दिल्ली (किशन कुमार)। घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे, बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला। बशीर बद्र की यह शायरी एशियन गेम्स में सेपक टकरा खेल में कांस्य पदक जीतने वाले 23 वर्षीय हरीश के हालात को बयां करती है। देश का नाम रोशन करने वाला यह होनहार खिलाड़ी मुफलिसी में जीवन बसर करने को मजबूर है, लेकिन देश की राजधानी में बड़े-बड़े ओहदों पर बैठीं हस्तियां इस खिलाड़ी के घर खुशियों का एक चिराग तक नहीं जला पा रही हैं।

loksabha election banner

हरीश का कहना है, एशियन गेम्स में पदक जीतने के बाद भी मैं चाय की दुकान पर काम करने को मजबूर हूं। देश के लिए पदक जीतने वाले को नौकरी दी जानी चाहिए, लेकिन यहां तो कोई पूछने वाला तक नहीं है। दिल्ली सरकार ने अब जाकर पुरस्कार राशि देने का आश्वासन दिया है। मजनूं का टीला स्थित अरुणा नगर के जे ब्लॉक निवासी हरीश कहते हैं, जकार्ता से कांस्य पदक लेकर लौटने के बाद जिंदगी फिर से पुराने ढर्रे पर लौट आई है साहब। परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। मेरे चार भाई और एक बहन है। पिता किराये का ऑटो चलाकर घर का खर्च निकालते हैं। वहीं, मां दूसरे के घरों में साफ-सफाई करती हैं, जबकि मैं चाय की दुकान पर अपने भाइयों का हाथ बंटाता हूं।

हरीश ने कहा, जब मैंने 2011 में इस खेल को खेलना शुरू किया था तो आसपास के लोग इसे वक्त की बर्बादी बताकर इस खेल को छोड़ने की सलाह देते थे, लेकिन आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक जीतने पर हर कोई मुझे बधाई दे रहा है पर इससे पेट कहां भरता है। हरीश ने कहा, मेरे बड़े भाई भी पहले सेपक टकरा खेलते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह इस खेल में कोई मुकाम हासिल नहीं कर सके।

हरीश ने कहा, पहले भी मैं राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खेल में पदक जीत चुका हूं, लेकिन आज तक आर्थिक हालात में कुछ सुधार नहीं हुआ, क्योंकि न तो दिल्ली सरकार और न ही किसी अन्य की मदद मिली।

अब एशियन गेम्स में देश के लिए पदक जीतकर लाया हूं तो उम्मीद है कि दिल्ली सरकार की तरफ से कोई नौकरी मिल जाए। उन्होंने कहा कि परिवार की आर्थिक तंगी को लेकर चिंतित रहने के कारण अभ्यास पर पूरी तरह से ध्यान भी नहीं दे पाता हूं।

सरकार अगर खिलाड़ियों का समय पर सहयोग करे तो वह कांस्य नहीं स्वर्ण पद जीत सकते हैं। सेपक टकरा खेल यह खेल वालीबॉल की तरह खेला जाता है, लेकिन इसमें हाथों की जगह पैरों का इस्तेमाल किया जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.