कैसी रहेगी आपके शहर की आब-ओ-हवा? अब 10 दिन पहले जारी होगा पूर्वानुमान
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने संयुक्त रूप से एक नया मॉडल विकसित किया है जो शहरों की आब-ओ-हवा के बारे में जानकारी 10 दिन पहले ही दे देगा।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अपने शहर की आब-ओ-हवा की जानकारी के लिए अब आपको लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। आपके शहर में वायु प्रदूषण की स्थिति कैसी रहेगी? यह जानकारी लोगों को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग 10 दिन पहले ही उपलब्ध करवा रहा है। इस सुविधा के मिलने से दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के यूपी-बिहार, राजस्थान, हरियाणा समेत दर्जनभर राज्यों के करोड़ों लोगों को फायदा होगा। यह सुविधा ऑनलाइन हो गई है। फिलहाल इसे परीक्षण के तौर पर देखा जा रहा है।
यहां पर बता दें कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Sciences) और पुणे स्थित भारतीय उष्ण कटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Metrology) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने संयुक्त रूप से एक नया मॉडल विकसित किया है, जो शहरों की आब-ओ-हवा के बारे में जानकारी 10 दिन पहले ही दे देगा।
पहले सिर्फ 72 घंटे पहले मिलता था पूर्वानुमान
मौसम विज्ञान विभाग की यह सुविधा लोगों के बेहद राहत की खबर है, क्योंकि शहर की हवा खराब होने पर वे अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत होने के साथ मास्क जैसी व्यवस्था भी कर लेंगे। पूर्व में शहर की आब-ओ-हवा को लेकर 72 घंटे पहले ही पूर्वानुमान जारी करने की तकनीक थी, लेकिन अब 10 दिन पहले मिल जाएगी। इस मॉडल से जुड़े मौसम विज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. वीके सोनी के मुताबिक, यह सिस्टम ऑनलाइन हो गया है। उनका यह भी कहना है कि फिलहाल यह देखना होगा कि क्या 10 दिन का पूर्वानुमान 72 घंटे के पूर्वानुमान की तरह सटीक साबित होगा। उनका यह भी कहना है कि अब तक 72 घंटे का पूर्वानुमान ज्यादा सटीक रहा है।
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण के चलते एक माह से अधिक समय से निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध से निर्माण सामाग्री बेचने वाले व्यापारी सांसत में हैं। भवन निर्माण का काम रुके होने की वजह से सामानों की मांग में 70 से 90 फीसद तक की गिरावट आई है। मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही है। ऐसे में इससे जुड़े लोग अब सुप्रीम कोर्ट व प्रदूषण समितियों से राहत की मांग कर रहे हैं। इसी को लेकर कांस्टीट्यूशन क्लब में निर्माण उद्योग बचाओ मोर्चा के बैनर तले रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों, सीमेंट, सरिया, मार्बल, लकड़ी व पेंट समेत अन्य संबंधित व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बैठक की और मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई।
मोर्चा के अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि निर्माण पर प्रतिबंध के कारण निर्माण उद्योग पर प्रभाव पड़ा है और इससे जुड़े मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है। वहीं, कर्मचारियों को वेतन देने में मुश्किलें आ रही है। किराया, ब्याज, कर्ज और किश्त भुगतान जैसे मामले में परेशानी ज्यादा है।
वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पहले 26 अक्टूबर से 1 नवंबर तथा 1 नवंबर से सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक निर्माण कार्य पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया है। इसके चलते सरकारी निर्माण कार्यों के साथ ही भवनों के निर्माण व मरम्मत कार्य भी रुके हुए हैं। इस बारे में दिल्ली मार्बल डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष संदीप भारद्वाज ने कहा कि निर्माण कार्यों में सड़क व पुल निर्माण और खोदाई के कार्यों को गिना जा सकता है जिससे वायु प्रदूषण होता है, लेकिन प्लास्टर, फिटिंग, मार्बल फिनिशिंग जैसे कार्यों से वायु प्रदूषण नहीं होता है। इसलिए हम राहत की मांग करते हैं। दिल्ली स्टील टूल्स एंड हार्डवेयर ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेंद्र गुप्ता ने कहा कि निर्माण पर रोक के चलते स्टील उत्पादों के मांग में 50 फीसद की गिरावट आई है।