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Delhi Air Pollution : नोबेल अवार्ड विजेता ने बताए दिल्ली के वायु प्रदूषण को रोकने के ठोस उपाय

Delhi Air Pollution दिल्ली के जानलेवा वायु प्रदूषण से निजात दिलाने के मामले में नोबेल पुरस्कार विजेता रोनाल्ड कोस की स्टडी कारगर साबित हो सकती है।

By Umanath SinghEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 03:30 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 05:24 PM (IST)
Delhi Air Pollution : नोबेल अवार्ड विजेता ने बताए दिल्ली के वायु प्रदूषण को रोकने के ठोस उपाय
Delhi Air Pollution : नोबेल अवार्ड विजेता ने बताए दिल्ली के वायु प्रदूषण को रोकने के ठोस उपाय

नई दिल्ली, जेएनएन। Delhi Air Pollution : दिल्ली जानलेवा वायु प्रदूषण के कारण अक्सर गैस चैंबर बन जाती है। इससे बचने का रास्ता फिलहाल किसी के पास नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में नोबेल पुरस्कार विजेता रोनाल्ड कोस की सलाह काबिले तारीफ है। उन्होंने अपनी स्टडी में बताया है कि किस तरह पराली जलाने का विकल्प आसानी से खोजा जा सकता है, बशर्ते सरकारें इसके लिए रचनात्मक प्रयास करे। 

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वैसे भी दिल्ली विभिन्न कारणों से लगातार अत्यधिक वायु प्रदूषण की चपेट में रहती है। इसके कई कारण हैं, जैसे- ग्रीन कवर यानी हरियाली का लगातार खात्मा, घरों का निर्माण, सड़क समेत विभिन्न इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर हो रहे काम, सभी वाहनों की संख्या में निरंतर इजाफा और औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं आदि।

लेकिन अक्टूबर के आखिरी सप्ताह से लेकर नवंबर के शुरुआती चंद सप्ताहों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी की आबोहवा जानलेवा हो जाती है। इसका कारण पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी मात्रा में पराली (CRM-crop residue burning) जलाना है। इसके कारण दिल्ली के ऊपर धुंध छा जाती है। और वातावरण में प्रदूषणकारी तत्वों के काऱण सांस संबंधी समस्याएं काफी बढ़ जाती हैं। 

खास बात यह है कि सरकारी कानूनों और दंड के प्रावधानों के बावजूद पराली जलाने के मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है। इसका कारण यह है कि कोई भी सरकार किसानों को नाराज करना नहीं चाहती है। इसी वजह से पराली जलाने से जुड़े 10 फीसदी मामलों में भी लोगों को दंडित नहीं किया जाता है। 

किसान पराली इसलिए जलाते हैं, क्योंकि पराली को जलाने के लिए जरूरी मशीन की कीमत लगभग एक लाख रुपए आती है, हालांकि इस पर सरकार लगभग आधा सब्सिडी दे देता है। एक अनुमान के मुताबिक, पराली जलाने वाले किसानों की संख्या लगभग 20 लाख है। इस तरह अगर सभी किसान मशीन खरीदने लगें तो इसकी कुल लागत 20 हजार करोड़ रुपए आएगी। 

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एपिडेमिओलॉजी के अनुसार, पराली जलने पर रोक लगाकर 30.58 अरब डॉलर यानी लगभग 2 लाख करोड़ रुपए की क्षति रोकी जा सकती है। इससे लगभग 5 करोड़ लोग प्रभावित हैं। 

रोनाल्ड कोस की स्टडी में इन्हीं बातों का जिक्र किया गया है कि किस तरह 20 हजार करोड़ खर्च करके 2 लाख करोड़ की क्षति रोकी जा सकती है।

कोस की स्टडी के मुताबिक, प्रदूषण से प्रभावित राज्य को प्रदूषण फैलाने वाले अन्य राज्यों के किसानों और सरकारों के साथ एक करार करना चाहिए और मिलकर किसानों को उतनी रकम देनी चाहिए, जितनी रकम बचाने के लिए किसान पराली जलाने का रास्ता अख्तियार करते हैं।

अगर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा की सरकारें मिलकर किसानों के लिए एक फंड बनाएं तो इस समस्या का उचित समाधान निकाला जा सकता है। इस तरह के उपाय दुनियाभर में असरदार साबित हुए हैं, खासकर औद्योगिक प्रदूषण से निजात के लिए कई मुल्कों ने इस तरह का रास्ता अख्तियार किया है। 


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