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Nirbhaya Case: अलग-अलग फांसी देने की याचिका पर दोषियों को कल तक देना होगा जवाब

2012 Delhi Nirbhaya Case निर्भया मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 11:43 AM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 01:13 PM (IST)
Nirbhaya Case: अलग-अलग फांसी देने की याचिका पर दोषियों को कल तक देना होगा जवाब
Nirbhaya Case: अलग-अलग फांसी देने की याचिका पर दोषियों को कल तक देना होगा जवाब

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। 2012 Delhi Nirbhaya Case : निर्भया मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। निर्भया के दोषियों को अलग-अलग फांसी देने की इजाजत मांगने वाली केंद्र सरकार की इस याचिका पर सुनवाई 14 फरवरी तक टल गई है। वहीं, कोर्ट ने चारों दोषियों को केंद्र की याचिका का जवाब देने के लिए शुक्रवार तक का वक्त दिया है।

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दोषी पवन का वकील से किनारा, सुनवाई टली

निर्भया के दोषियों के खिलाफ नया डेथ वारंट जारी करने के लिए बुधवार को दिल्ली सरकार और परिजनों की अर्जी पर सुनवाई हुई। याचिका मंगलवार को पटियाला हाउस अदालत में दायर की गई थी। बुधवार को बहस और दोषी पवन द्वारा अपने मौजूदा वकील से किनारा कर लेने के चलते सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए टाल दी गई। अदालत ने कहा कि दोषी अपनी आखिरी सांस तक कानूनी सहायता का हकदार है और उसे नये वकील का प्रस्ताव दिया जाता है।

अदालत में जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सरकारी वकील ने कहा कि किसी दोषी की कोई कानूनी अर्जी विचाराधीन नहीं है। दोषियों को इस बारे में नोटिस जारी कर बता दिया गया है। वहीं दोषी पवन के वकील एपी सिंह ने नोटिस लेने से इन्कार कर दिया और अदालत को बताया कि वे अब पवन का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पवन ने खुद को पैरवी से अलग कर लिया है।

इस पर अदालत ने मुकेश की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर से पवन की पैरवी करने के बारे में पूछा तो उन्होंने इन्कार कर दिया कि इस पड़ाव पर यह मुमकिन नहीं है। वहीं पवन के पिता ने जब वकील की मांग की तो तो अदालत ने विधिक सेवा प्राधिकरण से वकील मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया, लेकिन पवन के पिता ने मना कर दिया। इस पर अदालत ने नाराजगी भी जताई। चूंकि पवन चारों में इकलौता दोषी है, जिसके पास क्यूरेटिव पिटिशन का कानूनी उपाय और दया याचिका दायर करने का मौका अभी बाकी है।

ऐसे में उसे एक वकील की जरूरत है और अचानक से उसने अपने मौजूदा वकील से खुद को अलग कर लिया है। ऐसे में अदालत ने पाया कि दोषी कानूनी सहायता का हकदार है और उसे नये वकील को चुनने का प्रस्ताव देकर सुनवाई बृहस्पतिवार के लिए टाल दी।

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