NCPCR के अध्यक्ष कानूनगो ने की बच्चों के साथ लैंगिक अपराध मामलों में पहचान उजागर नहीं करने की अपील
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि समाज और परिवार के लिए बेहद जरूरी है कि वे बच्चों को शक संशय और संवादहीनता से बचाएं। कानूनगो शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) द्वारा आयोजित कार्यक्रम शुक्रवार संवाद को संबोधित कर रहे थे।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा कि समाज और परिवार के लिए बेहद जरूरी है कि वे बच्चों को शक, संशय और संवादहीनता से बचाएं। उन्होंने कहा कि मीडिया को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों के साथ लैंगिक अपराध के प्रकरणों में उनकी पहचान उजागर करना पाक्सो एक्ट की धारा 23 के तहत दंडनीय अपराध है। इसका उल्लंघन होने पर 6 माह से 1 वर्ष तक की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकता है। बता दें कि कानूनगो शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (IIMC) द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'शुक्रवार संवाद' को संबोधित कर रहे थे।
बच्चों की पहचान उजागर नहीं करने की अपील
कार्यक्रम में 'बाल अधिकार और मीडिया' विषय पर कानूनगो ने कहा कि बच्चों के साथ लैंगिक अपराध होने की दशा में किसी भी प्रकार से पहचान प्रकट नहीं की जा सकती है। समाचार पत्रों, इलेक्ट्रानिक मीडिया एवं वेब पोर्टल्स के द्वारा संस्थाओं का नाम, फोटो आदि प्रकाशित किये जाने की घटनाएं घट रही हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने और बच्चों को सुरक्षित एवं अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
कानूनगो ने की जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग की अपील
कानूनगो के अनुसार, बच्चों के संरक्षण के लिए मीडिया के साथियों को बाल अधिकारों से जुड़े कानूनों को जानना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को आयोग से पहले पता होता है कि अपराध कहां घटित हुआ है। मीडिया को बाल अधिकरों के उल्लंघन और शोषण के मामलों की रिपोर्टिंग संवेदनशीलता और जिम्मेदारी से करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि बच्चों से जुड़े हर मामले की सूचना आयोग को दी जाए।
कानूनों से आम लोगों को भी जागरुक होने की जरूरत
कानूनगो ने कहा कि बच्चों से जुड़े अपराधों पर नीति निर्माताओं, न्यायपालिका, पुलिस और मीडिया को संवेदनशील होने और उन्हें गंभीरता से लेने की सख्त जरूरत है, ताकि किसी पीड़ित बच्चे और विशेषकर यौन अपराधों से पीड़ित बच्चों की गरिमा को ठेस पहुंचे बगैर उन्हें न्याय मिल सके। उन्होंने कहा कि कानूनों के क्रियान्वयन के लिए आम लोगों को भी जागरुक होने की जरूरत है। बच्चों के साथ अपराध की स्थिति में समाज के हर वर्ग की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उसके खिलाफ आवाज उठाएं। इस दौरान, IIMC के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं डीन (अकादमिक) प्रो गोविंद सिंह, डा. प्रमोद कुमार, डा. रचना शर्मा सहित अन्य लोग मौजूद थे।