हिंदू पत्नी का श्राद्ध कराना चाहता है पति, जानें- मंदिर ने मना करने के पीछे क्या दिया तर्क
मंदिर सोसायटी के अध्यक्ष अशित्व भौमिक ने आरोप लगाया है कि रहमान ने अपनी पहचान छुपाई। उन्होंने बुकिंग अपनी पुत्री इन्हिनी अंबरीन के नाम पर की थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। देश की राजधानी दिल्ली में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। कोलकाता निवासी मोहम्मद इम्तियाजुर रहमान को दिल्ली में अपनी हिंदू पत्नी का श्राद्ध करने के लिए काफी परेशान होना पड़ रहा है। उन्होंने चितरंजन पार्क स्थित काली मंदिर सोसायटी में छह अगस्त को श्राद्ध के लिए बुकिंग कराई थी। 12 अगस्त को उनकी पत्नी निवेदिता घटक का श्राद्ध होना था, लेकिन आठ अगस्त को सोसायटी की ओर से कॉल करके उनका नाम पूछा गया और उन्हें बताया गया कि उनकी बुकिंग रद कर दी गई है। वह कमेटी में जमा किए गए अपने 1300 रुपये वापस ले सकते हैं।
वहीं, उन्हें बुकिंग रद करने का कारण नहीं बताया गया। उधर, समाचार एजेंसी आइएएनएस के अनुसार, मंदिर सोसायटी ने सफाई दी है कि मुस्लिम धर्म में शादी करने के बाद लड़की का धर्म स्वत: मुस्लिम हो जाता है। ऐसे में हिंदू रीति-रिवाज से उसका श्राद्ध कैसे किया जा सकता है?
इधर, मंदिर सोसायटी के अध्यक्ष अशित्व भौमिक ने आरोप लगाया है कि रहमान ने अपनी पहचान छुपाई। उन्होंने बुकिंग अपनी पुत्री इन्हिनी अंबरीन के नाम पर की थी। इससे उसके मुस्लिम या अरेबिक होने का पता नहीं चल रहा था। शक होने पर मंदिर के पुजारी ने गोत्र पूछा तो वे नहीं बता सके। हो सकता है कि वह बाद में कुछ लोगों को मंदिर में लाकर नमाज पढ़ने लगें। तब हम क्या करेंगे। अगर वह श्राद्ध करना ही चाहते हैं तो कोलकाता जाकर अपने घर पर कर सकते हैं।
गौरतलब है कि मोहम्मद इम्तियाजुर रहमान ने वर्ष 1998 में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत निवेदिता से प्रेम विवाह किया था। पिछले सप्ताह मल्टी ऑर्गेन फेल्योर से निवेदिता की मौत हो गई थी। निगम बोध घाट पर हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार उनका अंतिम संस्कार हुआ, लेकिन उनके श्राद्ध की रस्म पूरी करने में अड़चन आ रही है। हालांकि, रहमान के आग्रह पर एक सामाजिक संगठन ने श्राद्ध कराने का आश्वासन दिया है।
रहमान पश्चिम बंगाल सरकार में कमर्शियल टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर हैं। वहीं, निवेदिता कोलकाता में ही स्कूल में बांग्ला व संस्कृत की शिक्षिका थीं। वह निवेदिता के इलाज के लिए पिछले दो माह से दिल्ली के सीआर पार्क में किराये पर रह रहे हैं। निवेदिता की आर्कियोलॉजिस्ट बहन कृतिका ने उन्हें लिवर डोनेट किया था। अभी कृतिका का भी इलाज चल रहा है।