भागवत के 'हिंदुत्व विचार' का मुस्लिम समाज ने किया स्वागत, कहा- ऐसी पहल होनी चाहिए
मोहन भागवत ने कहा था कि अगर हम कहेंगे कि मुसलमान नहीं चाहिए तो हिंदुत्व भी नहीं बचेगा। जिस दिन हम कहेंगे यहां केवल वेद चलेंगे उसी दिन हिंदुत्व का भाव खत्म हो जाएगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत के 'हिंदुत्व विचार' ने मुस्लिम समाज के एक बड़े तबके में राष्ट्रीय आरएसएस के प्रति विमर्श तेज कर दिया है। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने मोहन भागवत के इस बयान का स्वागत किया है।
विज्ञान भवन में तीन दिनों तक चले ‘भविष्य का भारत: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ आधारित चर्चा में दूसरे दिन भागवत ने स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर हम कहेंगे कि मुसलमान नहीं चाहिए तो हिंदुत्व भी नहीं बचेगा। जिस दिन हम कहेंगे यहां केवल वेद चलेंगे उसी दिन हिंदुत्व का भाव खत्म हो जाएगा।
भागवत के इस बयान की तारीफ करते हुए फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने कहा है कि यह बयान स्वागत योग्य है। हिंदुत्व की अवधारणा जो उन्होंने गीता और दूसरे पवित्र धर्म ग्रंथों से सुनी हैं वह हक, इंसाफ, प्यार, प्रेम और मानवता के बारे में नसीहत देता है।
संघ को समझने के लिए संघ के नजदीक जाने के सवाल पर मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि इस तरह की पहल होनी चाहिए, क्योंकि इससे बहुत सी गलतफहमियां दूर होती हैं। पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के कार्यकाल में उनका दिल्ली संघ के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों से नियमित तौर पर विमर्श होता था। हालांकि, डॉ मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने उन्मादी हिंसा (मॉब लींचिग) और अन्य अपराधों पर भी भागवत के खुलकर बोलने पर जोर दिया।
वहीं, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अहमद ने भागवत के बयान को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि इससे मुस्लिम समाज में संघ को लेकर काफी गलतफहमियां दूर हुई हैं। जो साजिशन विपक्षी दलों ने गढ़े थे। वैसे, भागवत ने जो कहा है वह दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि वह इस पर शुरू से अमल करते आ रहे हैं। वह सबको साथ लेकर आगे बढ़ने पर देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाने की सोचते हैं। जबकि विपक्ष के नेता का हिंदू प्रेम दिखावे के लिए है।