Monkeypox Vaccination: फ्रांस की यूनिवर्सिटी का दावा- Ring Vaccination से नहीं थमेगी बीमारी; जानिए क्या है ये रणनीति
यूनिवर्सिटी पेरिस साइट और उसकी टीम ने अध्ययन में पता लगाया कि 12 लोग बिना किसी गंभीर संक्रमण के मंकीपॉक्स की चपेट में आए। इन सभी ने टीका लगवाने के बाद 25 दिनों में तीन अन्य लोगों को संक्रमित कर दिया।
नई दिल्ली, एजेंसी। दुनिया भर में पांव पसार रहे मंकीपॉक्स (Monkeypox) के खतरे को टालने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ वृत्तीय टीकाकरण (Ring Vaccination) पर जोर दे रहे हैं। इसी बीच एक नए शोध ने यह दावा किया है कि मंकीपॉक्स को रोकने के लिए रिंग वैक्सीनेशन पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो पाएगा। फ्रांस की यूनिवर्सिटी पेरिस साइट के साथ काम करने वाली टीम अपने अध्ययन में इस रणनीति को नाकाफी बताया है। यह भी दावा है कि इस रणनीति से किया गया टीकाकरण संक्रमण से रक्षा नहीं कर सकता।
मालूम हो कि वृत्तीय टीकाकरण (Ring Vaccination) मंकीपॉक्स से पहले चेचक और इबोला जैसी महामारियों की रोकथाम के लिए प्रयोग में लाया गया था। आइए हम आपको बताते हैं कि इस रणनीति में किस तरह से टीकाकरण होता है? साथ ही फ्रांस की यूनिवर्सिटी ने इसको लेकर नकारात्मक दावा क्यों किया है?
क्या होता है रिंग वैक्सीनेशन?
रिंग वैक्सीनेशन (Ring Vaccination) टीकाकरण की करने की एक रणनीति है, जिसमें एक तरफ से पूरी आबादी को टीका लगाने की बजाए सबसे पहले उन लोगों को टीका (Vaccine) लगाया जाता है, जिन्हें बीमारी का खतरा अधिक होता है। यानी संक्रमित व्यक्ति के मरीज के संपर्क में आए लोगों को या उनमें बीमारी के लक्षण ज्यादा प्रभावी पाए गए हों।
चेचक और इबोला की रोकथाम में अपनाई गई रणनीति
इस स्ट्रेटजी में उन लोगों को टीका लगाने में वरीयता दी जाती है, जो रोगी के आस-पास रहते हों। जैसे- परिवार के सदस्य, दोस्त, पड़ोसी आदि। मानना यह है कि इस तरह के टीकाकरण से रिंग/घेरा (Ring) बनता है, जो बीमारी के संक्रमण को फैलने से रोकता है। बता दें कि रिंग वैक्सीनेशन को 19वीं सदी में पहली बार प्रयोग में लाया गया था। उसके बाद 20वीं सदी में चेचक की रोकथाम और पश्चिमी अफ्रीका में फैले इबोला वायरस की रोकथाम के लिए अपनाया गया था।
रिंग वैक्सीनेशन सिर्फ लड़ने में सक्षम, बीमारी नहीं रोक सका
वर्तमान में विश्व में मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने रिंग वैक्सीनेशन अपनाए जाने की सलाह दी है। वहीं, फ्रांस की यूनिवर्सिटी पेरिस साइट के नए शोध में इसे कम असरदार बताया गया। शोध टीम ने उन लोगों की निगरानी की, जिन्होंने गंभीर संक्रमण के संपर्क में आने के बाद IMVANEX वैक्सीन लगवाई। इस पीसीआर टेस्ट में उन्हें शामिल किया गया जो कम से कम 3 घंटे में 2 मीटर से कम की दूरी पर मंकीपॉक्स के रोगी के संपर्क में आए।
समाचार एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, 27 मई और 13 जुलाई के बीच 276 व्यक्तियों को IMVANEX की एक खुराक दी गई, जो पिछले 11 दिनों के भीतर मंकीपॉक्स के रोगी के संपर्क आए थे। इनमें से 240 रोगियों में संक्रमण रोगी के खांसने या छींकने से आए, 189 रोगियों में अप्रत्यक्ष संपर्क और 146 में असुरक्षित यौन संबंध बनाने के कारण हुआ। अधिकांश मरीज पुरुष थे और उनमें 88 प्रतिशत समलैंगिक संबंध बनाने वाले थे।
वहीं 276 में 12 लोग बिना किसी गंभीर संक्रमण के मंकीपॉक्स की चपेट में आए। इन 12 लोगों ने अगले पांच दिनों में एक अन्य व्यक्ति को संक्रमित किया और दो लोगों को 22-25 दिनों में संक्रमित कर दिया। यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऑनलाइन पोस्ट किए गए पेपर में लिखा कि उनके इस टेस्ट में रिंग वैक्सीनेशन मंकीपॉक्स से लड़ा लेकिन संक्रमण को पूरी तरह से रोक नहीं पाया।