दुष्कर्म आरोपी आशु-दाती में कई समानता, एक ने बेची चाय तो दूसरा लगाता था पंक्चर
आशु बाबा उर्फ आशु गुरुजी भाई का असली नाम आसिफ खान है, लेकिन ज्योतिषी बन कमाई करने के इरादे से वह नाम बदलकर आशु भाई बन गया। वहीं, इसके चंगुल में फंसते रहे।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। उत्तर प्रदेश की महिला व उसकी किशोरी बेटी से दुष्कर्म के आरोप में घिरे आसिफ उर्फ आशु गुरुजी की कहानी भी दाती महाराज से मिलती-जुलती है। दरअसल, दाती महाराज कभी दिल्ली में सड़क के किनारे चाय की प्याली उठाता था फिर टेलीविजन पर ज्योतिष की बातें करते-करते नामी बाबा बन गया। इसी तरह आशु गुरुजी भाई के बारे में खुलासा हुआ है कि कभी वह जेजे कॉलोनी में साइकिल में पंक्चर लगाया करता था।
आशु गुरुजी के बारे में जो जानाकारी सामने आ रही है कि उसके मुताबिक, वह 90 के दशक के शुरुआती दौर में वजीरपुर स्थित जेजे कॉलोनी में एक साइकिल रिपेयरिंग की दुकान चलाता था। आसपास के लोगों का कहना है कि साइकिल रिपेयरिंग से उसका खर्चा भी नहीं निकल पा रहा था। थक-हारकर उसने नए धंधों में हाथ आजमाने की कोशिश की। इस दौरान उसने कई तरह के काम करने की कोशिश की, लेकिन नाकामयाबी ही हाथ लगी। फिर एक दिन योजना बनाकर वह उत्तरी दिल्ली के सराय रोहिल्ला इलाके में शिफ्ट हो गया और वहां ज्योतिषी के तौर पर काम करने लगा। ज्योतिष का धंधा चमकाने के लिए आशु ने अलग ही अंदाज अपनाया और वह दूसरों का भविष्य बताने के दौरान आंखें मूंदे रहता था।
टीवी ने बदल दी आशु की पूरी जिंदगी
ज्योतिष का धंधा आसिफ उर्फ आशु गुरुजी ने कुछ हद तक सराय रोहिल्ला में ही जमा लिया था। इस दौरान उसका इलाके में काफी नाम हो गया था। आशु की महत्वाकांक्षा जागी तो कुछ समय बाद ही आसिफ खान ने अपनी दुकान बंद कर दी और फिर टेलीविजन चैनलों के संपर्क में आ गया।
टेलीविजन पर भी चल निकला आशु का ज्योतिष का धंधा
टेलीविजन कार्यक्रमों के दौरान आशु गुरुजी चमत्कारिक ढंग से लोगों के भविष्य बताता था। कार्यक्रम के दौरान वह लोगों से उनका बुरा वक्त खत्म करने का दावा भी करता था। लोगों को अपने जाल में फंसाने के लिए तमाम तरह के विज्ञापन भी देता था। अपने विज्ञापनों में वह ट्रक ड्राइवर और रिक्शा वाले को भी लखपति बन जाने के दावे किया करता था। यहां पर बता दें कि आशु बाबा का असली नाम आसिफ खान है, लेकिन ज्योतिषी बन कमाई करने के इरादे से वह नाम बदलकर आशु भाई बन गया। यही नहीं वह लोगों से कर्मकांड के नाम पर मोटी रकम भी ऐंठा करता था।
जानें आशु गुरुजी और दाती महाराज में समानता
1. आशु गुरुजी और दाती महाराज दोनों ही बेहद गरीब परिवार से थे। दोनों ने शुरुआती दौर में कई कष्ट झेले।
2. दोनों कई धंधों में हाथ आजमाए। आशु ने साइकिल में पंक्चर लगाया तो दाती महाराज ने चाय बेची, टेंट की दुकान खोली फिर ज्योतिष के धंथे तक पहुंचा।
3. आशु और दाती दोनों की ही लोकप्रियता टेलीविजन चैनलों पर आने के बाद बढ़ी।
4. दोनों ही तथाकथित ज्योतिषियों के भक्तों में ज्यादातर हरियाणा,यूपी और दिल्ली से हैं।
यहां पर बता दें कि चाय की प्याली उठाने से लेकर टेलीविजन चैनलों पर सर्वाधिक लोकप्रिय बाबा बनने वाला दाती महाराज एक दिन 25 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोपों के चलते दर-दर फिरेगा, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। अगर दाती महाराज के जीवन संघर्ष पर नजर डालें तो यह सब किसी रहस्य-रोमांच सरीखा लगता है। दरअसल, बाबा दाती महाराज की कहानी किसी फिल्म की तरह है, जिसमें जगह-जगह ट्विस्ट एंड टर्न आते हैं।
दाती महाराज उर्फ मदनलाल ने कुछ ही सालों में चाय की दुकान से लेकर आलीशान जिंदगी तक का सफर तय किया। बचपन में ही सात साल की उम्र में उसके मां-बाप दोनों की मौत हो गई तो दो जून रोटी की तलाश में वह राजस्थान से दिल्ली आ गया। इसके बाद कोई काम नहीं मिलने पर वह दिल्ली के फतेहपुरबेरी में मदनलाल पंडित नाम से चाय की दुकान चलाने लगा। कुछ समय बाद उसने पटरी-बल्ली और शटरिंग की दुकान खोली, फिर ईंट-बालू तथा सीमेंट की दुकान खोलकर उसमें भी हाथ आजमाया। इसके बाद उसने फतेहपुरबेरी में ही टेंट हाउस खोला और कैटरिंग का काम शुरू कर दिया।
कैटरिंग का काम सीखने के बाद उसके पास इससे पैसे आने लगे, जिससे उसकी रोजी-रोटी चलने लगी। इस दौरान वर्ष 1996 में मदन की जिंदगी तब 360 डिग्री घूम गई, जब उसकी मुलाकात राजस्थान के एक नामी ज्योतिषी से हुई। इस ज्योतिषी की संगत में मदन ने हाथ देखने का काम बारीकी से सीखा और एक दिन ऐसा भी आया जब उसने जन्मकुंडली देखना भी सीख लिया। अब उसने इस काम का अपना पेशा बनाने का निर्णय ले लिया और कैटरिंग के धंधे को बंद कर दिया।