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अटल जी ने बिना विवाद पांच साल चलाई थी जंबो मंत्रिमंडल वाली 24 दलीय सरकार

अटल जी को दिसंबर 2014 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति ने उन्हें ये सम्मान उनके घर जाकर दिया था।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 06:29 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 11:13 PM (IST)
अटल जी ने बिना विवाद पांच साल चलाई थी जंबो मंत्रिमंडल वाली 24 दलीय सरकार
अटल जी ने बिना विवाद पांच साल चलाई थी जंबो मंत्रिमंडल वाली 24 दलीय सरकार

नई दिल्ली (जेएनएन)। अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक कुशलता ने भाजपा को देश में शीर्ष राजनीतिक सम्मान दिलाया। वैचारिकता को उन्होंने हमेशा तरजीह दिया। अटलजी मानते थे कि राजनीति उनके मन का पहला विषय नहीं था। हालांकि वह चाहकर भी राजनीति नहीं छोड़ सकते थे। नहीं तो, विपक्ष उन पर पलायन की मोहर लगा देता। राजनीतिक जीवन में उनकी सबसे बड़ी खूबी, राजनैतिक दायित्वों का डट कर मुकाबला करने की थी। अटल जी को उनकी खूबियों और उपलब्धियों के लिए ही दिसंबर 2014 में सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति ने उन्हें ये सम्मान उनके घर जाकर दिया था।

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अटल बिहारी वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमंत्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। इतने ज्यादा मंत्री होने के कारण उनके मंत्रिमंडल को जंबो मंत्रिमंडल भी कहा जाता था। अटल जी की नेतृत्व क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इतने बड़े गठबंधन के बावजूद उनकी सरकार में कभी किसी दल ने कोई आनाकानी या विवाद नहीं किया।

राजनीति के धुर विरोधी भी अटल जी के कायल थे

भारतीय राजनीति इतिहास में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है। राजनीति में उनके धुर विरोधी भी उनकी विचारधारा और कार्यशैली के कायल रहे। राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव आए। कई बार उनकी आलोचनाएं भी हुईं, बावजूद उन्होंने खुद को संयमित बनाए रखा। यही वजह है कि सदन में जब वह अपनी बात रखते थे तो विपक्षी भी उन्हें बहुत ध्यान से सुनते थे। साथ ही उनकी बातों का सम्मान और समर्थन भी करते थे। अटल जी का कभी किसी राजनेता से कोई निजी विवाद नहीं हुआ था। अटल जी राजनीति में चार दशक तक सक्रिय रहे। वह नौ बार लोकसभा और दो बार राज्य सभा के सदस्य बने, जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।

मई 1998 में बना था राजग

मई 1998 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घोषणा हुई थी। उस समय गैर काँग्रेसी सरकार के गठन के निर्माण में यह पहला कदम था। हालांकि एक साल में ही गठबंधन टूट गया। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड मुनेत्र कड़गम ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। इसके बाद वर्ष 1999 में गठबंधन में कुछ और नए दलों को शामिल कर इसका विस्तार किया गया। 1999 के लोकसभा चुनावों में इसके परिणाम बेहतर निकले। राजग को पूरे पाँच साल के लिये सरकार बनाने का मौका मिला। गठबंधन के सभी दलों ने एक राय होकर अटल बिहारी वाजपेयी को अपना प्रधामंत्री चुना। अटल जी ने अपना कार्यकाल बेहतर ढँग से पूरा किया। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव जीतने की उम्मीद के साथ यह गठबन्धन पुन: मैदान में उतरा, हालांकि इस बार गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा।

नेहरू के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने वाले पहले राजनेता थे

अटल बिहारी वाजपेयी पंडित जवाहर लाला नेहरू के बाद पहले ऐसे नेता रहे हैं, जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री रहे हैं। उन्होंने तीन बार केंद्र में सराकर बनाई और तीन बार प्रधानमंत्री भी बने। वह पहली बार 16 मई 1996 से 31 मई 1996 तक मात्र 16 दिन के लिए ही प्रधानमंत्री बने थे। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1998 से 1999 तक 13 माह की सरकार चलाई। 13 अक्तूबर 1999 में अटल बिहारी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और उन्होंने मई 2004 तक सफलता से सरकार चलाई।

प्रधानमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल में जहां उन्होंने पाकिस्तान और चीन से संबंध सुधार के लिए अभूतपूर्व कदम उठाए। वहीं अंतरराष्ट्रीय दवाबों के बावजूद गहरी कूटनीति तथा दृढ़ इच्छाशक्ति से बेहद गोपनीय तरीके से पोखरण परमाणु विस्फोट किया। कारगिल युद्ध जीतने का श्रेय भी बतौर प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी को ही जाता है।

ऐसे शुरू हुआ अटल जी का राजीनित करियर

अटल बिहारी वाजयेपी छात्र जीवन में पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आए थे। इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। इस आंदोलन ने ब्रिटिश उपनिवेशवाद का अंत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी। उनकी यह रुचि वर्षों तक बनी रही एवं विभिन्न बहुपक्षीय और द्विपक्षीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने अपने इस कौशल का परिचय दिया।

अटल जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय सदस्य और वर्ष 1951 में गठित राजनैतिक दल ‘भारतीय जनसंघ’ के संस्थापक सदस्य रहे थे। वर्ष 1966-67 तक सरकारी प्रत्याभूतियों की समिति के अघ्यक्ष, वर्ष 1967 से 70 तक लोक लेखा समिति के अघ्यक्ष रहे। वर्ष 1968 से 73 तक वह भारतीय जनसंघ के अघ्यक्ष भी थे। वर्ष 1975-77 के दौरान आपातकाल में बंदी रहे। 1977 से 79 तक भारत के विदेश मंत्री, वर्ष 1977 से 80 तक जनता पार्टी के संस्थापक सदस्य और वर्ष 1980 से 86 तक भाजपा के राष्ट्रीय अघ्यक्ष, वर्ष 1980-84, 1986 तथा 1993 से 96 के दौरान वह भाजपा संसदीय दल के नेता भी रहे चुके हैं।

1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े और हार गए

अटल बिहार वाजयेपी ने वर्ष 1955 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा था। बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वर्ष 1957 में उन्होंने गोंडा जिले के बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत गए। वर्ष 1957 से 1977 तक जनता पार्टी बनने तक वह 20 वर्ष तक लगातार जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे। अटल जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं। वह वर्ष 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं।


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