Move to Jagran APP

निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने में लग सकता है पांच माह का वक्त

दया याचिका दायर करने के लिए अधिकतम 90 दिन का वक्त मिलता है। कई बार अदालत दया याचिका दायर करने के लिए 90 दिन से भी कम समय देती है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 09:54 PM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 07:04 AM (IST)
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने में लग सकता है पांच माह का वक्त
निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने में लग सकता है पांच माह का वक्त

 जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। वसंत विहार सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बाद माना जा रहा था कि सभी दरिंदों को पांच-छह महीने के भीतर अदालती व अन्य प्रक्रिया पूरी कर फांसी पर लटका दिया जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। घटना के साढ़े पांच साल बाद भी दरिंदे फांसी पर नहीं लटक पाए हैं।

prime article banner

इस केस की जांच से जुड़े वरिष्ठ पुलिस अधिकारी की माने तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज करने के बाद अब उनके सामने राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने का एक मात्र विकल्प बचा है। अगर, राष्ट्रपति दया याचिका ठुकरा देते हैं तो चार से पांच महीने के भीतर चारों दोषियों को फांसी हो जाएगी।

दया याचिका दायर करने के लिए अधिकतम 90 दिन का वक्त मिलता है। कई बार अदालत दया याचिका दायर करने के लिए 90 दिन से भी कम समय देती है। चारों को दया याचिका दायर करने से पहले दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव के पास अपील करनी होगी। वहां से सरकार इनकी याचिका के साथ अपनी टिप्पणी लिखकर उपराज्यपाल के पास भेज देगी।

सरकार सजा को लेकर क्या सोचती है, सजा कम की जानी चाहिए अथवा बरकरार रखी जानी चाहिए, टिपप्णी में इसका जिक्र होता है। इसके बाद उपराज्यपाल इस याचिका को राष्ट्रपति के पास भेज देते हैं। राष्ट्रपति चाहें तो दिल्ली सरकार से दोबारा राय मांग सकते हैं। इसके बाद अपना अंतिम फैसला देते हैं।

मृत्युदंड देना गलत नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अभियुक्तों की ओर से दुनिया के विभिन्न देशों में मृत्युदंड समाप्त कर दिए जाने की दलीलों और इसी आधार पर यहां भी मृत्युदंड समाप्त कर दिए जाने का तर्क नकारते हुए कहा कि इस देश के कानून की किताब (दंड संहिता) में मृत्युदंड है। उचित मामलों में कोर्ट द्वारा मृत्युदंड दिए जाने को गैरकानूनी नहीं कहा जा सकता। पीठ ने बच्चन सिंह के केस का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 302 (हत्या) के अपराध में मृत्युदंड दिए जाने की वैधानिकता परखने के बाद इस प्रावधान को वैधानिक ठहराया था।

क्यूरेटिव और दया याचिका का है विकल्प
याचिका खारिज होने के बाद अभियुक्तों के पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने और उसके खारिज होने के बाद राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प मौजूद है। क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील से मंजूर होने के बाद दाखिल होती है और उस पर तीन वरिष्ठ जजों के अलावा फैसला देने वाली पीठ के न्यायाधीश सर्कुलेशन के जरिये चेंबर में सुनवाई करते हैं। सामान्य तौर पर क्यूरेटिव याचिका पर पांच न्यायाधीश सुनवाई करते हैं।

कोर्ट ने कहा था, वारदात के बाद आ गई थी सदमे की सुनामी
फांसी की सजा देते समय पांच मई 2017 के मुख्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस घटना से सदमे की सुनामी आ गई थी और इसने सभ्यता के तानेबाने को पूरी तरह नष्ट कर दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि ऐसा लगता है कि यह कहानी किसी दूसरी दुनिया की है, जहां इंसानियत का अनादर होता है। जस्टिस भानुमति ने अलग से फैसला लिखते हुए अभियुक्तों की फांसी पर मुहर लगाई थी। महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए बच्चों और समाज को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने की जरूरत पर बल दिया था। यह भी कहा गया था कि सजा तय करते समय अभियुक्तों के साथ-साथ समाज पर पड़ने वाले असर को भी देखा जाना चाहिए।

महिलाओं के प्रति अपराधों पर पीएम उठाएं सख्त कदम
दुष्कर्म पीडि़ता की मां ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि न्यायपालिका में उनका विश्वास फिर से बहाल हुआ है। उन्हें उम्मीद जगी है कि न्याय मिलेगा। उनका कहना था कि महिलाओं के प्रति अपराधों पर पीएम नरेंद्र मोदी सख्त कदम उठाएं। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन लोगों के लिए कड़ा संदेश है जो इस तरह के जघन्य और घृणित अपराधों को अंजाम देते हैं।

चीफ जस्टिस मिश्रा की बेंच ने सुनाया था फैसला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद इन दोषियों ने एक-एक कर रिव्यू पिटिशन दाखिल की। नियम के तहत रिव्यू पिटिशन की ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई और बाद में 4 मई 2018 को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट में फैसले के बाद निर्भया के माता-पिता ने कहा कि उन्हें इंसाफ की पूरी उम्मीद थी और वे चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी इन्हें फांसी पर लटकाया जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.