दिलचस्प है अटल के 6ए बंगले की कहानी, एक यकीन से जुड़ा था उनका विश्वास
भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कृष्ण मेनन मार्ग को अटल स्मृति बनाया जाए। यह मांग देश के विभिन्न संगठनों ने उठाई है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। वर्ष 2004 में अटल बिहारी को यकीन था कि एक बार फिर वह एनडीए की केंद्र में सरकार बनाने में सफल होंगे, लेकिन परिणाम इतर आने पर उन्हें 7 रेसकोर्स छोड़ना पड़ा था। उस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने 2004 में शहरी विकास मंत्रालय से आग्रह किया था कि उन्हें आवंटित होने वाले अपने बंगले का पता 8, कृष्ण मेनन मार्ग के स्थान पर 7ए रखना चाहते थे, लेकिन जब ये बताया गया कि लुटियंस दिल्ली जोन के बंगलों के नंबर सड़क के एक तरफ विषम हैं और दूसरी तरफ सम तो वाजपेयी ने 8 कृष्ण मेनन मार्ग वाले बंगले के लिए 6-ए का पता स्वीकार कर लिया था।
अटल स्मृतियों में रहेगा बंगला नंबर 6ए कृष्ण मेनन मार्ग
बंगला नंबर 6ए कृष्ण मेनन मार्ग। गत 14 वर्षों से एक ही व्यक्ति में समाहित राजनेता, जननायक, साहित्यकार, कवि, पत्रकार के जीवन को जी रहे इस बंगले में अब अटल स्मृतियां हमेशा जीवंत रहेंगी। अब भले ही यहां उनकी धड़कन की आवाज नहीं सुनाई दे, लेकिन उनके गीतों की गूंज आज पूरे जग में सुनाई दे रही है और आगे भी सुनाई देती रहेगी। 11 जून 2018 को जब उनकी सांसें लड़खड़ाने लगीं और उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया तो ऐसा आभास नहीं था कि अब वह तिरंगे में लिपट कर बंगले में वापस लौटेंगे।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित शिन्दे की छावनी में 25 दिसम्बर 1924 को ब्रह्ममुहूर्त में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी का नाता उत्तर प्रदेश के आगरा, लखनऊ व कानपुर से रहा, लेकिन उनका सफर 6ए कृष्ण मेनन पर आकर समाप्त हुआ। अब बस यहां उनकी अटल स्मृतियां ही शेष रह गई हैं।
वर्ष 2004 में उम्मीदों के विपरीत लोकसभा चुनाव के परिणाम आने पर 7 रेसकोर्स छोड़कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 6ए कृष्ण मेनन मार्ग में रहने आ गए थे। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद अटल बिहारी सक्रिय राजनीति से दूर रहे, लेकिन भाजपा का मार्गदर्शन करते रहे।
वर्ष 2009 में अचानक दौरा पड़ने के कारण वह बोलने में अक्षम हो गए थे। इसके बाद से 6ए कृष्ण मेनन मार्ग में अटल बिहारी वाजपेयी के ठहाकों की गूंज बंद हो गई थी, लेकिन उनकी मौजूदगी का अहसास बरकरार था। संघर्ष के दौर के साथी वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी समेत कुछ उनके करीबियों को ही उनसे मिलने की इजाजत थी।
वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न सम्मान की घोषणा होने पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 2014 में 6ए कृष्ण मेनन मार्ग पर जाकर अटल बिहारी को भारत रत्न से सम्मानित किया था और तभी आखिरी बार उनकी तस्वीर देशवासियों के सामने आई थी। अटल बिहारी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर से प्राथमिक व स्नातक की पढ़ाई पूरी की और उत्तर प्रदेश के कानपुर से डीएवी कॉलेज से राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी में परास्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। कानपुर में ही एलएलबी की पढ़ाई शुरू की, लेकिन बीच में ही विराम देकर पूरी निष्ठा से संघ के कार्य में जुट गए।
कृष्ण मेनन मार्ग का नाम अटल स्मृति रखने की मांग
भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कृष्ण मेनन मार्ग को अटल स्मृति बनाया जाए। यह मांग विभिन्न संगठनों ने उठाई है। संगठनों का कहना है कि अटल जी ने अपने लिए कुछ नहीं किया, सब कुछ देश के लिए किया है। उनसे हम सब को प्रेरणा मिलती है। उनके लिए श्रद्धांजलि होगी कि हम उनकी स्मृतियों को एक जगह देख सकें।
यूनाइटेड हिंदू फ्रंट के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष जयभगवान गोयल ने कहा है कि प्रधानमंत्री रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने जो कार्य किए हैं, वे सराहनीय हैं। उन्होंने अमेरिका की परवाह नहीं करते हुए परमाणु परीक्षण कराया। विदेश मंत्री रहते हुए जिनेवा में पाकिस्तान को उसकी भाषा में समझाया। उसकी कलई खोली और पाकिस्तान की सच्चाई को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बताया।
उन्होंने कहा है कि वह अटल जी के निवास स्थान को अटल स्मृति के रूप में स्थापित किए जाने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखेंगे। इसी तरह मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अहमद ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का देश और समाज को दिया योगदान अभूतपूर्व है। उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया है जिसके चलते वह लंबे समय तक याद किए जाएंगे। इसलिए अटल जी के बंगले को अटल स्मृति बनाया जाना अति आवश्यक है।
सामाजिक साहित्यिक संस्था उद्भव ने कहा कि अटल जी ने सफल प्रधानमंत्री ही नहीं, एक कवि के तौर पर भी करोड़ों दिलों को छुआ है। महासचिव विवेक गौतम ने कहा है कि हम सब के मन में अटल जी के प्रति अपार स्नेह है। हम चाहते हैं कि उनके निवास स्थान को अटल स्मृति बना दिया जाए। इस बारे में शीघ्र ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखेंगे।
नेशनल चिल्ड्रन वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष वी के जैन ने कहा है कि अटल जी ने कई किरदार के रूप में हम सब पर अमिट छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि जिस तरह राजघाट पर उनका स्मारक बनाए जाने की बात सामने आई है उसी तरह उनकी स्मृति में उनके निवास स्थान को उनका स्मृति स्थल घोषित किया जाए।