जब अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था मेरे नहीं, देश जिंदाबाद के नारे लगाओ
मेयर आशा शर्मा ने बताया कि अटल जी 20 मई 1997 को कविनगर जीडीए क्लब में एक शादी में आए थे। वहां उन्होंने कहा था मेरे नहीं, देश जिंदाबाद के नारे लगाओ।
गाजियाबाद (आशीष गुप्ता)। अटल बिहारी वाजपेयी सादा जीवन उच्च विचार के साथ जीवन जीने वाले व्यक्ति थे। देश का सम्मान उनके लिए सर्वोपरि था। मेयर आशा शर्मा ने उनके व्यक्तित्व को बयां करने वाला 23 वर्ष पुराना संस्मरण साझा करते हुए बताया कि वह 20 मई 1997 को कविनगर रामलीला मैदान के पास जीडीए के क्लब में पूर्व एमएलए कृष्णवीर सिरोही की बेटी की शादी में आए थे।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने 'अटल बिहारी जी जिंदाबाद' के नारे लगाए। इस पर उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि मेरे नाम के नारे न लगाएं। देश जिंदाबाद, भारत माता की जय के नारे लगाएं। मेयर ने बताया कि वर्ष 1995 में पहली बार नेहरू नगर वार्ड से उन्हें पार्षद का टिकट मिला था। पर्चा भरने के तीन दिन बाद वह अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने दिल्ली गई थीं।
उन्होंने, अटल जी को बताया कि पर्चा भर दिया है। तब उन्होंने आशीर्वाद दिया था विजयी भव। जब चुनाव परिणाम घोषित हुआ तो उनके आशिर्वाद से पहली बार पार्षद निर्वाचित हुई थी। उन्हीं की दुआओं से अब इस मुकाम पर हूं।
मेयर ने बताया कि अटल जी से मेरी कई मुलाकातें हुईं। उनसे मिलना बेहद आसान होता था। हर बात पर वह कविता की दो पंक्तिया सुनाते थे। अपने इस अंदाज से वह सबको अपनत्व का अहसास कराते थे। अंतिम बार छह साल पहले 25 दिसंबर को उनके जन्मदिन पर तेलूराम काम्बोज के साथ मुलाकात हुई थी। शीशे से उनको देखा था। वह बेड पर लेटे हुए थे। हिलने-डुलने की अवस्था में नहीं थे। मेयर ने कहा कि अटल जी तब भी दिलों की गहराई में बसते थे। अब भी दिल की उसी गहराई में जगह बनाए रहेंगे।