महामारी की घातक तीसरी लहर को कम करने में वैक्सीनेशन की अहम भूमिका- डा. गुलेरिया
Indias vaccination drive स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से आयोजित इंस्टाग्राम लाइव सेशन में एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना महामारी की तीसरी लहर से बचाव में वैक्सीनेशन ने निभाई अहम भूमिका।
नई दिल्ली, एएनआइ। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया ने शुक्रवार को एक इंस्टाग्राम लाइव सेशन में देश में जारी कोरोना वैक्सीनेशन अभियान को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि महामारी कोविड-19 की तीसरी लहर को घातक बनने की राह में वैक्सीनेशन ही बाधक बना। डा गुलेरिया ने कहा कि देश में अब दूसरी लहर की तरह कोरोना की खतरनाक लहर आने की खास आशंका नहीं है। फिर भी यह बहुत कुछ लोगों के व्यवहार पर भी निर्भर करेगा क्योंकि अभी यह वायरस खत्म नहीं हुआ है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है। इसलिए वैक्सीनेशन के साथ-साथ बचाव के नियमों का पालन और मास्क का इस्तेमाल जारी रखना होगा। डा. गुलेरिया केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर इंटरनेट मीडिया के प्लेटफार्म पर एक चर्चा में शामिल थे।
डा. गुलेरिया ने कहा कि मौजूदा समय में हम ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं। तीसरी लहर में कोरोना काफी नियंत्रित रहा। इसका कारण यह है कि ज्यादातर लोगों में कोरोना के प्रति प्रतिरोधक क्षमता आ गई है। इसमें टीकाकरण ने इसमें अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कोरोना की रोकथाम और टीकाकरण अभियान के लिए केंद्र सरकार की तारीफ की। उन्होंने कहा कि 2009 में स्वाइन फ्लू का संक्रमण फैलने पर विदेश से टीका मंगाना पड़ा था। तब यह सवाल पूछा जाता था कि हमारे पास अपना टीका क्यों नहीं है।
मौजूदा समय में देश में कोरोना का अपना टीका उपलब्ध है। कोरोना के करीब आधा दर्जन टीके देश में बन रहे हैं। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में टीके के प्रति झिझक अधिक देखी गई। उन्होंने कहा कि किशोरों का टीकाकरण अभी चल रहा है। कुछ विशेषज्ञ यह कहते हैं कि बच्चों को कोरोना का ज्यादा संक्रमण नहीं होता। हमें इस बात में नहीं उलझना है। बच्चों को कोरोना से सुरक्षित करने के लिए टीकाकरण जरूरी है। यदि बच्चों को टीका नहीं लगेगा तो वे अपने साथ संक्रमण घर में ला सकते हैं। उससे बुजुर्गो को परेशानी हो सकती है।
तीसरी लहर की शुरुआत में ही डा. रणदीप गुलेरिया और संस्थान के वरिष्ठ डाक्टरों ने दूसरी लहर की तरह इस बार कोरोना के इलाज में स्टेरायड, रेमडेसिविर और महंगी मोनोक्लोनल एंटीबाडी दवाओं के दुरुपयोग के प्रति आगाह किया था। एम्स के डाक्टरों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल पर आयोजित एक वेबिनार में ये सब सलाह दी थी। डाक्टरों ने कहा था कि ओमिक्रोन से ज्यादातर युवा संक्रमित हो रहे हैं और ज्यादातर मरीजों में हल्के लक्षण हैं। होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को स्टेरायड, रेमडेसिविर इत्यादि दवाएं देने से बचना होगा। लक्षण के आधार पर दवाएं दी जानी चाहिए।