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Train 18 से भारत में शुरू होने जा रहा हाईस्पीड रेल यात्रा का दौर, जानें इसकी खासियतें

ट्रेन 18, राजधानी और शताब्दी ट्रेनों से तेज रफ्तार में चलेगी। ट्रायल के दौरान इसकी अधिकतम रफ्तार 181 KMPH रिकॉर्ड हुई। इससे यात्रा का समय लगभग आधा हो जाएगा।

By Amit SinghEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 05:38 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 05:47 PM (IST)
Train 18 से भारत में शुरू होने जा रहा हाईस्पीड रेल यात्रा का दौर, जानें इसकी खासियतें
Train 18 से भारत में शुरू होने जा रहा हाईस्पीड रेल यात्रा का दौर, जानें इसकी खासियतें

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। देश की सबसे तेज गति से दौड़ने वाली पहली स्वदेशी डिजाइन ट्रेन 18 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सप्ताह के भीतर हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। भारत की पहली इंजन रहित यह ट्रेन दिल्ली और पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीच चलेगी।

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भारत की पहली पूर्ण स्वदेशी निर्मित और स्वचालित ट्रेन-18 में सफर का आनंद बेहद खास और अलग होगा। रेलवे के लिए ट्रेन-18 गेम चेंजर साबित हो सकती है। पूरी तरह वातानुकूलित यह सेमी हाई स्पीड ट्रेन 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ेगी। हांलाकि, ट्रायल के दौरान ट्रेन 181 किमी प्रति घंटा की रफ्तार पर भी सफलता से दौड़ चुकी है।

अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित इस ट्रेन के डिब्बों में व्हील चेयर की भी जगह है। इसमें पारंपरिक तरीके के अलग से इंजन नहीं है। इसकी जगह मेट्रो ट्रेनों की तरह दोनों छोर पर ड्राइविंग कैप्स हैं। इनके जरिए ट्रेन को दोनों तरफ से चलाया जा सकेगा। ट्रेन 18 आगे चलकर शताब्दी ट्रेनों की जगह लेगी। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि फिलहला इससे बेहतर ट्रेन नहीं है।

बुलेट ट्रेन की तरह दिखने वाली यह ट्रेन राजधानी और शताब्दी से तेज रफ्तार में चलेगी और यात्रा में तकरीबन आधा समय लगेगा। इसके हर कोच में एयर कंडीशनर और कैमरे लगे हैं। डिजाइन से लेकर ब्रेक सिस्टम तक इसके निर्माण में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से ये ट्रेन दुनियाभर की आधुनिक और लक्जरी ट्रेनों को मात दे रही है। इसकी सबसे बड़ी खासियत निर्माण लागत है। पहले अनुमान था कि इस ट्रेन के निर्माण की लागत 100 करोड़ रुपये होगी, हालांकि इसे मात्र 97 करोड़ रुपये में ही तैयार कर लिया गया।

बुलेट ट्रेन से पहले यह अहम ट्रेन
जाहिर है बुलेट ट्रेन की स्पीनड का मुकाबला कोई अन्यस ट्रेनें नहीं कर सकती हैं। ट्रेन 18 तेज चलने वाली ट्रेनों की कड़ी में अहम पड़ाव साबित होगी। यह ट्रेन सेमी हाईस्पीअड ट्रेन है। हालांकि मौजूदा तेज चलने वाली राजधानी और शताब्दी़ ट्रेनों से यह ज्यामदा तेज चलेगी। यात्रियों की सुविधा के लिए इसमें अधिक बड़े रैक होने से यात्रियों को ज्याीदा जगह मिलेगी।

ज्यादा यात्री कर सकेंगे सफर
ट्रेन-18 ट्रेन में 16 कोच हैं। प्रत्येक चार कोच एक सेट में हैं। ट्रेन सेट होने के चलते इस ट्रेन के दोनों ओर इंजन हैं। इंजन भी मेट्रो की तरह छोटे से हिस्से में हैं। ऐसे में इंजन के साथ ही बचे हिस्से में 44 यात्रियों के बैठने की जगह है। इस तरह से इसमें ज्यादा यात्री सफर कर सकेंगे।

पूरी तरह वातानुकूलित होगी ट्रेन
यह ट्रेन चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आइसीएफ) में बनाई गई है। इसमें 14 डिब्बे चेयरकार व दो एग्जीक्यूटिव क्लास के होंगे। सभी एक-दूसरे से जुड़े होंगे। सभी डिब्बों में आपातकालीन टॉक-बैक यूनिट्स दिए गए हैं ताकि यात्री आपातकाल में ट्रेन के क्रू मेंबर से बात कर सकें। सीसीटीवी लगाए गए हैं ताकि सुरक्षित सफर हो। स्टेनलेस स्टील की बॉडी वाली इस ट्रेन में वाई-फाई, एलईडी लाइट, पैसेंजर इनफर्मेशन सिस्टम और पूरे कोच में दोनों दिशाओं में एक बड़ी सी खिड़की है। ट्रेन में हैलोजन मुक्त रबड़-ऑन-रबड़ के फर्श के साथ ही मॉड्यूलर शौचालयों में एस्थेटिक टच-फ्री बाथरूम है। सामान रखने वाला रैक ज्यादा बड़ा रहेगा, इससे यात्री अधिक सामान आसानी से रख सकेंगे। ट्रेन के डिब्बों में व्हील चेयर की भी जगह है। यह कदम विकलांग यात्रियों को ध्यान में रखकर लिया गया है।

1.70 अरब रुपये की बचत
ट्रेन-18 का निर्माण मेक इन इंडिया मुहिम का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट था। विदेशी तकनीक का सहारा लिए बिना भारत में निर्माण की वजह से तकरीबन 1.70 अरब रुपये की बचत हुई है। ट्रेन के लिए सिर्फ ब्रेकिंग सिस्टम, ट्रांसफॉर्मर्स और सीटें विदेश से आयात की गईं।

घटेगी लागत
इंडियन रेलवे के लिए ट्रेन-18 का निर्माण इंटीग्रल कोच फैक्ट्री ने किया है। कोच फैक्ट्री के अधिकारियों के मुताबिक अगली आधुनिक ट्रेन मार्च, 2019 तक तैयार होगी। इस तरह की कई ट्रेनों का निर्माण होने पर लागत घट जाएगी।

शताब्दी रूट पर चलेगी
फिलहाल ये शताब्दी व राजधानी रूट के लिए तैयार की गई है और दिल्ली-भोपाल, चेन्नई-बेंगलुरु व मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलेगी। जनवरी, 2019 तक इसके लांच होने की उम्मीद है।

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