सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी फेलोशिप के लिए अब नेट पास करना होगा जरूरी, जानिए क्या हैं यूजीसी के अहम बदलाव
यूजीसी का मानना है कि इन सभी फेलोशिप के लिए चयन की अब तक जो प्रक्रिया थी उससे बड़ी संख्या में समाज के प्रतिभाशाली छात्र वंचित रह जाते थे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एससी, ओबीसी व अल्पसंख्यक समाज के प्रतिभाशाली छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए इनसे जुड़ी राष्ट्रीय फेलोशिप स्कीमों में बदलाव किया गया है। जिन्हें हासिल करने के लिए अब नेट (National Eligibility Test) पास करना जरूरी होगा। यूजीसी ने इसे लेकर गाइडलाइन जारी की है। साथ ही कहा है कि इससे समाज के प्रतिभाशाली छात्रों को आगे आने का मौका मिलेगा। अभी तक इन सभी फेलोशिप स्कीमों में चयन पीजी कोर्स के अंकों के आधार पर किया जाता था।
यूजीसी का मानना है कि इन सभी फेलोशिप के लिए चयन की अब तक जो प्रक्रिया थी, उससे बड़ी संख्या में समाज के प्रतिभाशाली छात्र वंचित रह जाते थे। इसी कारण संबंधित मंत्रालयों को इसमें बदलाव का सुझाव दिया गया। इस सुझाव पर मंत्रालयों ने अपनी सहमति दे दी है।
मौलाना फेलोशिप स्कीम की नई गाइडलाइन
इस निर्णय के मद्देनजर अल्पसंख्यकों के लिए चल रही मौलाना आजाद फेलोशिप स्कीम की नई गाइडलाइन जारी की गई है। यह 2019-20 से ही लागू मानी जाएगी। इससे पहले इन सभी स्कीमों की फेलोशिप राशि में भी बढ़ोतरी की गई थी। इसके तहत सीनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए हर महीने 35 हजार रुपए और जूनियर रिसर्च फेलोशिप के लिए 31 हजार रुपए दिए जाते हैं। इन फेलोशिप स्कीमों के लिए वित्तीय मदद संबंधित मंत्रालय उपलब्ध कराता था। बाकी फेलोशिप को लेकर भी गाइडलाइन जारी की जा रही है।
यूजीसी ने इसके साथ ही इन स्कीमों में महिलाओं के लिए 30 फीसद सीटें आरक्षित रखी हैं, ताकि समाज की महिलाओं को भी आगे बढ़ाया जा सके। इन सभी सीटों पर चयन यूजीसी-नेट-जेआरएफ की मेरिट के आधार पर किया जाता है।
फिलहाल यूजीसी नेट-जेआरएफ की यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की ओर से साल में दो बार आयोजित की जाती है। बता दें कि फेलोशिप में बदलाव की यह प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है, जिसे अब लागू किया गया है।