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नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट में प्री स्‍कूल से 12 वीं तक मुक्त और अनिवार्य स्कूली शिक्षा की सिफारिश

रमेश पोखरियाल निशंक ने जैसे ही मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली उसके कुछ देर बाद ही नई शिक्षा नीति बना रही कस्तूरीरंगन कमिटी ने ड्रॉफ्ट सौंप दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 02 Jun 2019 11:02 AM (IST)Updated: Sun, 02 Jun 2019 11:44 AM (IST)
नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट में प्री स्‍कूल से 12 वीं तक मुक्त और अनिवार्य स्कूली शिक्षा की सिफारिश
नई शिक्षा नीति के ड्रॉफ्ट में प्री स्‍कूल से 12 वीं तक मुक्त और अनिवार्य स्कूली शिक्षा की सिफारिश

नई दिल्‍ली, जेएनएन। मोदी सरकार के दूसरी बार शपथ ग्रहण करते ही शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव के संकेत मिले हैं। कस्तूरीरंगन कमेटी ने नई शिक्षा नीति का ड्रॉफ्ट सरकार को सौंप दिया है। देश के नए शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जैसे ही मानव संसाधन विकास मंत्री के तौर पर कुर्सी संभाली, उसके कुछ देर बाद ही नई शिक्षा नीति बना रही कमिटी ने ड्रॉफ्ट सौंप दिया।

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कस्‍तूरीरंगन कमेटी में वसुधा कामत, एसएनडीटी की पूर्व वाइस चांसलर और अमेरिका में प्रिंसेटेन यूनिविर्सटी में गणित की प्रोफेसर डा. मंजुला भार्गव शामिल हैं। न्यू राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्रॉफ्ट में पांच आधार स्तंभ हैं, अभिगम, न्‍याय संगत, गुणवत्‍ता, वहन करने लायक और जवाबदेही। समिति ने मानव संसाधन विकास (HRD) का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय (MoE) करने का भी प्रस्ताव दिया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के ड्राफ्ट में प्रीस्कूल से 12 वीं कक्षा तक मुफ्त और अनिवार्य स्कूली शिक्षा सिफारिश की गई है। मौजूदा शिक्षा नीति के तहत यह केवल कक्षा एक से आठवीं तक के लिए है।

नई शिक्षा नीति में कहा गया है कि बच्चों को कम से कम पांचवीं तक मातृभाषा में ही पढ़ाना चाहिए। पहली क्लास में बच्चों को तीन भारतीय भाषाओं के बारे में भी पढ़ाना चाहिए जिसमें वो इन्हें बोलना सीखें और इनकी स्क्रिप्ट पहचाने और पढ़ें। नई शिक्षा नीति का ये ड्राफ्ट इसरो के पूर्व प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व वाली कमेटी ने तैयार किया है।

स्कूलों के माहौल को ठीक करने पर भी इसमें जोर दिया गया है। इस ड्राफ्ट में राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का गठन और निजी स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने पर रोक लगाने जैसी सिफारिशें शामिल हैं। वहीं नई शिक्षा नीति में बोर्ड की परीक्षा के तनाव को कम करने का भी सलाह दी गई है। बच्चों के लिए मल्‍टीपल टाइम एग्जाम देने का विकल्प देने का सुझाव दिया गया है। प्री स्कूल और प्राथमिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन के रूप में एक स्कूल नाश्ता जोड़ा जाए।

स्कूली शिक्षा के स्तर को बढ़ने के लिए शिक्षकों को पढ़ाने के लिए चार साल का बीएड का कोर्स करने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया है। मौजूदा शिक्षा नीति 1986 में तैयार हुई थी और 1992 में इसमें संशोधन हुआ था। नयी शिक्षा नीति 2014 के आम चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के घोषणापत्र का हिस्सा थी। 

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