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कोरोना के साथ अब जहरीली हवाएं भी न फुला दें हमारी सांसें, जानिए कैसे होगा प्रदूषण पर सीधा वार

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के साथ मिलकर अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही 25 से ज्यादा स्थलों को चिंहित किया है जहां सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। इनमें अकेले दिल्ली में तेरह क्षेत्र शामिल है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 03 Oct 2020 08:10 PM (IST)Updated: Sat, 03 Oct 2020 08:13 PM (IST)
कोरोना के साथ अब जहरीली हवाएं भी न फुला दें हमारी सांसें, जानिए कैसे होगा प्रदूषण पर सीधा वार
प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी जंग में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस बार अपनी रणनीति भी बदली है।

अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच जहरीली हवाओं की आहट से दिल्ली -एनसीआर सहित आसपास के क्षेत्रों में रहने वालों की चिंताएं अचानक से बढ़ गई है। खासबात यह है कि कोरोना हो या फिर प्रदूषण। दोनों ही स्थितियों में फेफड़ों को ही नुकसान पहुंचता है। ऐसे में खतरा इस बात का है कि यदि इस बार भी जहरीली हवाओं का प्रकोप पिछले सालों जैसा ही रहा, तो स्थिति काफी गंभीर हो सकती है। यही वजह है कि केंद्र ने दिल्ली सहित सभी पड़ोसी राज्यों को प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी इस जंग में न सिर्फ फोकस होकर काम करने की जरूरत पर जोर दिया है, बल्कि पहली बार प्रदूषण फैलाने की क्षेत्रवार समस्याओं को भी उनके सामने रखा है।

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प्रदूषण के खिलाफ छिड़ी जंग में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस बार अपनी रणनीति भी बदली है। पिछले कुछ सालों से यह लड़ाई सिर्फ पराली के इर्द-गिर्द ही सिमट कर रह जाती है, जबकि दिल्ली-एनसीआर सहित आस -पास के राज्यों में छाने वाले जहरीले धुएं और हवाओं के पीछे पराली से ज्यादा दूसरी वजहें भी है। मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से पराली की हिस्सेदारी सिर्फ चालीस फीसद तक की है, जबकि इनमें साठ फीसद तक की हिस्सेदारी आंतरिक स्तर पर पैदा होने वाले प्रदूषण का होता है। यही वजह है कि इस बार राज्यों को पराली के साथ आंतरिक स्तर पर पैदा होने वाले प्रदूषण पर सख्ती से रोकथाम करने को कहा गया है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के साथ मिलकर अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही 25 से ज्यादा स्थलों को चिंहित किया है, जहां सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। इनमें अकेले दिल्ली में तेरह क्षेत्र शामिल है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने इन्हें हॉट स्पाट के रूप में चिंहित किया है। इसके साथ ही इन स्थलों पर किस चीज से प्रदूषण होता है, इसकी भी पूरी जानकारी राज्यों को दी गई है।

बता दें कि पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी ने सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले वाले क्षेत्रों और उनकी वजहों को तलाशने के लिए 15 से 21 सितंबर तक एक खास अभियान चलाया था। जिसके आधार पर राज्यों को इस बार विस्तृत कार्ययोजना दी गई है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जिस तरह से पराली जलाने को लेकर मुहिम छेड़ रखी गई है, उसी तरह आंतरिक प्रदूषण पर रोकथाम के लिए काम करने की जरूरत है।

सभी छोटे-बड़े उद्योगों से लिया जाएगा प्रदूषण न फैलाने का लिखित आश्वासन

दिल्ली-एनसीआर को जहरीली हवा से बचाने की इस मुहिम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) इस बार दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों ने चलने वाले सभी छोटे-बडे उद्योगों से एक लिखित आश्वासन भी लेगा, कि वह प्रदूषण नहीं फैलाएंगे। माना जा रहा है कि यदि इसके बाद भी कोई उद्योग प्रदूषण फैलाते पाए जाते है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई का यह एक बड़ा आधार भी बनेगा।

हवाओं की गुणवत्ता और कामकाज की हर दिन होगी समीक्षा

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी ने जहरीली हवाओं के इस संकट से निपटने के लिए एक कंट्रोल रूप भी स्थापित करने का फैसला लिया है। जहां हर दिन हवाओं की गुणवत्ता और प्रदूषण के रोकथाम के लिए राज्यों के उठाए गए कदमों की समीक्षा की जाएगी। इस दौरान सभी राज्यों से हर दिन इससे निपटने को लेकर किए जाने वाले उपायों को लेकर रिपोर्ट की जाएगी। फिलहाल पंद्रह अक्टूबर के बाद इस पर काम शुरु होगा।

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण फैलाने वाले 25 सबसे खतरनाक स्थल

प्रदूषण के लिहाज से इन 25 स्थलों में से अकेले दिल्ली में 13 स्थल है, इनमें झिलमिल, मंडोली, गांधी नगर, विवेक विहार, आर के पुरम, अशोक विहार, जहांगीरपुरी, पंजाबी बाग, मुंडका, आनंद बिहार, नरेला, द्वारका और मायापुरी है। वहीं हरियाणा में फरीदाबाद एक और दो के साथ उद्योग विहार गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश में साहिबाबाद, वसुंधरा, इंद्रापुरम, राजनगर एक्सटेंशन, नोयडा के सेक्टर 63, 65, 75, 125 और 72 है। राजस्थान के भिवानी का क्षेत्र में भी इसमें शामिल है।

राज्यों को इन पर रखनी होगी नजर

प्रदूषण पर रोकथाम के लिए केंद्र ने राज्यों को जो एडवाइजरी जारी की है, उनमें जिन पर नजर रखने की सख्त हिदायत दी गई है, उनमें पराली की जलना, हाट स्पाट मैनेजमेंट, कचरे को जलने से रोकना, धूल को उड़ने से रोकना, इसके लिए सड़कों को पक्का बनाने, ग्रीनरी करना और पानी का छिड़काव करना शामिल है। इसके साथ निर्माण कार्यो के दौरान उठने वाले धूल पर रोकथाम के उपाय, ट्रैफिक प्रबंधन, बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्मॉग गन को स्थापित करना, गैर-कानूनी तरीके से चलने वाले उद्योगों पर रोकथाम शामिल है।

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